राधे राधे प्रिय भक्तों! सनातन धर्म में खगोलीय घटनाओं का विशेष महत्व है। इसी कड़ी में, इस वर्ष का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025, रविवार के दिन लगने जा रहा है। इस ग्रहण को लेकर विशेषकर हमारी गर्भवती माताओं एवं बहनों के मन में कई प्रकार के सवाल और आशंकाएं हैं।
इस लेख में, हम आपको इस सूर्य ग्रहण से जुड़े हर पहलू—जैसे क्या यह भारत में दिखाई देगा, सूतक काल के नियम, और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानियों— के बारे में सरल भाषा में विस्तार से बताएंगे।
क्या इस बार का सूर्य ग्रहण भारत में दिखेगा?
यह सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है और इसका उत्तर है— नहीं।
21 सितंबर 2025 का सूर्य ग्रहण एक आंशिक ग्रहण (Partial Solar Eclipse) होगा। यह ग्रहण भारतीय समयानुसार रात 10:59 बजे से शुरू होकर, अगले दिन 22 सितंबर की सुबह 3:24 बजे तक रहेगा। चूंकि इस दौरान भारत में रात का समय होगा और सूर्य दिखाई नहीं देगा, इसलिए यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
क्या सूतक काल मान्य होगा?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण का सूतक काल केवल उन्हीं क्षेत्रों में मान्य होता है जहाँ ग्रहण दिखाई देता है। चूंकि यह ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा, इसलिए आधिकारिक तौर पर सूतक काल के सख्त नियम मान्य नहीं होंगे।
हालाँकि, ग्रहण का सूतक काल सामान्यतः 12 घंटे पहले (यानी 21 सितंबर की सुबह लगभग 11:00 बजे) से शुरू होता है। उस समय सूर्य देव भारत में विद्यमान रहेंगे। इसलिए, संवेदनशील व्यक्तियों, विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए, कुछ सावधानियाँ बरतना शुभ माना जाता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानियाँ (Precautions for Pregnant Women)
ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव गर्भवती महिलाओं और उनके शिशु पर माना जाता है। नकारात्मक ऊर्जाओं के प्रभाव से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
- तुलसी पत्र का उपयोग: सूतक काल शुरू होने से पहले (सुबह 11:00 बजे से पहले) पीने के पानी के बर्तन, भोजन में और पूजा स्थल पर तुलसी के पत्ते अवश्य रख दें।
- लाल चंदन का तिलक: सूतक शुरू होते ही अपने पेट पर लाल चंदन की तीन horizontal रेखाएँ अवश्य बनाएं। ऐसा माना जाता है कि इससे ग्रहण का कोई भी दुष्प्रभाव शिशु पर नहीं पड़ता।
- इन कार्यों से बचें: सूतक काल के दौरान कैंची, चाकू, सुई या किसी भी धारदार वस्तु का use न करें। सिलाई, कढ़ाई, बाल या नाखून काटने जैसे कार्य वर्जित माने गए हैं।
- घर के अंदर रहें: यदि कोई अत्यंत आवश्यक कार्य न हो, तो गर्भवती महिलाओं को सूतक काल और ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
सामान्य जन क्या करें और क्या न करें?
- भोजन: सूतक काल में खाना बनाना और खाना वर्जित नहीं है। हालाँकि, खाना बनाते समय चाकू आदि के use से बचने की सलाह दी जाती है।
- ग्रहण काल के दौरान (रात 10:59 से 3:24 तक): इस दौरान भोजन न करें। पानी पीना और अन्य essential activities allowed हैं।
- भगवान की मूर्तियों को न छुएं: ग्रहण की अवधि में भगवान की मूर्तियों या तस्वीरों को स्पर्श न करें। दूर बैठकर भगवान के नाम का जप, मंत्रोच्चारण या ध्यान करना लाभदायक रहता है।
- घर के अंदर रहें: ग्रहण की अवधि में परिवार के सभी सदस्यों को घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है।
ग्रहण समाप्ति के बाद क्या करें?
22 सितंबर की सुबह ग्रहण समाप्त होने के बाद:
- सबसे पहले चाय-नाश्ता न करें।
- स्नान करें। स्नान के जल में थोड़ा सा गंगाजल अवश्य मिलाएं।
- पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- इसके बाद ही भगवान की मूर्तियों को जल से स्नान कराएं और सामान्य दिनचर्या शुरू करें।
सर्वपितृ अमावस्या और ग्रहण
21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या (Pitru Paksha) भी है, जिस दिन पूर्वजों का तर्पण और श्राद्ध कर्म किया जाता है। चूंकि ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए सूतक काल में भी श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म करने में कोई दिक्कत नहीं है। यदि संभव हो, तो सूतक शुरू होने से पहले ही इन कर्मों को संपन्न कर लेना श्रेष्ठ रहेगा।
निष्कर्ष: प्रिय भक्तों, इस बार का सूर्य ग्रहण भारत में न दिखने के कारण सामान्य दिनों जैसा ही रहेगा। फिर भी, थोड़ी-सी सावधानी और spiritual practices को अपनाकर हम किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से अपने आप को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं।
हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए helpful रही होगी। यदि गर्भवती माताओं के मन में अभी भी कोई प्रश्न है, तो आप निसंकोच comment section में पूछ सकती हैं।
राधे राधे!