नमस्कार दोस्तों, आप सभी लोग जानते होंगे कि साल की सबसे बड़ी अमावस्या होती हैं “सोमवती अमावस्या” जो कि इस बार 17 जुलाई 2023 को पड़ रही हैं जिस दिन आप लोग भगवान भोलेनाथ को बहुत अच्छे से प्रसन्न कर सकते हैं और सोमवती अमावस्या के दिन कुछ उपायों को करके अपने जीवन में आ रही दुख और समस्याओं को भी दूर कर सकते हैं।
आज इस लेख में हम सोमवती अमावस्या के के कुछ नए विशेष उपाय आपको बताने वाले हैं।
सोमवती अमावस्या कब हैं?
सोमवती अमावस्या 17 जुलाई 2023 सावन के दूसरे सोमवार को पड़ रही हैं। सोमवार को पढ़ने वाली अमावस्या को हम सोमवती अमावस्या कहते हैं और यह साल की सबसे बड़ी अमावस्या होती हैं।
इस बार सोमवती अमावस्या क्यों खास हैं?
इस बार यह सोमवती अमावस्या श्रावण महीने के दूसरे सोमवार को पड़ रही हैं साथ ही में इस दिन हरियाली अमावस्या भी हैं और सोमवती अमावस्या का पावन और पवित्र दिन भी है इसीलिए यह अवश्य बहुत ही ज्यादा खास हैं।
सोमवती अमावस्या की पूजन विधि
सोमवती अमावस्या को आपको पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। पीपल के वृक्ष के नीचे रोली, कुमकुम, सिंदूर चढ़ाना चाहिए और दीपक लगाना चाहिए। इस दिन आप लोगों को पीपल के वृक्ष की कच्चे सूत से 7 या 108 परिक्रमा करनी चाहिए। आप अपनी साथिया 108 परिक्रमा चिरौंजी या दाने से भी कर सकते हैं।
अगर आपसे सात परिक्रमा होती हैं तो आप सात भी कर सकते हैं। अगर आप 108 करने में सक्षम हैं तो आप 108 परिक्रमा भी कर सकते हैं।
सोमवती अमावस्या के उपाय
सोमवती अमावस्या साल की सबसे बड़ी अमावस्या होती हैं इस दिन अगर आप कोई भी विशेष और नया उपाय करते हैं तो इससे आपके जीवन में बहुत खुशियां आती है और आपको भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
सोमवती अमावस्या का पहला उपाय
सोमवती अमावस्या को सबसे पहला उपाय आपको अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए करना हैं क्योंकि साल की सबसे बड़ी अमावस्या को अगर आप अपने पितरों को प्रसन्न कर लेते हैं तो आपके जीवन में किसी भी प्रकार की घर में समस्याएं आ रही हैं तो वह दूर हो जाएंगी।
इस उपाय में आपको सोमवती अमावस्या के दिन शाम के समय प्रदोष काल में एक लंबी बाती का शुद्ध देसी गाय के घी का दीपक तैयार करना हैं।
इस दीपक को तैयार करके आपको अमावस्या के दिन शाम के समय किसी भी नदी, बावड़ी या तालाब के घाट पर जाकर इस दीपक को जलाकर आना हैं।
इस दीपक को जलाते समय इस बात का ध्यान रखना हैं कि इस दीपक की जो बाती का मुख होगा। जिस तरफ से आप इस दीपक को जलाने वाले हैं वह दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए क्योंकि यह दीपक आप अपने पितरों के लिए जला रहे हैं दक्षिण दिशा की तरफ उस लंबी बाती का मुख कर दीजिएगा।
जब आप इस दीपक को चला रहे हो तो उस समय आप अपने पितरों का स्मरण जरूर कीजिए और भगवान भोलेनाथ के नाम का जाप भी जरूर कीजिएगा।
यहां पर यह उपाय पूरा हो जाता हैं।
सोमवती अमावस्या का दूसरा उपाय
इस उपाय को आपको जब करना हैं जब आपके घर में किसी भी सदस्य को कालसर्प दोष, पित्र दोष या किसी और दोष से परेशानी हो रही हैं तो आप इस उपाय को कर सकते हैं।
इस उपाय को आपको सोमवती अमावस्या के दिन सुबह 10:00 बजे से पहले पूर्ण कर लेना हैं।
इस उपाय में आपको एक बेल का फल लेना हैं जो बेलपत्री के वृक्ष में फल लगा हुआ होता हैं उसे बेल का फल कहते हैं।
उस बेल के फल के अंदर से उसका पूरा गुर्दा आपको बाहर निकाल लेना हैं और अपने ही घर में सोमवती अमावस्या के दिन आपको पंजीरी बनाना हैं।
पंजीरी आटे का प्रसाद होता है जोकि आटा और शक्कर को सेक कर उसमें शुद्ध देसी गाय का घी मिलाकर बनाया जाता हैं।
अब आपको इस बेल के फल के अंदर पंजीरी भर देना हैं और इस बेल के फल को आपको अपने पूरे घर में घुमाना हैं और अपने घर के उन सदस्यों से इस बेल के फल को छू आना हैं जिनको किसी भी प्रकार का दोष लगा हुआ हैं।
अब इस बेल के फल को आप किसी भी बड़े वाले पीपल के वृक्ष के नीचे लेकर जाएं और वहां पर एक गड्ढा खोदकर इस बेल के फल को उस गड्ढे के अंदर डालकर उसके ऊपर मिट्टी डाल दें। अब आप उस समय भगवान से प्रार्थना भी कर लीजिए।
जहां पर यह उपाय पूर्ण हो जाता हैं।
सोमवती अमावस्या का तीसरा उपाय
इस उपाय को आपको जब करना हैं जब आपके घर में बहुत ज्यादा लड़ाई झगड़ा होता हो, क्लेश होता हो या आपके घर से या आप से कोई पैसा लेकर गया हो और अब वह आपका पैसा ना लौटा रहा हो तो आप यह उपाय को जरूर करें।
सोमवती अमावस्या के एक दिन पहले रात्रि में आपको सबसे पहले काली तिल को पानी में गलाकर रख देना हैं फिर सुबह-सुबह अमावस्या के दिन इसका काली तिल को पीस लेना हैं इसका काली तिल को आपको मिक्सर की सहायता से नहीं पीसना हैं।
अब इस पिसी हुई काली जल को एक कटोरी में डालकर इसके अंदर पीला चंदन भी मिला लीजिए।
अब अपने साथ में एक लोटा जल भरिए और उसी जल के अंदर थोड़ा सा शुद्ध देसी गाय का दूध डालिए। मतलब एक पात्र में जल और दूध का मिश्रण आप लोग रख लीजिए।
अब अपने साथ में पांच बेलपत्र और रखिए।
अब इन सभी सामग्रियों को लेकर आप सोमवती अमावस्या के दिन प्रातः काल सुबह-सुबह भगवान शिव जी के मंदिर पहुंच जाइए। शिव जी के मंदिर पहुंचकर सबसे पहले आप अपनी वह काली तिल से शिव जी की शिवलिंग पर और जलाधारी पर लेपन करिए। जिसके अंदर आपने पीला चंदन भी मिलाया हुआ हैं।
इसका लिटिल से लेपन करने के बाद आपको शिव जी की शिवलिंग के ऊपर अपनी उंगलियों से त्रिपुंड बना देना हैं।
अब आपको अपनी वह पांच बेलपत्र अपनी कामना को करते हुए भगवान शिवजी पर समर्पित कर देना हैं।
अब आपको अपना वह जल पात्र निकालना हैं जिसके अंदर जल और दूध मिला हुआ हैं। इस जल पात्र को आपको उन्हीं 5 बेलपत्र के ऊपर भगवान शिव जी की शिवलिंग के ऊपर एक धारा से धीरे-धीरे करके समर्पित कर देना हैं।
अब आप जिस काम के लिए यह उपाय कर रहे हैं उसके लिए आपको भगवान शिव जी से प्रार्थना कर लेना हैं।
यहां पर यह उपाय पूर्ण हो जाता हैं।
सोमवती अमावस्या का चौथा उपाय
इस उपाय को सोमवती अमावस्या के दिन आपको जब करना हैं जब आपके घर में किसी को कोई गंभीर रोग और बीमारी हो या किसी भी प्रकार का शरीर में रोग और कष्ट हो तो आपको यह उपाय करना चाहिए।
इस उपाय में आपको एक जल का पात्र भरना हैं उस जल के पात्र के अंदर आपको सबसे पहले पीला चंदन डालना हैं उसी जल पात्र के अंदर आपको दो-तीन काली मिर्ची को पीसकर डाल देना हैं।
अभी सीजन पात्र के अंदर आपको 7 बेलपत्री डालनी हैं और 7 अलग-अलग वृक्ष के 1-1 पत्ते को भी इसी पात्र के अंदर डालना हैं।
अब इस जल को लेकर आपको सोमवती अमावस्या के दिन प्रातः काल सुबह-सुबह शिव जी के मंदिर जाना हैं और शिव जी की शिवलिंग के ऊपर इस जल को समर्पित करना हैं।
जब शिव जी पर आप जल चढ़ा रहे हो तो आखरी में उसी पात्र के अंदर थोड़ा सा जल बचा लेना और उस जल को आप भगवान शिव जी की चौखट पर चढ़ा देना।
आखरी में बचे हुए थोड़े से जल को आप शिवजी की चौखट की किसी भी साइट पर समर्पित कर सकते हैं।
अब यह जो चौखट पर आपने थोड़ा सा जल्द समर्पित किया हैं इसी जल को एक कटोरी में आपको झेल लेना हैं। एक चम्मच के बराबर आप इस जल को कटोरी में भर सकते हैं।
अब अपने घर आकर इस एक चम्मच बराबर जल को उस व्यक्ति को आपको सुबह दोपहर शाम को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाना हैं। जिसके लिए आपने यह उपाय किया हैं।
अब शाम के समय आप अपने घर के मुख्य द्वार की चौखट पर एक गोल बाती का शुद्ध देसी गाय के घी का दीपक भी जला दीजिए और भगवान से प्रार्थना कर लीजिए।
यहां पर यह उपाय पूर्ण हो जाता हैं।
सोमवती अमावस्या का पांचवा उपाय
अब आपको यह उपाय सोमवती अमावस्या के दिन जब करना हैं जब आप किसी परीक्षा में पास नहीं हो रहे हो, आपका इंटरव्यू में सिलेक्शन नहीं हो रहा हो या आपकी अच्छी जगह नौकरी नहीं लग रही हो तो आप यह उपाय कर सकते हैं।
इस उपाय को करने के लिए आपको दो स्वस्तिक कुम-कुम से बनाने हैं।
पहला स्वस्तिक आपको बड़े वाले पीपल के वृक्ष के ऊपर लगाना हैं और उसी पीपल के वृक्ष के नीचे जमीन पर आपको एक गोल बाती का शुद्ध देसी गाय के घी का दीपक जलाना हैं।
दूसरा स्वस्तिक आपको दोपहर से शाम के समय के बीच में शिव जी के मंदिर में शिव जी की चौखट पर बनाना हैं।
स्वस्तिक बनाने के बाद आपको यहां पर भी इसी स्वास्थ्य के ऊपर एक दीपक जलाना हैं। यह जो दीपक आप तैयार करेंगे इसके अंदर आपको 2 लंबी बाती रखनी हैं और उसके अंदर शुद्ध देसी गाय का घी का दीपक डालना हैं। इस दीपक को आपको स्वस्तिक के ऊपर जलाना हैं और बत्ती का वह मुख जिस तरफ से आप दीपक को जलाने वाले हैं वह मुख अपनी साइड करके इस दीपक को जला देना हैं।
अब आपको भगवान शिव जी से प्रार्थना कर लेना हैं अपने उस परीक्षा, इंटरव्यू के नौकरी के लिए जिसमें आप सफल नहीं हो पा रहे हैं।
जहां पर यह उपाय पूर्ण हो जाता हैं।
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यह सारे उपाय और जानकारी सोमवती अमावस्या की हैं और यह सारे उपाय आपको सिर्फ सोमवती अमावस्या के दिन ही करने हैं। अगर आपको इन उपायों से जुड़े हुए कोई प्रश्न है या आपके मन में उपायों को करते समय कोई प्रश्न आता हैं तो उसे आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते हैं।
धन्यवाद