Mokshada Ekadashi Kab Hai 2023 | मोक्षदा एकादशी का व्रत कब है

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

Mokshada Ekadashi kab hai 2023, mokshada ekadashi kya hai Hindi 2023, moksha ekadashi vrat mahatva, Mokshada Ekadashi puja vidhi, mokshada ekadashi ki puja vidhi, mokshada ekadashi ka puja ka mahatva, moksha ekadashi kis din hai, Mokshada Ekadashi 2023 hindi, Mokshada Ekadashi ki katha, Mokshada Ekadashi Katha ka mahatva, vaikuntha ekadashi 2023 Hindi, vaikuntha ekadashi ki katha, vaikuntha ekadashi Katha ka mahatva, vaikuntha ekadashi puja ka mahatva, vaikuntha ekadashi puja ki vidhi, vaikuntha ekadashi vrat ki vidhi, vaikuntha ekadashi vrat ki puja, vaikuntha ekadashi vrat kab hai, vaikuntha ekadashi par kya kare, what is vaikuntha ekadashi Hindi, when is vaikuntha ekadashi in 2023, what is vaikuntha ekadashi vrat vidhi, vaikuntha ekadashi in hindi 2023, vaikuntha ekadashi Katha, vaikuntha ekadashi Katha mahatva, vaikuntha ekadashi ki katha kya hai, vaikuntha ekadashi Katha kya he, (मोक्षदा एकादशी कब है 2023, मोक्षदा एकादशी का व्रत का महत्व, मोक्षदा एकादशी पूजा की विधि, मोक्षदा एकादशी 2023 में कब है, मोक्षदा एकादशी पूजा की विधि, मोक्षदा एकादशी व्रत की विधि, मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व, मोक्षदा एकादशी पूजा का महत्व, मोक्षदा एकादशी व्रत कैसे करे, मोक्षदा एकादशी पूजा कैसे करे, बैकुंठ एकादशी व्रत की विधि, बैकुंठ एकादशी कब है 2023, बैकुंठ एकादशी व्रत महत्व, बैकुंठ एकादशी पूजा महत्व, बैकुंठ एकादशी व्रत कब है, बैकुंठ एकादशी की कथा, बैकुंठ एकादशी कथा महत्व, बैकुंठ एकादशी की कथा क्या है, बैकुंठ एकादशी कथा का महत्व)

हमारे हिंदू धर्म ग्रंथो में तो दो पक्ष चलते हैं पहला शुक्ल पक्ष और  दूसरा कृष्ण पक्ष  और दोनों पक्षों में एकादशी तिथि आती है। प्रत्येक माह में दो एकादशी आती हैं और इन एकादशी तिथि को अलग-अलग नाम से संबोधित किया गया है। इस प्रकार 1 वर्ष में 24 एकादशी तिथियां होती हैं, हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। जिस वर्ष अधिकमास आता है तब एकादशी तिथि की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है, 2023 में अधिकमास था। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की आने वाली एकादशी को हम मोक्षदा एकादशी के नाम से जानते हैं कई जगह इसे वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जानते हैं। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर 2023 को मनाई जाएगी। वैसे तो सभी एकादशियों का महत्व माना जाता है ठीक इसी प्रकार मोक्षदा एकादशी का भी अपना ही एक अलग महत्व है। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं। एकादशी तिथि पूर्ण रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को ही अर्पित है। एकादशी तिथि के स्वामी भगवान विष्णु को माना जाता है और इस दिन भगवान विष्णु की विधि पूर्वक श्रद्धा से पूजा करने से एकादशी तिथि का विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। आपको बता दें कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती भी मनाई जाती है। अतः मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण जी की पूजा करने से जीवन से सभी पापों का नाश होता है। द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने इसी दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था इसलिए इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है।

मोक्षदा एकादशी क्या है (What is Mokshada Ekadashi)

हिंदू सनातन धर्म में प्रत्येक माह में आने वाली एकादशी तिथियां को अलग-अलग नाम से जाना जाता है, हमारे सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही एकादशी तिथि का बहुत ही महत्व माना जाता है। ऐसे ही एक एकादशी तिथि है जिसे मोक्षदा एकादशी तिथि से संबोधन किया जाता है और यह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाई जाती है। एकादशी तिथि का महत्व भगवान कृष्ण ने द्वापर युग में महाराज युधिष्ठिर को बहुत ही अच्छे से समझाया था, तब से ही ऐसा माना जाता है कि भक्तों द्वारा एकादशी तिथि को बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। द्वापर युग के समय जब महाभारत का युद्ध होने वाला था, तब इस रणभूमि कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था इसलिए मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी को मोह का नाश करने वाली एकादशी भी कहा जाता है। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी तिथि 22 दिसंबर 2023 को मनाई जाएगी। 

मोक्षदा एकादशी कब है (Mokshada Ekadashi Kab Hai)

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की आने वाली एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी कहते हैं, मोक्षदा एकादशी को मोह का नाश करने वाली एकादशी भी कहा जाता है। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर 2023 शुक्रवार को मनाई जाएगी। मोक्षदा एकादशी तिथि 22 दिसंबर सुबह 8 बजकर 16 मिनिट से प्रारंभ होगी और 23 दिसंबर सुबह 7 बजकर 11 मिनिट पर समाप्त होगी। हमारे पंचांग अनुसार किसी भी त्यौहार या तिथि को उदिया समय से ही माना जाता है इसलिए मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर 2023 को मनाई जाएगी। 

मोक्षदा एकादशी व्रत कैसे करे (Mokshada Ekadashi Vrat Kaise Kare)

हमारे सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है और शांति एकादशी के दिन किए जाने वाले व्रत की विधि भी अलग-अलग तरह से होती है तो आज हम जानेंगे एकादशी तिथि का व्रत कैसे करें।

  • मोक्षदा एकादशी के दिन प्रातः सुबह जल्दी उठे और स्नान आदि से निवृत होकर धुले वस्त्र को पहनें उसके बाद व्रत संकल्प ले।
  • मोक्षदा एकादशी के दिन यदि आप व्रत का संकल्प लेते हैं तो आपके पूरे दिन कुछ नहीं खाना है सिर्फ फलहार करें।
  • द्वादशी तिथि पर जब आप एकादशी व्रत का पारण करेंगे तो दान पुण्य जरूर करे।
  • इस दिन भगवान कृष्ण के स्वरूप का भी स्मरण करें।
  • इसके बाद आप भगवान श्री विष्णु का स्मरण करे इसके साथ उनके कृष्ण रूप का भी सम्मान करते हुए घर में पवित्र जल छिड़के हैं।
  • तुलसी के पौधे पर पत्तियों के साथ लगने वाला तुलसी मंजरी को पूजन सामग्री में रखें।
  • भगवान गणेश, श्री कृष्ण और वेदव्यास जी की तस्वीर सामने रखें और गीता जी की प्रति भी रखें।
  • मोक्षदा एकादशी के दिन पूजा में आप भगवान गणेश को तुलसी की मंजरियां जरुर चढ़ाएं।
  • एकादशी तिथि का व्रत दशमी तिथि को शुरू होता है तथा द्वादशी तिथि पर ही पूर्ण माना जाता है।
  • एकादशी तिथि के दिन यदि आप व्रत करते हैं तो आपको रात्रि जागरण अवश्य करना चाहिए।

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि (Mokshada Ekadashi Puja Vidhi)

दोस्तों, प्रत्येक एकादशी तिथि का अपना ही अलग महत्व माना जाता है और साथ इसकी पूजा का भी विशेष व महत्व माना जाता है तो अब हम मोक्षदा एकादशी तिथि की पूजा विधि को जानेंगे।

  • मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
  • आप अपने घर के मंदिर में धूप दीप जलाकर प्रार्थना करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की तस्वीर की पूजा करें।
  • यदि आपके पास भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की मूर्ति है तो अभी अति उत्तम है।
  • इसके बाद भगवान विष्णु को पंचामृत से अभिषेक करें।
  • अभिषेक करने के बाद आप रोली और सिंदूर से तिलक करें, इसके बाद धूप और दीप लगाएं।
  • इतना करने के बाद आप भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते और पुष्प अर्पित करें।
  • हो जाने के बाद आप भगवान विष्णु को फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।
  • इसके बाद एक देसी घी का दीपक जलाएं और फिर मोक्षदा एकादशी की कथा सुने।
  • कथा सुनने के बाद आप भगवान विष्णु के विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें इसके बाद भगवान विष्णु की आरती उतारे।
  • भगवान विष्णु के बीज मंत्र का जब भी कर सकते हैं।
  • द्वादशी तिथि पर पारण करके ही व्रत खोलें।

मोक्षदा एकादशी व्रत महत्व (Mokshada Ekadashi Vrat Mahatva)

दोस्तों, मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि का अपना ही महत्व होता है और इसका व्रत रखने का भी अलग ही महत्व माना जाता है। वैसे तो नाम से ही पता चल रहा है कि मोक्षदा एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को जीवन मरण से मुक्ति मिलती है, यानी कि उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भारत के कई राज्यों में मोक्षदा एकादशी तिथि को बैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन काल से ही मान्यता है जो भी पुरुष या स्त्री मोक्षदा एकादशी के दिन श्रद्धापूर्वक व्रत करते हैं, उसे जन्म और मृत्यु के जीवन चक्र से मुक्ति तो मिलती है साथ में उसके जीवन से सभी पापों का नाश होता है।

मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत करने से भगवान श्री विष्णु जी के चरणों में स्थान प्राप्त करता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से उसके पूर्वजों, पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है। 

मोक्षदा एकादशी की कथा (Mokshada Ekadashi Ki Katha)

प्राचीन समय की बात है गोकुल नामक गांव में वैखानस नाम के राजा का शासन हुआ करता था। यह राज्य बहुत ही विशाल माना जाता था जिसके साथ वहां की सारी प्रजा हर प्रकार के सुख भोग रही थी। उसी राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण देव निवास करते थे, एक दिन ऐसा आया कि राजा ने अपने स्वप्न में उसके पिता को नर्क में प्रताड़ना झेलते हुए देखा और वह बहुत ही आश्चर्य चकित हुआ। सुबह होते ही उसने अपने दरबार में सभी विद्वान ब्राह्मणों को बुलाकर स्वप्न के बारे में बताया, ब्राह्मण देवों ने उसे राजा पर कृपा करके उसके पिता को नर्क से मुक्ति दिलवाने का मार्ग बताया। ब्राह्मण देवताओ ने राजा से कहा कि तुम्हारे राज्य की सीमा के बाहर एक ऋषि पर्वत नाम का आश्रम है, ऋषि पर्वत चारों वेदों के ज्ञाता थे वे भूतकाल, भविष्य काल और वर्तमान देखना जानते थे। ब्राह्मण देवताओं ने राजा से कहा कि वही आपकी सहायता कर सकते हैं, इतना सुनते ही राजा तुरंत ऋषि पर्वत नमक आश्रम पहुंचे और मुनिश्रेष्ठ पर्वत को प्रणाम किया। राजा ने अपने सपने की बात ऋषि पर्वत के सामने रखी, ऋषि पर्वत ने अपनी आंखें बंद करके उस राजा के पिता का भूतकाल देखा। भूतकाल देखने के बाद उस राजा के पिता के सारे कर्म ऋषि पर्वत के सामने आ गए। ऋषि पर्वत ने राजा के पिता के कर्म उसे राजा को बताएं जिसे सुनकर परेशान राजा ने इसका उपाय पूछा। ऋषि पर्वत ने कहा है राजन आप अपने पिता को नर्क से मुक्ति दिलाने के लिए आपको प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि का व्रत रखना होगा, यदि तुम मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का व्रत संपूर्ण विधिवत रूप से करोगे तो तुम्हारे पिताजी को नर्क से मोक्ष मिल जाएगा। ऋषि पर्वत के वचनों को सुनकर राजा अपने राज्य में वापस आए और अपने पूरे परिवार के साथ मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का व्रत करना प्रारंभ किया। वह अपनी शक्ति के अनुसार ब्राह्मण और गरीबों में दान पुण्य भी करते रहे। राजा और उसके पूरे परिवार के मोक्षदा एकादशी तिथि के व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को नर्क से मुक्ति मिल गई। स्वर्ग जाते समय राजा के पिता ने उसके पुत्र से कहा कल्याण हो और उसे आशीर्वाद दिया। तब से ही ऐसा माना जाता है कि जो कोई पुरुष या स्त्री संपूर्ण विधिवत मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत रखता है उसके सभी पाप दूर होते हैं और उसके पूर्वजों को भी मुक्ति मिल जाती है।

दोस्तो, आज हमने आपको मोक्षदा एकादशी तिथि के बारे में बताया तो कैसा लगा आपको हमारा यह लेख आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।

धन्यवाद 

Leave a Comment

Amavasya Kab Hai 22024 masik shivratri january 2024 date Pradosh Vrat 2024 January Kab Hai vinayak chaturthi 2024 in hindi Safla Ekadashi Kab Hai 2024