Amavasya Kab Hai 2024 । अमावस्या के दिन क्या नही करना चाहिए, महत्व , पूजा विधि 

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हेलो दोस्तों, जैसा कि आप सभी जानते हैं हमारे हिंदू धर्म में हर महीने 2 पक्ष आते हैं एक कृष्ण पक्ष दूसरा शुक्ल पक्ष, दोनों पक्षों में हर महीने अमावस्या आती है इस प्रकार महीने में 2 अमावस्या पड़ती हैं। अमावस्या का दिन बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है, चंद्रमा हमारी पृथ्वी का पूरा चक्कर 28 दिनों के अंतराल में करता है 15 दिन के अंतराल से चंद्रमा पृथ्वी की दूसरी तरफ होता है जिसे भारत से उसको देखा नहीं जाता। जिस दिन भारत से चंद्रमा पूरी तरह से नहीं देखा उसी दिन अमावस्या तिथि होती है जैसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार 30 दिनों को 15-15 दिन चंद्रकला के आधार पर 2 पक्ष बांटे गए हैं। कसम आपको अपने इस लेख के माध्यम से अमावस्या के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने का प्रयास करेंगे।

नाम अमावस्या
कब है11 जनवरी 2024
तिथि प्रारंभ10 जनवरी रात्रि 08 बजकर 10 मिनिट
तिथि समापन11 जनवरी शाम 05 बजकर 26 मिनिट 

अमावस्या क्या है

यदि हम शुरू से गिने तो हमारे सनातन धर्म में 30  तिथियां होती हैं, जिनकी शुरुआत पूर्णिया से होती है और अमावस्या पर खत्म होती है। पूर्णिमा, प्रतिपदा, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या। इस प्रकार हमारे सनातन धर्म में हर 15 दिन में तिथि बदलती रहती हैं। हर महीने दो पक्ष होते हैं दोनों पक्षों में एक तिथि दो बार आती है। शुक्ल पक्ष की अमावस्या और कृष्ण पक्ष की अमावस्या दोनों का अपना-अपना ही महत्व होता है। पंचांग के अनुसार माह की 30वी और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है जिस दिन चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता। प्रतीक मां की अमावस्या को कोई ना कोई पर्व अवश्य मनाया जाता है ताकि व्यक्ति का ध्यान धर्म की ओर लग रहे। क्योंकि अमावस्या के दिन नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा में बनी रहती हैं। सनातन धर्म के अर्जी धरती पर दोनो तरह की शक्तियों का वर्चस्व रहता है। 

अमावस्या कब है

किस वर्ष 2024 में जनवरी की पहली अमावस्या 11 जनवरी को है, पंचांग अनुसार अमावस्या की तिथि 10 जनवरी की रात 8 बजकर 10 मिनिट से शुरू होगी, जो 11 जनवरी की शाम 5 बजकर 26 मिनिट तक रहेगी। इसीलिए उदिया तिथि अनुसार पौष अमावस्या 11 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी।

अमावस्या पर क्या होता है

हिंदू शास्त्र के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष के अंत में अमावस्या तिथि आती है, हालांकि अमावस्या तिथि को रिक्त तिथि कहते हैं क्योंकि इस तिथि पर कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन रात्रि के समय चंद्रमा दिखाई नहीं देता, क्योंकि अमावस्या तिथि पर सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में गोचर करते हैं जिसके कारण चंद्रमा काफी कमजोर हो जाता है। इस दिन चंद्रमा राशि वालों की जातकों के मन में नकारात्मकता का प्रवेश होने लगता है इसलिए इस दिन ज्यादा से ज्यादा भजन, पूजन, ध्यान करना चाहिए। है लकी और और चंद्रमा के एक राशि में होने पर पितरों को प्रसन्न करने का महत्वपूर्ण दिन होता है, जिससे हमारे द्वारा किए गए किसी भी कार्य में गति आती है और नौकरी व्यापार आदि में सफलता मिलती है।

अमावस्या पर क्या नहीं करना चाहिए

अमावस्या तिथि के दिन कुछ ऐसे कार्य होते हैं, जिन्हें हमें करने से बचना चाहिए जो इस प्रकार से हैं।

  • इस दिन किसी भी प्रकार से जीव जंतु को हानि नहीं पहुंचाना चाहिए।
  • अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार से शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए।
  • अमावस्या तिथि के दिन इत्र लगाकर बाहर नहीं जाना चाहिए।
  • इस दिन बड़े बुजुर्गों का अपमान नहीं करना चाहिए।
  • अमावस्या के दिन तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए

अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में गोचर करते हैं जिससे नकारात्मकता का प्रभाव अत्यधिक रहता है, इसलिए कुछ ऐसे कार्य हैं जिसे करने से हमारे अंदर नकारात्मकता दूर होती है, जो इस प्रकार से है।

  • अमावस्या के ज्यादा से ज्यादा भजन, पूजन करना चाहिए।
  • अमावस्या के दिन रात्रि में भगवान के मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
  • इस दिन स्नान करने वाले पानी में गंगाजल डाल कर नहाए है।
  • अमावस्या के दिन ज्यादा से ज्यादा दान पुण्य करना चाहिए।
  • अमावस्या के दिन हमें जीव जंतुओं को चारा खिलाना चाहिए।

अमावस्या का महत्व 

हर महीने की अमावस्या का महत्व अलग-अलग होता है, वर्ष 2024 की पहली अमावस्या 11 जनवरी को है, मंगलवार के दिन अमावस्या को भौमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन दान और स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। मार्गशीर्ष की अमावस्या पर दान पुण्य करने से पितृ दोष के दुष्प्रभाव को कम कर सकते हैं, इसके अलावा पवित्र नदियों में भी स्नान जरूर करना चाहिए। मार्गशीर्ष की अमावस्या पर गाय, कौवे, और कुत्ते को भोजन करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। ऐसे में आने वाली अमावस्या के दिन आप जरूरी है कार्य करें।

अमावस्या की पूजा विधि 

अमावस्या के दिन आप जो नित्य पूजा करते हैं वह पूजा कर सकते हैं लेकिन हम आपको हनुमान जी की पूजा के बारे में बताएंगे। अमावस्या के दिन होने वाली हनुमान जी की पूजा की विधि कुछ इस प्रकार से है।

  • अमावस्या के दिन सभी को प्रातः काल जल्दी उठना चाहिए।
  • ब्रह्म मुहूर्त में नहाकर अपने घर की साफ सफाई करें।
  • अब आप अपने घर के मंदिर की भी साफ सफाई करें और गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें।
  • आप चाहे तो हनुमान जी का जलाभिषेक भी कर सकते हैं।
  • अब प्रभु को लाल चंदन और लाल पुष्प अर्पित करें।
  • अपने घर के मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें।
  • अब आप श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी की आरती करें, इसके बाद उन्हें लड्डू का भोग लगाएं।
  • अब आप अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
  • यदि आप अपने घर में नित्य पूजा करते हैं, वह भी विधि पूर्वक करें।
  • अमावस्या तिथि की कोई विशेष पूजा नहीं होती आप अपनी दैनिक दिनचर्या के हिसाब से ही पूजा कर सकते हैं।

दोस्तों, आज हमने आपको अमावस्या तिथि के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने का प्रयास किया है, हर महीने में दो अमावस्या तिथि आती है इस प्रकार वर्ष में 24 अमावस्या तिथि पड़ती हैं। यदि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।

धन्यवाद

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