Jaya Ekadashi 2024 | जया एकादशी कब है, जया एकादशी करने से क्या होता है

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

हेलो दोस्तों, हमारे सनातन धर्म में हर महीने 2 एकादशी आती है पहली कृष्ण पक्ष की एकादशी, दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी और दोनों ही एकादशी का अपना ही अलग-अलग महत्व माना जाता है। वैसे तो वर्ष में 24 एकादशी पड़ती हैं, लेकिन जिस साल अधिक मास होता है तब इनकी संख्या 24 से 26 हो जाती हैं। 1 फरवरी 2024 को जया एकादशी का व्रत रखा जाएगा, आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से जया एकादशी 2024 के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने का प्रयास करेंगे अंत तक आप हमारे साथ बने रहिएगा। 

नाम जया एकादशी 2024
कब है 20 फरवरी 2024
तिथि प्रारंभ19 फरवरी 08:49 AM
तिथि समापन20 फरवरी 09:55 AM
व्रत महत्वपिशाच योनि से मुक्ति
व्रत पारण द्वादश तिथि को

जया एकादशी क्या है

जैसा कि आप सभी जानते हैं एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तिथि मानी जाती है क्योंकि यह तिथि भगवान विष्णु को ही समर्पित मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजन की जाती है तथा उनके लिए व्रत रखा जाता है जिससे भक्तों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस दिन व्रत करने से भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है तथा आनंद की प्राप्ति होती है। एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु के भक्त और सभी वैष्णव संप्रदाय के भक्त बड़े ही उत्साह पूर्वक उनकी पूजा अर्चना करते हैं, जिस भगवान विष्णु के आशीर्वाद से उन सभी के जीवन से नकारात्मक ऊर्जाएं दूर हो जाती हैं और पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष अनुसार एकादशी व्रत विधि पूर्वक पालन करने से जातक को व्रत का फल जल्दी मिलता है।

जया एकादशी व्रत कब है

हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी व्रत पड़ता है, इस वर्ष जया एकादशी 20 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त जन बड़े ही श्रद्धा पूर्वक भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। जया एकादशी तिथि 19 फरवरी को सुबह 08 बजकर 49 मिनिट से प्रारंभ होगी जिसका समापन 20 फरवरी सुबह 09 बजकर 55 मिनिट पर होगा। हमारे सनातन धर्म में किसी भी तिथि को उदिया अनुसार मनाया जाता है इसलिए एकादशी तिथि हम 20 फरवरी 2024 को मनाएंगे।

जया एकादशी व्रत से क्या होता है 

जया एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है तथा मृत्यु के बाद उसे भूत प्रेत नहीं बनना पड़ता। इसके अलावा जो व्यक्ति जया एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करता है उसे नीच योनि से मुक्ति मिल जाती है।

जया एकादशी व्रत का महत्व 

एकादशी तिथि का पुराणों और शास्त्रों के अनुसार बहुत ही शुभ महत्व माना जाता है, क्योंकि वर्ष में जितनी भी एकादशी तिथियां पड़ती हैं उन सभी के अलग-अलग महत्व माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार जया एकादशी का भी बहुत ही अच्छा महत्व है, महाभारत के समय जब अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से इस एकादशी के महत्व के बारे में पूछा था, तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा की माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को यदि कोई मनुष्य उपवास रखता है, तो उसे भूत, प्रेत, पिशाच आदि की योनि से मुक्ति मिल जाती है इसके अलावा इसके व्रत के फल स्वरुप उसे कुयोनी से सहज ही मुक्ति मिल जाती है। जया एकादशी का व्रत करने से मनुष्य सहस्त्र वर्ष तक स्वर्ग में वास करते हैं। 

जया एकादशी व्रत की पूजा विधि 

आज हम आपको जया एकादशी के दिन होने वाली व्रत की पूजा विधि विस्तार पूर्वक बताने का प्रयास करेंगे जो इस प्रकार से है।

  • सबसे पहले आपको एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने दैनिक कार्यों से निवृत होना है।
  • अब आप ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान कर लें, स्नान पश्चात अपने पूजा स्थल को भी अच्छे से साफ करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें।
  • यदि आप एकादशी के दिन व्रत संकल्प लेना चाहते हैं तो अक्षत (चावल) और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें।
  • अब आप भगवान विष्णु की प्रतिमा को ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करते समय पंचामृत से स्नान करवाएं।
  • अब आप भगवान विष्णु को वस्त्र पहनाएं।
  • अब चंदन और रोली से उन्हें तिलक करें।
  • अब आप उन्हें जनेऊ, गंध, अक्षत, पुष्प, तिल, धूप, दीप, नैवैध, ऋतु फल, पान, नारियल इत्यादि अर्पित करें।
  • इसके बाद आप कपूर से भगवान की आरती करें।
  • आरती पश्चात आप भी प्रसाद ग्रहण करें और घर के सदस्यों को भी प्रसाद ग्रहण करवाएं।

जया एकादशी के दिन क्या करे 

जया एकादशी के दिन हमें क्या कार्य करना चाहिए कुछ इस प्रकार से हैं।

  • यदि आप एकादशी के दिन व्रत का संकल्प लेते हैं तो आपको सिर्फ फलहार खाना है।
  • एकादशी के दिन आप पवित्र नदियों में स्थान अवश्य करें।
  • जया एकादशी के दिन आप अपने घर में गरीब ब्राह्मण को भोजन अवश्य करवाएं।
  • एकादशी के दिन जरूरतमंद की सहायता अवश्य करें और उसके फल के बारे में न सोचें।
  • एकादशी के दिन जीव जंतुओं को भी भोजन अवश्य खिलाएं।

जया एकादशी के दिन क्या ना करे

एकादशी के दिन न करने वाले कुछ निम्नलिखित कार्य हैं जो इस प्रकार से हैं।

  • एकादशी के दिन तामसिक चीजों का सेवन बिलकुल भी ना करें।
  • एकादशी के दिन यदि व्रत रखते हैं तो भोजन बिल्कुल भी ना खाएं, फलहार कर सकते हैं।
  • एकादशी के दिन चावल और पोहे के सेवन से बचें।
  • एकादशी के दिन किसी भी व्यक्ति से गलत ना बोले।
  • एकादशी के दिन माता-पिता का हृदय ना दुखाएं।

जया एकादशी की पौराणिक कथा 

जया एकादशी की पुराणों के अनुसार कुछ इस प्रकार से पौराणिक कथा है एक समय भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर महाराज जी को इसके बारे में बताते हुए बोला। प्राचीन समय में एक बार इंद्र की सभा में कुछ अप्सराएं नृत्य कर रही थी, तभी उस सभा में प्रसिद्ध गंधर्व पुष्पवंत और उनकी पुत्री पुष्पवती तथा चित्रसेन की स्त्री मालिनी और उसका पुत्र माल्यावन वहां पहुंचे। उसे समय पुष्पवती माल्यावन को देखकर मोहित हो गई जिससे उसके मन में काम का भाव उत्पन्न हो गया। पुष्पावती ने अपने रूप सौंदर्य और हाव-भाव से माल्यावन को कामशक्त कर दिया पुष्पावती के इस सौंदर्य रूप को देखकर कामशक्त होकर यौन क्रियाओं में लिप्त हो गए। उन्हें अलग करने के लिए राजा इंद्र ने दोनों को बुलाया और अपनी सभा में नाचने का आदेश दिया। इंद्र के इस आदेश से दोनों नाचने के लिए आ गए लेकिन कामातुर होने के कारण सही से नृत्य नहीं कर पा रहे थे, इंद्रदेव उन्हें देखकर सब समझ गए और उन्होंने क्रोधित होकर दोनों को श्राप दे दिया कि तुम दोनों स्त्री पुरुष के रूप में मृत्यु लोक में जाकर पिशाच रूप धारण करो और अपने कर्मों का फल भोगों। इंद्र द्वारा मिले इस श्राप के कारण ही दोनों हिमालय पर पिशाच बनाकर अपना जीवन दुख पूर्वक व्यतीत कर रहे थे दोनों को पूरी रात नींद नहीं आती थी। एक दिन पिशाच ने अपनी स्त्री से कहा हमने पूर्व जन्म में ऐसी कौन से पाप किए हैं जिससे हम इतनी कष्टदाई पिशाच योनि प्राप्त हुई है। एक दिन अचानक दोनों की भेंट एक देवर्षि से हुई देवर्षि ने उनसे दुखी होने कारण पूछा तो दोनो ने यथावत संपूर्ण बातें बताई,जिसके कारण उन्हें पिशाच योनि प्राप्त हुई थी। देवर्षि द्वारा उन्हें माघ मास के शुक्ल पक्ष की जया एकादशी कि संपूर्ण विधि विधान बताई गई इसके बाद दोनों ने विधिपूर्वक जया एकादशी का व्रत रखा और रात्रि को भगवान नारायण का स्मरण करते हुए जागरण किया। अगले दिन प्रात काल ही भगवान विष्णु की इतनी कृपा हुई की दोनों ही पिशाच योनि मुक्त हो गए और दोनों ही पूर्व शरीर प्राप्त होकर इंद्रलोक पहुंच गए। उन्होंने इंद्रलोक पहुंचकर इंद्रदेव को प्रणाम किया तो इंद्र भी उन्हें पूर्ण रूप में देखकर हैरान हो गए और पूछा की तुमने अपनी पिशाच देह किस प्रकार मुक्ति पाई तब दोनों ने सारा वृत्तांत सुनाया। तब से ऐसा माना जाता है कि जया एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करने से व्यक्ति को पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है।

दोस्तों, आज हमने आपको अपने इसलिए के माध्यम से Jaya Ekadashi 2024 के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने का प्रयास किया है, यदि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई हो तो आप हमे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।

धन्यवाद

Leave a Comment

Amavasya Kab Hai 22024 masik shivratri january 2024 date Pradosh Vrat 2024 January Kab Hai vinayak chaturthi 2024 in hindi Safla Ekadashi Kab Hai 2024