नमस्कार दोस्तों, आज हम इस लेख में आप लोगों को बागेश्वर धाम सरकार जी के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के जीवन के बारे में बताएंगे कि उन्होंने अपने बचपन को कैसे बताया हैं और आज वह इस स्थान पर कैसे पहुंचे हैं। उन्होंने अपने जीवन में किन कठिनाइयों का सामना किया हैं।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी बागेश्वर नाम से चर्चा में रहते हैं। गुरुजी को सब बागेश्वर धाम के नाम से ही बुलाते हैं बल्कि बागेश्वर धाम बालाजी का नाम हैं उस जगह का नाम हैं, जहां पर गुरुदेव का भव्य बागेश्वर धाम का मंदिर हैं।
अब हम बात करते हैं बागेश्वर धाम सरकर जी के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के जीवन परिचय के बारे में, उन्होंने अपना बचपन कैसे व्यतीत किया हैं और आज वह अपना समय कैसे व्यतीत करते हैं।
बागेश्वर धाम सरकार कौन है?
बागेश्वर धाम सरकार स्वयं बालाजी का एक नाम हैं जिनका स्थान ग्राम गड़ा जिला छतरपुर में स्थित हैं। बागेश्वर धाम सरकार हनुमान जी के रूप हैं।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज कौन हैं?
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर हैं। जिन्होंने बचपन से ही अपने आपको बालाजी के चरणों में समर्पित कर दिया हैं और 8, 9 साल की उम्र से बागेश्वर धाम की भक्ति कर रहे हैं जिस कारण वह बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर भी बन चुके हैं।
Bageshwar Dham Sarkar – Dhirendra Krishna Shastri ji Maharaj Biography
बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज जीवन परिचय |
पूरा नाम (Full Name) | पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज (Pandit Dhirendra Krishna Shastri ji Maharaj) |
उपनाम (Nick Name) | बागेश्वर धाम सरकार (Bageshwar Dham Sarkar) |
जन्म-तिथि (Date of Birth) | 4 जुलाई 1996 (4 July 1996) |
जन्म स्थान (Birth Place) | ग्राम गड़ा, जिला छतरपुर, मध्य प्रदेश |
पिताजी का पूरा नाम (Father Name) | रामकृपाल गर्ग (Ramkripal Garg) |
माताजी का पूरा नाम (Mother Name) | सरोज गर्ग (Saroj Garg) |
दादाजी का पूरा नाम (Grand Father Name) | भगवानदास गर्ग (Bhagwan Das Garg) |
भाई का पूरा नाम (Brother Name) | शालिग्राम गर्ग जी महाराज (shaligram Garg Ji Maharaj) |
बहन का पूरा नाम (Sister Name) | Unknown |
शैक्षणिक योग्यता (Educational Qualifications) | बीए पूर्ण किया (B.A Complete) |
व्यवसाय (Profession) | 1. सनातन धर्म प्रचारक 2. कथा वाचक 3. दिव्य दरबार 4. बागेश्वर धाम मंदिर 5. यूट्यूब चैनल 6. फेसबुक पेज 7. इंस्टाग्राम पेज |
बोलचाल की भाषा (Language Known) | 1. हिंदी 2. बुंदेली 3. संस्कृत 4. अंग्रेजी |
वैवाहिक स्थिति (Marriage Status) | अविवाहित (Unmarried) |
प्रिय मित्र (Best Friends) | 1. शेख मुबारक 2. राजाराम |
दादा गुरु (Dada Guru) | श्री दादा गुरु सन्यासी बाबा जी महाराज |
आय (Income) | Not Accurate |
नेटवर्थ (Net Worth) | Not Accurate |
प्रिय भगवान (Devotee Of) | बागेश्वर धाम सरकार बालाजी महाराज हनुमान जी (Bageshwar Dham Sarkar Balaji Maharaj Hanumaan Ji) |
आने वाला जन्मदिन (Upcoming Birthday) | 4 जुलाई 2023 (4 July 2023) |
बागेश्वर धाम सरकार का जीवन परिचय?
अब हम बात करते हैं बागेश्वर धाम सरकार मतलब पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के संपूर्ण जीवन के बारे में, उनका बचपन का जीवन कैसा था, उन्होंने किन-किन कठिनाइयों का सामना किया हैं और भी बहुत सारी बातें आपको जानने के लिए मिलेगी।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का जन्म 4 जुलाई 1996 को छतरपुर जिले के पास गड़ागंज ग्राम में हुआ था।
सबसे पहली बात बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का परिवार एक बहुत ही साधारण और गरीब परिवार था। जिनके पास रहने के लिए ना तो अच्छा घर था और ना ही प्रतिदिन भोजन करने के लिए भोजन था और ना ही अच्छे कपड़े थे।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के परिवार में कुल 5 सदस्य रहते हैं। जिसमें से उनकी माताजी, पिताजी, भाई, बहन और पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी रहते हैं।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने अपना बचपन बहुत ही कठिनाइयों में बताया हैं। इनके पिता जी कुछ काम नहीं किया करते थे जिसकी वजह से इनके घर में पैसे आने की कोई साधन नहीं थी। इनके परिवार में जो भी पूजा पाठ से दान दक्षिणा आया करती थी उसी से थोड़ा बहुत घर चल पाता था।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के बचपन में ही उनके परिवार का भार उन पर आ गया था क्योंकि उनके घर में कमाने वाला कोई भी व्यक्ति नहीं था क्योंकि उनके पिताजी कोई काम नहीं करते थे।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी अपने परिवार के साथ में एक छोटे से कमरे में रहा करते थे और वह अपनी माताजी को एक ही साड़ी में देखते थे। जब भी कोई त्यौहार आता था तो उनके घर में कोई पकवान नहीं बनते थे तो यह देखकर उन्हें बहुत पीड़ा होती थी।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने बचपन से ही धन कमाने के तरीकों को ढूंढना शुरू कर दिया था क्योंकि उनके घर की समस्याएं बढ़ती जा रही थी। उनको भी लगता था कि वह भी अच्छे कपड़े पहने अच्छा खाना खाए और उनके पास भी धन हो, फिर वह अपने दादा गुरु के पास जाते हैं और उनसे अपनी समस्या बोलते हैं। दादा गुरु एक ही बात बोलते हैं कि बालाजी के चरणो में अपने आप को समर्पित कर दो सारी दुख और समस्याएं दूर हो जाएंगी।
फिर एक बार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी अपने दादा गुरु के पास पहुंचे कि आप तो दुनिया वालों का सब कुछ बता देते हो आप हमारे बारे में कुछ बताओ। उसके बाद वह मुस्कुराए और इनको बिटवा, धीरेंद्र, धीरू कहा करते थे।
इनके दादा गुरु इनको अपनी झूठी चाय पिलाया करते थे। आश्चर्य की बात यह है कि इनके परिवार में सभी 9-10 भाइयों में से इनको ही इनके दादा गुरु झूठी चाय पिलाया करते थे। के बाद में वह इस झूठी चाय के पात्र को धोकर रख दिया करते थे।
फिर उसके बाद इनके दादा गुरु ने इनकी बांह पकड़कर बालाजी से उन्होंने जीवन भर के लिए जोड़ दिया और कहा कि इससे बड़ी संपत्ति कोई और नहीं। इसके बाद में इनके दादा गुरु ने इनको एक लीला भी दिखाई एक भव्य प्रकाश उस वक्त उनके सामने हुआ था जो कि किसी को बताने का विषय नहीं हैं, यह अनुभव का विषय हैं।
फिर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी सोचते हैं कि इन्होंने हमको हमारी गरीबी कब हटेगी हैं नहीं बताया, कोई गड़ा हुआ धन नहीं बताया, कोई हीरो की खदान नहीं बताईं क्योंकि पन्ना में हीरे बहुत पाए जाते हैं। उस समय पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को होश नहीं था कि उस समय उनके दादा गुरु ने उनको क्या संपत्ति दे दी थी जो कभी खर्च नहीं होनी हैं।
इनके दादा गुरु जी का काशी वास होना था क्योंकि इनके दादा गुरु जी ने पहले ही कह दिया था कि हम काशी में शरीर छोड़ेंगे जिसके कारण इनके परिवार जन इनके दादा गुरु को लेकर 15-20 दिन पहले ही काशी मणिकर्णिका घाट लेकर चले गए थे। वहां पर 15 दिनों तक इनके दादा गुरु एक धर्मशाला में रहे। 15 दिन बाद जब पितृपक्ष लगा पितृपक्ष की परमा को सुबह 6:00 बजे के लगभग उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया था।
कुछ ही समय बाद पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के दादा गुरु जी का काशी वास हो गया। जो दादा गुरु उनको सब प्रेरणा देते थे उनको बालाजी की साधना सिखाते थे। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या किया जाए।
उसके बाद अचानक से पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी की बचपन से ही उन्हें स्वप्न में प्रेरणा प्राप्त होने लगी। स्वप्न में उन्हें यह प्रेरणा मिलती थी कि अगर आगे बढ़ना है तो साधना करो।
बालाजी के आशीर्वाद से उन्हें यह स्वप्न आया कि आप अज्ञातवास की साधना करो। अज्ञातवास की साधना से ही संसार की कठिनाइयों को पार करके आप लोगों के जीवन में एक ऊर्जा एक प्रकाश प्रकाशित कर सकते हैं।
उसके बाद पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने सोचा कि यह ऐसे ही स्वप्न होंगे। फिर इन्होंने अपनी माताजी और पिताजी को इस सपने के बारे में बताया। उनके माता-पिता जी ने भी कहा कि ऐसा कुछ नहीं हैं यह साधारण स्वप्न हैं। इस समय इनके पिताजी कुछ काम धाम करने लगे थे।
उसके बाद में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को दूसरी बार भी स्वप्न आया, तीसरी बार भी स्वप्न आया कि अज्ञातवास की साधना करो।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को यह नहीं पता था कि अज्ञातवास होता क्या हैं, साधना क्या होती हैं। फिर इन्होंने खोज की तो पांडवों का अज्ञातवास पड़कर देखा। साथ ही में इनके दादा गुरु ने इन्हें आशीर्वाद देकर इनकी बुद्धि को भी खोला। फिर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को समझ आया कि इस अज्ञातवास से हम इस संसार रूपी महाभारत में खड़े होने लायक तो बन नहीं सकते हैं।
इसी अज्ञातवास के बीच में सद्गुरु भगवान सन्यासी बाबा भी मिले जो इनके वंशीय गुरु थे जिनके ऊपर दादा गुरु की कृपा भी थी।
अब सन्यासी बाबा ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को धीरे-धीरे करके पूरी साधना बता दी और उनको अपना आशीर्वाद देकर उनको अपने घर भेज दिया।
फिर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का उनके गांव में वहां पर स्वागत हुआ और फिर वहां पर उन्होंने अपनी गद्दी संभाल ली और सन्यासी बाबा बागेश्वर बालाजी द्वारा दी गई साधना से उन्होंने लोगों के दुखों को दूर करना शुरू किया।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी बचपन से ही बालाजी की सेवा में पूर्ण रद्द हो गए थे क्योंकि उनके दादा गुरु बागेश्वर धाम के मंदिर के पास में ही झोपड़ी बना कर रहा करते थे और बागेश्वर धाम सरकार की वहीं पर सेवा करते थे। बचपन में वहीं मंदिर के सामने ही पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के पिताजी की लगभग 1 एकड़ थोड़ी सी खेती थी। इनके पिताजी रोज उस समय अपनी खेती को देखने के लिए आया करते थे। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी की उम्र 6-7 वर्ष ही थी।
इनके परिवार का एक नियम था की इनके वंश से कोई ना कोई बागेश्वर बालाजी के मंदिर में सेवा करता हैं और उस समय इनके दादा जी बागेश्वर धाम के मंदिर में जारी के रूप में सेवा किया करते थे। इनके दादा गुरुजी के के ऊपर बागेश्वर बालाजी की कृपा थी और बहुत बड़ी साधना भी थी।
उस समय पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी अपने बचपन में रोज बागेश्वर बालाजी मंदिर में अपने दादा गुरु के पास आया करते थे। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी देखते थे कि उनकी दादा गुरु जी की साधना, उनकी सौम्यता, लंबी दाढ़ी और विनोद में हंसना ठहाके लगाना और चाय पीना और उनका जो बैठना, साथ ही में उस समय में लाल बत्ती के लोग इनके दादा गुरु के पास आया करते थे। कई बड़े-बड़े आईएएस ऑफिसर (IAAS Officers) उस जमाने में आध्यात्मिक सुख पाने के लिए इनके दादा गुरु के पास आते थे। बड़े लोग कथा प्रसंग सुनने और निजी जीवन के बारे में कुछ बातें समझने आते थे और दादा गुरु अपने गुरु की भूमिका निभाते थे।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी भगवान हैं?
बागेश्वर धाम के बहुत सारे भक्ति पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को भगवान मानते हैं। यह उनकी मन की भावना हैं उनकी भक्ति हैं पर पंडित जी इंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने खुद यह बात कही हैं कि वह कोई भगवान नहीं हैं उनके ऊपर बागेश्वर बालाजी की कृपा हैं, दादा गुरु, सन्यासी बाबा का आशीर्वाद हैं। जिसके कारण वह बागेश्वर बालाजी के भक्तों की मन की बात जान पाते हैं और उनको बालाजी का आशीर्वाद दिला पाते हैं।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का यह कहना है कि इंसान कभी भगवान नहीं बना सकता हैं। वह खुद कहते हैं वह कोई चमत्कारी इंसान नहीं है या वह कोई बाबा नहीं हैं।
पंडित धीरद्र कृष्ण शास्त्री जी हम सब की तरह ही एक साधारण इंसान हैं। उनके ऊपर बागेश्वर बालाजी की असीम कृपा हैं और साथ ही उनके दादा गुरु और सन्यासी बाबा का आशीर्वाद हमेशा उनके साथ में रहता हैं।
तो दोस्तों, यह बागेश्वर धाम सरकार जी के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के जीवन के बारे में कुछ ऐसी बातें हैं जो उन्होंने खुद बताईं हैं। उन्होंने खुद इन बातों को महसूस किया हैं और अपने बचपन में इन कठिनाइयों से होकर अपने जीवन को व्यतीत किया हैं।
आपको पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के जीवन परिचय के बारे में सुनकर कैसा अनुभव हो रहा हैं, इसे आप हमें कमेंट में जरूर बताएं।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जीवन के अद्भुत किस्से?
एक बार की बात है जब पंडित धीरेद्र कृष्ण शास्त्री जी अपने बचपन में 8 से 9 वर्ष करीब में अपने गांव में ही टीवी देखने जाया करते थे क्योंकि उनके गांव में एक व्यक्ति ब्लैक इन वाइट टीवी लेकर आया था। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी रोज टीवी देखने जाया करते थे।
उसके बाद में जिसके घर पर यह टीवी देखने जाया करते थे वह व्यक्ति किसी बात से रुष्ट होकर अपनी माताजी से कहता है कि यह रोज अपने घर टीवी देखने के लिए आ जाता हैं। अब बंद कर दो टीवी, फिर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी खड़े हुए और और मुस्कुराकर सीताराम बोलकर अपने घर चले गए।
घर पर जाकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी की मां ने पूछा कि क्या हुआ तो उन्होंने कहा कि लाइट चली गईं। श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को रोज वह बात अपने कानों में स्मरण हो रही थी कि रोज रोज देखने आ जाता हैं।
अब उस छोटी सी अवस्था में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने प्रण लिया कि अब हम टीवी जब देखेंगे जब हमारे बाप की खुद की टीवी होगी। फिर इनको जुनून सवार हुआ कि टीवी जब ही देखेंगे जब खुद की टीवी आएगी।
उस समय धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी पुरोहित कर्म, कर्म कांड किया करते थे। उस समय जब हैं किसी बड़े आदमी के घर में कर्मकांड करने जाया करते थे तो उस समय पर जब किसी के घर सत्यनारायण की कथा वाचने के लिए जाते थे। जब तक पूजा की तैयारी होती थी तो उस समय तक वह बड़े आदमी अपने घर में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को उस स्थान पर बैठने के लिए बोलते थे जहां पर उनके घर में टीवी रखा होता था पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने प्रण लिया था कि वह टीवी देखेंगे तो खुद की ही टीवी देखेंगे इसीलिए ये उनसे बोल दिया करते थे कि हमें यहां नहीं बैठना हम धूप में बैठ जाएंगे।
उस समय एक वोल्वो की ऐसी बस चलना शुरू हुई थी जिसमें टीवी लगी हुई होती थी तो धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी इस बात का ध्यान रखते थे कि वह ऐसी बस में ना बैठे, जिसमें टीवी लगी हुई हो पर एक समय वह ऐसा फस गए थे कि उन्हें उसी टीवी वाली वोल्वो बस में बैठना पड़ा। उस समय उस बस की सभी यात्री अपनी टीवी देखने में मग्न थे पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी अपनी आंखों को नीचे करके बैठे हुए थे क्योंकि उन्होंने प्रण लिया था कि वह टीवी देखेंगे तो अपनी खुद की टीवी देखेंगे।
अब आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि इतनी सी छोटी उम्र में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने डेढ़ साल के अंदर 3800 की मैक्स ब्लैक इन वाइट टीवी खरीद ली थी। जब उन्होंने इस टीवी को अपने घर पर लाकर चालू करें तो मोहल्ले वाले, गांव वाले, आस-पड़ोस के लोग इन पर बहुत हंसे और कहने लगे की कितना मूर्ख आदमी हैं घर में खाने के लिए भोजन नहीं हैं भिक्षा मांग कर जीवन जीता हैं और शौक तो देखो राजाओं जैसे हैं।
इस समय पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी कोई साधना नहीं जानते थे।
मोहल्ले के सभी लोग इनके घर टीवी देखने आए और “वह सज्जन भी आए जिन्होंने एक बार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी से बोला था कि यह रोज टीवी देखने आ जाता हैं टीवी बंद कर दो” क्योंकि उनकी टीवी बर (जल) गई थी। फिर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने उन सज्जन के लिए 100 ग्राम बूंदी बचाकर रखी हुई थी क्योंकि इन्हें पता था कि वह सज्जन भी टीवी देखने जरूर आएंगे। फिर उन सज्जन ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी से कहा कि अरे महाराज जी नई टीवी की क्या जरूरत थी अपने घर की टीवी थी। फिर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने अपनी वह 100 ग्राम बूंदी इन सज्जन को देकर धन्यवाद किया। फिर वह सज्जन इनसे पूछते कि ऐसा हमने क्या किया। फिर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी बताया कि आपकी वजह से ही आज यह टीवी आ पाई हैं।
आज पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी खुद टीवी पर आते हैं और इन्हें अपने बचपन का यह वाक्य याद हैं और इस माध्यम से पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने यह बात भी कही कि जब भी आपके मन में कोई प्रण हो या किसी लक्ष्य को हासिल करना चाहते हो तो उसके लिए जी जान से मेहनत करो गुरु का आशीर्वाद लेकर, बालाजी के चरणों का आशीर्वाद लेकर अपने लक्ष्य को एक दिन हासिल जरूर कर जाओगे।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का अभी का जीवन परिचय?
आप सभी लोग जानते हैं कि आज पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी की छवि देश और विदेशों में छाई हुई हैं। जितने लोग यह समझते हैं कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी आज इस स्थान पर ऐसे ही पहुंच गए हैं तो उन्हें पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के जीवन परिचय को जरूर पढ़ना चाहिए।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के ऊपर बालाजी का बहुत बड़ा आशीर्वाद है और इनकी ही कृपा से और अपनी मेहनत से आज अपना देश और विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी मात्र 4 से 5 घंटे की नींद ही ले पाते हैं क्योंकि उन्होंने अपना पूरा समय लोगों की सेवा में दिया हैं।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का मकसद?
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का अपने लिए कोई भी मकसद नहीं हैं। वह इस हिंदुस्तान के लोगों को सनातनी हिंदू बनाना चाहते हैं, सभी हिंदुओं को एक करना चाहते हैं। सभी लोगों को हनुमान जी से जुड़ना चाहते हैं।
शीर्षक
इस लेख में बागेश्वर धाम सरकार जी के जीवन परिचय की पूरी बातें हमने आपको बताई हैं साथ ही में एक वाक्या भी बताया हैं। इसी तरह के और भी वाक्या हैं जो कि आप हमारी वेबसाइट पर जाकर आराम से बैठकर पढ़ सकते हैं।
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