अनंत चतुर्दशी कब है 2023 | Anant Chaturdashi Vrat Katha, Puja Vidhi in Hindi

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

अनंत चतुर्दशी 2023, अनंत चतुर्दशी, अनंत चौदस, चौदशी, अनंत चौथ, चतुर्दशी, गणेश विसर्जन, गणेश उत्सव समापन, गणेश चतुर्दशी, (Anant Chathurdhashi 2023, Chaudash, 28 september 2023, Anant Chaudash, Anat Chaudashi, Anant Chaturdashi, Anant Chathurdashi, Chaturdashi, Ganesh Samapan, Ganesh Chaturdashi, Ganesh Utsav Samapan, Ganesh Visarjan)

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को हम अनंत चतुर्दशी कहते हैं, अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान माना जाता है। अनंत चतुर्दशी जैन धर्म के लिए भी सबसे पवित्र तिथि है यह जैन समाज के चल रहे पर्व,व्रत का पर्यूषण उत्सव का अंतिम दिवस होता है, अगर वही हम बात करें अनंत चतुर्दशी की तो इस दिन अनंत भगवान की पूजा की जाती है जिसे अनंत चतुर्दशी या अनंत चौदस के रूप में भी जाना जाता है। अनंत भगवान की पूजा से भक्तों के जीवन में आने वाले प्रत्येक संकटों से निवारण मिलता है, भक्तों के द्वारा ऐसी मान्यता है अनंत चौदस पर बांधे जाने वाला अनंत सूत्र भक्तों की हर समस्या से रक्षा करता है। बात करें प्राचीन काल की तो द्वापर युग के समय जब सभी पांडव भाई अपना राज पाट हारने के बाद वन में डर-डर कष्ट का भोग रहे थे, तब स्वयं श्री कृष्ण जी ने सभी पांडवों को अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज कहीं जाने वाली युधिष्ठिर ने अपने सभी भाई तथा अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ विधिपूर्वक श्रद्धा भाव से यह व्रत किया तथा अनंत रक्षा सूत्र को धारण भी किया। उसके बाद से भगवान विष्णु की कृपा से तथा अनंत भगवान के आशीर्वाद से पांडवों के सभी कष्ट व संकट दूर हो गए।

कब है28 सितंबर 2023 गुरुवार 
प्रारंभ27 सितंबर 2023 रात्रि 10:18 से
समापन28 सितंबर शाम 06:49 पर
पूजा मुहूर्त06:12 A.M. से 06:49 P.M.
तिथिअनंत चतुर्दशी भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी

अनंत चतुर्दशी पूजा विधि

अनंत चतुर्दशी का बड़ा ही महत्व माना जाता है तथा इसके साथ-साथ भक्तों के लिए बाजार से नया वाहन इलेक्ट्रॉनिक सामान लेने का भी बहुत शुभ मुहूर्त माना जाता है। अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा व पूजा विधि का भी अपना ही महत्व माना गया है,कहते हैं जो भी भक्त इस व्रत विधि को पूरे विधान के साथ करता है उसे समस्त सुखों का फल प्राप्त होता है आईए जानते हैं अनंत चतुर्दशी पूजा विधि के बारे में।

  • सर्वप्रथम प्रातः काल स्नान करना है,जिसके बाद व्रत कर्ता भगवान के समक्ष उपस्थित होकर उनके सामने अपना अनंत चतुर्दशी व्रत का संकल्प लें।
  • शास्त्र अनुसार यदि हम बात करें,अनंत चतुर्दशी के व्रत का संकल्प स्वच्छ नदी किनारे स्थित मंदिर के पास लेना चाहिए किंतु आप अपने घर में स्थित मंदिर में भी संकल्प ले सकते हैं।
  • मन मंदिर भगवान का है घर इसी कहावत अनुसार आप घर पर संकल्प ले सकते हैं इसमें कोई भी परेशानी की बात नहीं होगी याद रखें कि घर पर सिर्फ पूजा स्थल पर ही संकल्प लेना है।
  • इसके बाद आपको पूजा स्थल पर भूमि को जल से साफ करना है जिससे मान्यताओं के अनुसार वह जगह शुद्ध हो जाए।
  • अब आपको उसे स्थल पर एक कलश को स्थापित करना है,कलश पर आप शेषनाग की सैया पर लेटे हुए भगवान विष्णु की मूर्ति अवश्य रखें यदि आपके पास मूर्ति नहीं है तो चित्र भी रख सकते हैं।
  • अब आपको उनके पास अनंत सूत्रों को रखना है,जिसमें वह अनंत 14 गांठो से युक्त हो।
  • उसके बाद आपको भगवान विष्णु तथा अनंत सूत्र की श्रद्धा पूर्वक विधि के साथ पूजा करना है,पूजा करते हुए आप भगवान के मंत्र ओम अनंताय नमः मंत्र उच्चारण करें।
  • मंत्र का उच्चारण करते समय पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री अपने बाएं हाथ में अनंत सूत्र को बांधे।
  • पूजा होने के बाद अनंत चतुर्दशी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें यदि पाठ करने में असमर्थ है तो कथा अवश्य सुने।
  • अनंत सूत्र बांधने के बाद अपने आसपास के किसी भी ब्राह्मण को प्रसादी व भोग में बनी व्यंजन प्रेम पूर्वक ग्रहण करवायें।
  • पश्चात आप और आपके परिवार भी प्रसादी को ग्रहण करें।

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा

प्राचीन काल के समय की बात है एक दिन कौंडिन्य मुनि की नजर अपनी पत्नी के बाएं हाथ में बंधे अनंत सूत्र पर पड़ी, जिसे देखने के बाद कौंडिन्य मुनि आश्चर्य चकित हुए, बहुत प्रयत्न के बाद उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने शंका वश अपनी धर्मपत्नी से यह पूछा कि क्या आपने मुझे अपने वश में करने हेतु यह सूत्र अपने हाथ पर बांधा हुआ है। कौंडिन्य मुनि की धर्मपत्नी ने विनम्रता पूर्वक उत्तर दिया जी नहीं। यह सूत्र तो अनंत भगवान का पवित्र सूत्र है जिसे अनंत सूत्र कहते हैं,   किन्तु कौंडिन्य मुनि ने अपनी पत्नी की बात को गलत साबित कर दिया वह सिर्फ बार-बार यही कहे जा रहे थे कि वह वशीकरण करने वाला कोई जादू डोर है। थोड़ी ही देर के बाद वह इतने क्रोधित हो गए कि उन्होंने अपनी पत्नी के हाथ से रक्षा सूत्र तोड़ दिया उसके बाद उसे अग्नि में जला दिया,फिर होना क्या था इस कर्म का परिणाम तो उन्हें भोगना ही था तुरंत इसका फल उनके सामने आ गया। धीरे-धीरे कौंडिन्य मुनि की सारी संपत्ति नष्ट होती चली गई, वह दीन-हीन स्थिति में जीवन यापन करने पर मजबूर हो गए। इस स्थिति से वह इतने विवश हुए कि उन्होंने इस अपराध का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया निर्णय लेने के बाद वह वन की और प्रस्थान कर दिए वन के रास्ते जाते हुए उन्हें रास्ते में जो भी मिलता वह उसे सिर्फ एक ही बात पर विनम्र पूर्वक और भावुक होते हुए पूछते की अनंत भगवान का मार्ग कहां है। किंतु बहुत कठिन परिश्रम करने के बाद भी उन्हें सफलता प्राप्त न हो सकी इसके चलते वह इतने दुखी हुए कि उन्होंने अपने प्राण त्यागने का निर्णय लिया उनके इस निर्णय को देख वहां एक वृद्ध ब्राह्मण ने उन्हें प्राण त्यागने से रोका। वह व्रत ब्राह्मण उन्हें वहीं पास में स्थित एक गुफा में ले गया और गुफा में जाने के बाद कौंडिन्य मुनि को चतुर्भुज अनंत देव का दर्शन प्राप्त हुआ। दर्शन के बाद मुनि को अपने की गई सारी गलती का पक्ष आप हुआ और उन्हें एहसास हुआ, तत्पश्चात् भगवान ने मुनि से कहा तुम्हारे द्वारा अनंत सूत्र का जो अपमान हुआ है यह सब उसी का फल है,लेकिन हम तुम्हें प्रायश्चित करने का मार्ग बताएंगे जिसे करने के पश्चात तो निष्कर्म के फल से मुक्त हो जाओगे। इतना सुनने के बाद मुनि बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने हंसते-हंसते भगवान के इस आज्ञा को स्वीकार किया। भगवान ने मुनि से कहा तुम्हें 14 वर्ष तक निरंतर अनंत व्रत का पालन करना होगा,14 वर्ष पूर्ण होने पर यह अनुष्ठान पूरा हो जाएगा,इसके बाद तुम्हारी नष्ट हुई संपत्ति पुनः प्राप्त होगी तथा सुख समृद्धि भी पुनः लौट आएगी।

अनंत चतुर्दशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए

इस बारे में हम आपको बताएंगे की अनंत चतुर्दशी के दिन मनुष्य को क्या-क्या करने से बचना चाहिए तो चलिए लिए नीचे विस्तार से जानते हैं।

  • अनंत चतुर्दशी बहुत ही शुभ दिन माना जाता है अनंत चतुर्दशी के शुभ अवसर पर किसी भी प्रकार का कोई भी अनैतिक कार्य जैसे जीव हत्या दुष्कर्म आप शब्दों चोरी झूठ बोलना यह सब मनुष्य को नहीं करना चाहिए।
  • आप अनंत चतुर्दशी पर किसी भी व्यक्ति ब्राह्मण या बुजुर्ग का अपमान भी ना करें यदि आप ऐसा करेंगे तो उसे अपमानित महसूस होगा और उसे व्यक्ति का हृदय अहित होगा।
  • अनंत चतुर्दशी के दिन सूत्र को कलाई पर बांधा जाता है इस दिन आपको मांस मदिरा का सेवन भी भूलकर नहीं करना चाहिए।
  •  जब तक आपके हाथ में अनंत रक्षा सूत्र बना होता है तब तक आपको मदिरा मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • आपको इस बात का ध्यान रखना है कि आपके द्वारा अनंत रक्षा सूत्र का अपमान धोखे मे अनजाने से भी ना हो।
  • आपको अनंत रक्षा सूत्र को इधर-उधर भी नहीं फेंकना चाहिए तथा उसे गंदगी में रखने से भी बचना चाहिए।
  • अनंत रक्षा सूत्र खरीदते समय आपको इस बात का ध्यान रखना है कि आप रेशम या सूट के धागे का ही उपयोग करें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति के पास भी आप रेशम या सूट के धागे का ही उपयोग करें किसी अन्य धागे का उपयोग न करें।
  • अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु जी के साथ-साथ शेषन की भी पूजा अवश्य करें।
  • अनंत सूत्र में 14 गण होना चाहिए 14 घंटे से कम वाला रक्षा सूत्र ना खरीदें।

अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से क्या होता है

भगवान का कहना है अनंत व्रत के विधिपूर्वक पालन करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है,तथा वह उन कर्म के फल से बच जाता है जो वह जन्म-जन्मांतर के पातकों के कारण कष्ट को भोगता है। अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से मनुष्य के जीवन में सुख संपत्ति धन वैभव तथा माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है, माता लक्ष्मी जी के साथ-साथ विष्णु भगवान जी की कृपा भी उन पर सदैव रहती है। ऐसे भक्तो पर भगवान विष्णु सदैव रक्षा करते हैं, जो भी भक्त श्रद्धा पूर्वक इस व्रत का पालन पूरे विधि विधान से करता है, भगवान भक्त को भवसागर से नया पार करा देते हैं।

अनंत चतुर्दशी की कथा के बारे में आप सभी की क्या क्या राय है, तथा हमारे द्वारा ऊपर दी गई जानकारी आप को कैसी लगी। आप सभी नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।

धन्यवाद 

Leave a Comment

Amavasya Kab Hai 22024 masik shivratri january 2024 date Pradosh Vrat 2024 January Kab Hai vinayak chaturthi 2024 in hindi Safla Ekadashi Kab Hai 2024