श्री शिवाय नमस्तुभ्यं, शारदीय नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कन्या पूजन एक अत्यंत शुभ, सरल और फलदायी उपाय है। अक्सर भक्तों के मन में कन्या पूजन को लेकर कई प्रश्न होते हैं, जैसे कि इसे कब करें, कैसे करें, और किन बातों का ध्यान रखें।
इस विस्तृत लेख में, हम आपको कन्या पूजन की सम्पूर्ण विधि बता रहे हैं, ताकि आप इसका पूर्ण लाभ उठा सकें और माता रानी को प्रसन्न कर सकें।
कन्या पूजन कब करें? (सही समय और तिथि)
नवरात्रि के नौ दिनों में से किसी भी एक दिन कन्या पूजन किया जा सकता है। लेकिन सबसे अधिक फलदायी दिन अष्टमी और नवमी तिथि माने जाते हैं।
- शुभ मुहूर्त: कन्या पूजन का सबसे शुभ समय सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच का माना जाता है।
- लचीलापन: यदि आप अष्टमी या नवमी को नहीं कर पाएं, तो नवरात्रि के किसी अन्य दिन भी पूजन करने से पूरा फल प्राप्त होता है।
कितनी और कितनी उम्र की कन्याएं बुलाएं?
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है। सही संख्या और उम्र का ध्यान रखने से पूजन का फल कई गुना बढ़ जाता है।
- कन्याओं की संख्या: आदर्श रूप से 9 कन्याओं का पूजन किया जाता है।
- लंगूर का महत्व: 9 कन्याओं के साथ ही एक छोटे लड़के (जिसे लंगूर कहते हैं) का पूजन करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
- कन्याओं की आयु: दो से लेकर दस साल तक की कन्याएं बुलाई जा सकती हैं। लेकिन पांच साल या उससे छोटी कन्याओं का पूजन सबसे ज्यादा फलदायी माना जाता है। छोटी बच्चियों में मां का निर्मल स्वरूप विद्यमान होता है।
कन्या पूजन की स्टेप-बाय-स्टेप विधि (Step-by-Step Guide)
चरण 1: स्वागत और पैर धोना (सबसे महत्वपूर्ण)
जब कन्याएं आपके घर आएं, तो सबसे पहले उनका स्नेहपूर्वक स्वागत करें। एक पात्र में शुद्ध जल लें और अपने हाथों से उनके पैर धोएं। इस जल में आप गंगाजल और थोड़ा सा दूध मिला सकते हैं, जिससे यह और भी पवित्र हो जाता है। पैर धोने के बाद, इस जल को अपने पूरे घर में छिड़काव करें ताकि घर पवित्र हो। बचा हुआ जल किसी पेड़ की जड़ में डाल दें।
चरण 2: तिलक, अक्षत और चुनरी
अब सभी कन्याओं को आसन पर बैठाएं। उन्हें टिका लगाएं, अक्षत (चावल) चढ़ाएं और उन्हें लाल रंग की चुनरी (चुनरी ओढ़ाएं) अर्पित करें। यह मां दुर्गा का प्रतीकात्मक श्रृंगार है।
चरण 3: भोजन (सात्विक और स्वादिष्ट)
कन्याओं को भोजन करवाना पूजन का मुख्य भाग है। इन बातों का विशेष ध्यान रखें:
- सात्विक भोजन: भोजन बिल्कुल सात्विक होना चाहिए, यानी इसमें लहसुन-प्याज का प्रयोग वर्जित है।
- विशेष पकवान: भोजन में खीर, पूरी, हलवा जैसे पकवान जरूर शामिल करें।
- स्नेहपूर्वक सेवा: कन्याओं को प्रेम से भोजन कराएं। उनकी थाली में उनकी इच्छा के अनुसार, कभी खाली न होने दें। उनके मांगने से पहले ही उनकी पसंद की चीजें परोसें।
चरण 4: भेंट और विदाई (बहुत महत्वपूर्ण)
भोजन के बाद कन्याओं को भेंट देना अत्यंत फलदायी है।
- अनाज का प्रसाद: एक पन्नी में गेहूं या चावल भरकर दें। ऐसा माना जाता है कि इससे घर का धन-धान्य का भंडार भरता है।
- फल और दक्षिणा: उन्हें फल (जैसे केला या सेब) और कुछ पैसे (दक्षिणा) अवश्य दें।
- खिलौने और उपहार: उन्हें खेलने के लिए खिलौने, गुड़िया, चूड़ियां, कंगन, रंग-बिरंगे रबर बैंड आदि दे सकते हैं। इससे कन्याएं अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
चरण 5: आशीर्वाद और विदाई
जाते समय कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद अवश्य लें और परिवार के सभी सदस्यों से भी ऐसा करवाएं। उनसे कहें, “बेटा, आते रहना, कल वापस आ जाना।” सुनिश्चित करें कि हर कन्या खुशी-खुशी आपके घर से जाए।
निष्कर्ष
महाराज, कन्या पूजन माता रानी को प्रसन्न करने की एक सरल और शक्तिशाली विधि है। उपरोक्त बताई गई विधि से पूजन करके आप नवरात्रि के पावन अवसर का पूरा लाभ उठा सकते हैं। हमारी ओर से आपको और आपके परिवार को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। महाराज, आपकी यह नवरात्रि बहुत खास रहे!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ Section)
Q1: क्या एक ही दिन में अलग-अलग समय पर कन्या पूजन कर सकते हैं?
जी हां, लेकिन सुबह 8 से 12 बजे के बीच का समय सर्वोत्तम है।
Q2: अगर 9 कन्याएं न मिलें तो क्या करें?
कम से कम दो कन्याओं का पूजन भी फलदायी होता है। पूरी श्रद्धा से करें।
Q3: कन्या पूजन के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा है?
अष्टमी और नवमी का दिन सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
क्या आपके मन में कोई और प्रश्न है? नीचे कमेंट करके जरूर पूछें। साथ ही बताएं कि आप यह जानकारी कहां से पढ़ रहे हैं। हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं