प्रदीप मिश्रा जी का सात लौटे जल वाला उपाय कैसे करें

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नमस्कार दोस्तों श्री शिवाय नमस्तुभ्यं

आप लोगों ने पंडित प्रदीप मिश्रा जी का साथ लौटे जल वाला उपाय जरूर सुना होगा पर कुछ लोगों को यह उपाय समझ नहीं आया होगा कुछ लोगों को आ भी गया होगा आज किस जानकारी में हम आपको साथ लौटे जल वाला उपाय बहुत ही आसान शब्दों में अच्छे से समझाने वाले हैं और इस उपाय को करने से क्या फायदे होते हैं क्या नहीं होते हैं सारी जानकारी आपको हमारी जानकारी के अंदर मिलने वाली है।

यह उपाय तब किया जाता है जब आपने पशुपतिनाथ का व्रत कर लिया हो आपने सभी तरह के उपाय करके देख लिए हो, सभी तरीके के व्रत करके देख लिए हो तब भी वह आपकी कामना या कोई दुख समस्या समाप्त नहीं हो रही हो, सब जगह से हारने के बाद ही आपको यह उपाय करना है तभी ये उपाय काम करेगा।

यह उपाय आप किसी भी दिन कर सकते हैं और प्रातः काल सुबह-सुबह शिव मंदिर जाकर ही आपको इस उपाय को करना है।

इस उपाय में आपको एक बेलपत्री और एक बाल्टी जल की आवश्यकता होगी क्योंकि आपको एक बाल्टी जल में से सात लोटे जल की भी आवश्यकता होगी।

यह दोनों चीजें लेकर आपको शिवजी के मंदिर पहुंचना है शिवजी के मंदिर जाकर 1 से 2 मिनट बैठकर शिवजी को निहारना है उसके बाद ही इस उपाय को भरना है।

सबसे पहले आप अपने साथ जो एक बेलपत्री लेकर आए हैं उस बेल पत्री को आपको शिवलिंग के ऊपर अशोक सुंदरी का जो स्थान होता है उस स्थान पर समर्पित करना है बेलपत्री की डंडी का मुख जलाधारी की ओर करके जहां से जल नीचे गिरता है।

अशोक सुंदरी का स्थान शिवलिंग की जलाधारी के ऊपर बिल्कुल बीचो-बीच होता है जो कि आप दिखाई गई तस्वीर में देख सकते हैं।

इस बेल पत्री को जवाब अशोक सुंदरी वाले स्थान पर समर्पित करेंगे तो उस समय पर आपको उस बेलपत्र की डंडी का मुख होगा वह जलाधारी की ओर करके रखना है जहां सेजल नीचे गिरता है इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखिएगा।

इस बेलपत्र को अशोक सुंदरी वाले स्थान पर 2 मिनट तक रखे रहने देना है उसके बाद आपको इस बेलपत्र को अशोक सुंदरी वाली स्थान से उठाकर शिवलिंग के ऊपर समर्पित कर देना है।

अब यहां पर भी आपको बेलपत्र कुछ इस प्रकार से समर्पित करना है कि जो बेलपत्र की डंडी का मुख होगा वह आप के विपरीत हो आप जिस तरफ से बेलपत्री समर्पित कर रहे होंगे। आपकी उस तरफ डंडी ना होकर आपके सामने की ओर डंडी होना चाहिए मतलब शिवलिंग के पीछे वह डंडी जाना चाहिए और जो बेलपत्र की बीच वाली बड़ी पत्ती का मुख होगा वह आपकी तरफ होना चाहिए। इस प्रकार से आपको शिवलिंग के ऊपर इस बेलपत्र को समर्पित करना है।

इस बेलपत्र को शिवलिंग के ऊपर समर्पित करने के बाद आपको अपनी एक बाल्टी जो आप अपने साथ लेकर आए हैं उस बाल्टी में से एक-एक लोटा जल भरकर सात बार आपको शिवलिंग के ऊपर भगवान शिव के नाम का स्मरण करते हुए या श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप करते हुए या शिवजी का कोई भी एक मंत्र का जाप करते हुए आपको 7 बार एक ही लौटे से 7 लोटा जल इसी बेलपत्र के ऊपर शिवलिंग के ऊपर समर्पित कर देना है।

अब आपको कुछ समय तक इस बेलपत्र को शिवलिंग के ऊपर चढ़े रहने देना है। उसके बाद आपको इस बेलपत्र को उठाकर अपने घर वापस लाना है अपने घर लाने के बाद इस बेलपत्र को किसी भी शुद्ध स्थान पर अपने घर के मंदिर में या कहीं पर भी अच्छे स्थान पर इसे रख दीजिए। इस बेलपत्र को आपको अपने घर पर 11 दिन रखना है या तो 21 दिन रखना है इन दोनों में से आप कोई भी एक क्रम को चुनकर वह रख सकते हैं।

11 या 21 दिन इस बेलपत्र को अपने घर में रखने के बाद आपको इस बेलपत्र को ले जाकर किसी भी बहती हुई नदी, बावड़ी या तालाब में जाकर इसे विसर्जित कर देना है और विसर्जित करते समय आपको भगवान से अपनी मन की कामना बोल देना है जिसके लिए आप यह उपाय कर रहे हैं।

यदि आप किसी नदी बावरिया तालाब में जाकर इस बेलपत्र को विसर्जित नहीं कर पा रहे हैं तो आप किसी भी वृक्ष के नीचे जाकर इस बेलपत्र को वहां पर छोड़कर समर्पित कर कर आ सकते हैं और जिस समय आप इस बेलपत्री को समर्पित कर रहे हो उस समय आपको भगवान शिव से अपनी मन की कामना बोलना है जिसके लिए आपने यह उपाय किया है वह काम आप को भगवान शिव से बोल रहा है।

इस उपाय को कोई भी व्यक्ति कर सकता है जो बहुत परेशान हो चुका है सब काम करके देख लिए पर जब भी आपकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है तो एक बार साथ लौटे जल वाला उपाय जरूर करके देखें यह उपाय पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने अपनी शिव महापुराण कथा में बताया है।

इस उपाय को करने में आपको कोई भी असुविधा होती है या आपके मन में कोई प्रश्न आता है या कोई बात समझ नहीं आती है तो उसे आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते हैं आपको उसका जवाब मिल जाएगा।

ओम नमः शिवाय

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