एकादशी व्रत के नियम और पूजन विधि

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं दोस्तों

आप सभी लोगों में से बहुत सारे लोग ऐसे होंगे जो कि एकादशी का व्रत रखते हैं पर उस एकादशी के व्रत में हमें किन नियमों का पालन करना चाहिए कुछ लोग इस बात को नहीं जानते हैं और हमें एकादशी व्रत की पूजा कैसे करनी चाहिए यह बात भी कुछ लोगों को पता नहीं होता है तो आज हम आपको बताने वाले हैं कि एकादशी व्रत में आपको किन नियमों का पालन करना चाहिए, आपको पूजन कैसे करना चाहिए, आपको एकादशी व्रत में क्या-क्या ग्रहण करना चाहिए, फल्हार करना चाहिए या नहीं करना चाहिए ऐसी बहुत से महत्वपूर्ण बातें जो कि आप को ध्यान में रखना चाहिए जब आप एकादशी का व्रत कर रहे हैं।

1 साल में कुल 12 महीने होते हैं और 12 महीनों में कुल 24 एकादशी आती हैं इस हिसाब से हर महीने 2 एकादशी पडती हैं। इन 24 एकादशी में से अपनी हर एक एकादशी का अलग अलग महत्व है और अलग अलग कथा है।

24 एकादशी में से सबसे बड़ी एकादशी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और साल में सबसे बड़ी एकादशी पड़ती है ग्यारस मतलब देव उठनी ग्यारस देवउठनी एकादशी इस दिन को देव उठते हैं और सभी अच्छे कार्य होना शुरू हो जाते हैं।

एकादशी व्रत कब शुरू करें

एकादशी व्रत को शुरू करने की भी अलग-अलग एकादशी तिथि होती हैं जिन तिथियों को आपको नए एकादशी व्रत शुरू करना चाहिए जो लोग पहले से करते आ रहे हैं उनके लिए यह बात नहीं है पर जो लोग अपने एकादशी व्रत को शुरू करना चाहते हैं उनके लिए यह बात है।

अगर आप एकादशी का व्रत रखने की सोच रहे हैं और शुरू करना चाहते हैं तो इसमें सबसे सर्वश्रेष्ठ समय होता है देवउठनी एकादशी की अगली जो एकादशी आती है उस तिथि से अगर आप व्रत रखते हैं तो यह निश्चित ही आपके लिए अच्छा रहेगा।

अगर देखा जाए तो आप इन 4 माह में कभी भी एकादशी व्रत का संकल्प लेकर उन्हें शुरू कर सकते हैं।

शुक्ल पक्ष का महीना

माघ माह का महीना

चैत्र माह का महीना और

बैसाख माह का महीना

इन चारों ही समय में से आप कोई भी समय चुनकर उस समय से उस एकादशी से व्रत रखना शुरू कर सकते हैं और व्रतों के नियमों का पालन कर सकते हैं।

इन चारों माह में जो भी एकादशी पड़ती है आप उस एकादशी से अपने व्रत को रखना चालू कर सकते हैं।

एकादशी व्रत कब से शुरू नहीं करना चाहिए

एकादशी व्रत शुरू करने के कुछ समय ऐसे भी होते हैं उस समय से आपको कोई भी एकादशी व्रत शुरु नहीं करना चाहिए।

पौष माह में आपको एकादशी व्रत की शुरुआत नहीं करना चाहिए। पौष पोस्ट महा दिसंबर महीने के बीच में शुरू होता है और जनवरी महीने के बीच तक चलता है मतलब दिसंबर महीने की 15 तारीख से जनवरी महीने की 15 तारीख तक पौष महा माना जाता है इस बीच में आपको एकादशी व्रत की शुरुआत नहीं करना चाहिए।

एकादशी व्रत कितने समय का होता है

एकादशी व्रत 3 दिनों तक मान्य रहता है मतलब कोई भी एकादशी व्रत अगर आप लोग रख रहे हैं तो वह 3 दिनों के लिए रहता है।

3 दिनों से कहने का मतलब है कि जिस दिन एकादशी पड़ती है उसके 1 दिन पहले और एकादशी के एक दिन बाद के दोनों दिन भी एकादशी व्रत में ही गिने जाते हैं मतलब दशमी तिथि से एकादशी का व्रत शुरू हो जाता है और द्वादशी तिथि तक एकादशी का व्रत चलता है।

एकादशी व्रत के 3 दिनों के नियम

एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से हो जाती है तो दशमी तिथि को आपको सुबह से ही शुद्ध हो जाना है कहने का मतलब यह है कि आप दशमी तिथि को अन्न खा सकते हैं पर आपको उस दिन लहसुन प्याज का सेवन नहीं करना है और कोई भी ऐसी चीज को नहीं खाना है जो कि हमारे शरीर को अशुद्ध कर सकती है।

दशमी तिथि और द्वादशी तिथि कब से शुरू हो रही होगी एकादशी व्रत के समय यह चीजों को आप अपने घर के अखबार में देख सकते हैं या तो आप अपने मोबाइल के गूगल पर जाकर भी इस बात को देख सकते हैं क्योंकि हर एकादशी का समय अलग अलग होता है इसलिए यहां पर हम आपको नहीं बता सकते हैं।

दशमी तिथि के बाद एकादशी तिथि आती है जिसके लिए हम व्रत रखते हैं। एकादशी तिथि के दिन आपको पूरे दिन में अन्न का एक भी दाना ग्रहण नहीं करना है पूरे दिन के अंतराल में आप अपने शरीर की शक्तियों के अनुसार फलहार (साबूदाना) फल जैसे कि सेवफल, केला आदि खा सकते हैं।

अगर देखा जाए तो एकादशी का व्रत निर्जला होता है पर आज की जिंदगी में लोगों को बहुत ज्यादा काम होता है। जिसकी वजह से उनके शरीर में शक्ति भी होना चाहिए इसलिए आप लोग पानी ग्रहण कर सकते हैं।

एकादशी व्रत करने के बाद द्वादशी तिथि आती है तो द्वादशी तिथि को भी आपको पूरी तरीके से शुद्ध रहना है। आपको कोई भी लहसुन प्याज का सेवन नहीं करना है। आप अन्न खा सकते हैं पर कोई ऐसी चीज को ग्रहण नहीं करना है जिससे कि आपका शरीर अशुद्ध हो जाए।

एकादशी के 1 दिन पहले और 1 दिन बाद मतलब इन तीनों में दिनों में आपको ब्रह्मचर्य का पालन भी करना होगा। इस बात का विशेष ध्यान दीजिएगा।

शिव मंदिर जाते और लौटते समय यह 7 गलतियां ना करें

एकादशी व्रत में क्या खाएं

एकादशी व्रत के दिन आप एक समय फलहार साबूदाना खा सकते हैं।

एकादशी व्रत के दिन आप किसी भी तरीके का फल जैसे कि सेवफल केला आदि खा सकते हैं।

एकादशी व्रत के दिन आप चाय पी सकते हैं।

एकादशी व्रत में क्या ना खाएं

जिस दिन भी एकादशी व्रत होता है उस दिन हमें अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।

आमतौर पर एकादशी व्रत निर्जला होता है पर आज के समय के अनुसार जल पी सकते हैं क्योंकि हमारे शरीर में शक्ति होना जरूरी है।

एकादशी के दिन अशुद्ध चीजों का स्पर्श भी नहीं करना चाहिए।

एकादशी व्रत की पूजा विधि

एकादशी व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सुबह उठकर अपने घर के भगवान को नहला कर उनकी पूजा भी करनी चाहिए। उसके बाद आपको पूरे दिन शुद्ध तरीके से रहना चाहिए और भगवान श्री हरि विष्णु के नाम का और श्री हरि विष्णु के इस मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।

एकादशी व्रत के दिन आपको रात्रि में श्री हरि विष्णु के नाम का जाप और उनके नाम का भजन करना चाहिए। इससे निश्चित ही आपके एकादशी व्रत का फल आपको बहुत जल्द मिल जाएगा।

एकादशी व्रत के दिन क्या दान करें

एकादशी व्रत में आप पूरा 1 दिन अन्य का एक दाना भी अपने शरीर के अंदर ग्रहण नहीं करते हैं तो आपको एकादशी व्रत के दिन अन्न का दान किसी गरीब को अवश्य करना चाहिए इससे आपको बहुत अच्छा फल देखने को मिलेगा।

कठिन नियमो वाली एकादशी

अगर आप लोग एकादशी का व्रत रखते हैं तो आपको यह 8 एकादशी व्रत नहीं रखनी चाहिए अगर आप लोग एकादशी व्रत पूरे नियम पूरी शुद्धता से रखते हैं जैसे कि आप पूरे दिन पानी नहीं पीते हैं या आप लोग फल हार नहीं करते हैं या कुछ ग्रहण करते हैं तो बहुत ही कम ग्रहण करते हैं। तो ही आपको यह 8 एकादशी व्रत करने चाहिए।

चातुर्मास में जितनी भी एकादशी पड़ती हैं, आठ एकादशी चातुर्मास में होती है। इन आठों एकादशी का कड़े नियमों के साथ पालन करना पड़ता है इसलिए अगर आप कड़े नियमों का पालन करते हैं तो ही आप इन आठों एकादशी को करें अन्यथा इन आठों एकादशी को जो कि चतुर्मास में पढ़ती है इनको ना करें क्योंकि इनका अलग ही महत्व है।

अधिक महत्वपूर्ण बातें

एकादशी व्रत के दिन आपको किसी भी लकड़ी से दातुन नहीं करना चाहिए। आप चाहे तो एकादशी के दिन आम की लकड़ी से दातुन कर सकते हैं। अगर ऐसा ना हो पाए तो आप नींबू या आम के पत्ते जो कि गिर जाते हैं पेड़ से टूटकर उन पत्तों को आप अपने मुंह में चबा सकते हैं। पत्तों को इसलिए नहीं तोड़ना है क्योंकि एकादशी के दिन पत्तों को तोड़ना वर्जित माना जाता है। उन पत्तों को आप अपने मुंह में चबाकर उसके बाद अपनी उंगली से अपने मुंह को साफ करके भी दातुन कर सकते हैं।

आप चाहे तो 12 बार पानी से कुल्ला कर सकते हैं वह भी दातुन माना जाता है।

एकादशी व्रत के दिन आपको अपने मुंह से बुरे वचन, बुरे शब्द नहीं बोलना चाहिए।

एकादशी व्रत के दिन आपको कम बोलना चाहिए क्योंकि अगर आप ज्यादा बोलेंगे तो कहीं ना कहीं किसी के लिए आपके मुंह से बुरे शब्द निकल ही जाएंगे।

एकादशी व्रत के दिन आपको अपने घर की कोई खास साफ सफाई नहीं करना चाहिए।

अगर आपके मन में कोई भी सवाल है एकादशी व्रत को लेकर तो उसे आप हम से कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारी जानकारी पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

Leave a Comment

Amavasya Kab Hai 22024 masik shivratri january 2024 date Pradosh Vrat 2024 January Kab Hai vinayak chaturthi 2024 in hindi Safla Ekadashi Kab Hai 2024