Gopashtmi 2023 Date: कब है गोपाष्टमी, पूजा विधि और कथा गोपाष्टमी क्यों मनाई जाती है

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नमस्कार, कैसे हैं आप सब आज का हमारा विषय देखकर आप सभी जान ही गए होंगे कि आज हम किस विषय पर आप सबको जानकारी देने वाले हैं, तो चलिए बिना समय देरी किए हम आपको गोपाष्टमी के बारे में बताएंगे। पुराणों के अनुसार भगवान कृष्ण जिस समय पहली बार गौ चारण करने अपने घर से निकले थे उसी दिन को गोपाष्टमी के नाम से जाना जाने लगा। गोपाष्टमी कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी इसी वजह से गोपाष्टमी के नाम से विख्यात हुई। गोपाष्टमी  के दिन गौ माता की विशेष पूजा का विधान माना गया है, हमारे शास्त्रों में भी वर्णित है हमारे हिंदू शास्त्रों के मुताबिक गौ माता में सभी देवी देवताओं का वास होता है। गोपाअष्टमी के दिन विशेष रूप से गौ माता की पूजा से सभी देवी देवताओं की पूजा स्वीकृत मानी जाती है। गोपाअष्टमी को गौ माता तथा उनके बछड़ों का भी सर्वाधिक महत्व माना गया है गोपाष्टमी के दिन सुबह-सुबह गौ माता का उनके बछड़ों को स्नान करने के बाद उन्हें श्रृंगार के साथ सज्य कर देना चाहिए। गोपाष्टमी पर सभी भक्तजन गौ माता और उनके बछड़ों को तैयार करते हैं उनके अंगों में रोली, हल्दी लगाते हैं,तथा प्रातः काल ही उन्हें धूप,दीप,पुष्प अक्षत,गुड,जलेबी,वस्त्र और जल से गौ माता की और उनके बछड़े की पूजा करते हैं। साथ-साथ आरती भी उतारी जाती है। गोपाष्टमी पर गौ माता और उनके बछड़ों को गौ ग्रास कराया जाता है तथा उनकी परिक्रमा भी की जाती है। इस वर्ष गोपाष्टमी 20 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी।

गोपाअष्टमी की कथा

मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण जब 6 वर्ष की आयु के थे तब उन्होंने पहली बारगौ चारण करने के लिए मैया यशोदा के सामने अपना प्रस्ताव रखा था। भगवान ने अपनी मैया से कहा “अब हम बड़े हो गए हैं हमें बछड़े नहीं अब गौ चारण करना है”। इतना सुनकर और उनकी माता यशोदा बड़ी प्रेम पूर्वक अपने नटखट नंदलाल को देखकर मन ही मैन प्रेम पूर्वक मुस्कुरा रही थी, कि कैसे उनके 6 वर्ष के पुत्र इतनी बड़ी बातें कर रहे हैं। भगवान की यह बात सुनकर मैया यशोदा ने कहा ठीक है लाला अपने बाबा से पूछ कर आ जाओ, इतना सुनते ही बालकृष्ण अपने नंद बाबा के पास पहुंचे और बड़ी मधुरता से पूछा बाबा अब मैं बड़ा हो गया हूं गौ चारण करना चाहता हूं। भगवान कृष्ण के ऐसा कहते ही नंद बाबा ने कहा लाल अभी तुम छोटे हो बछड़े ही चराओ लेकिन भगवान कहां अपनी बात से पीछे हटने वाले थे, आखिर उन्हें अपनी लीला जो करना था। जब नंद बाबा के बहुत समझाने पर भगवान नहीं माने तो नंद बाबा ने विद्वान पंडित जी को अपने निवास पर बुलाया। लेकिन भगवान कृष्ण ने यहां भी अपनी शरारती लीला दिखाई और पहले ही पंडित जी के पास पहुंचकर उन्होंने पंडित जी को कहा, आपको बाबा बुला रहे हैं गौ चारण का मुहूर्त देखने के लिए आप आज का ही मुहूर्त बता देना मैं आपको बहुत सारा माखन दूंगा। पंडित जी ने नंद बाबा के यहां पहुंचते ही बार-बार पंचांग देखकर गणना करना शुरू कर दी। नंद बाबा ने आश्चर्यचकित होकर पूजा पंडित जी क्या बात है आप बार-बार क्या देख रहे हैं, पंडित जी ने नंद बाबा से कहा क्या बताएं नंद बाबा केवल आज का मुहूर्त है इसके बाद अगले 1 वर्ष तक कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है। इतना सुनते ही नंद बाबा ने भगवान को गौ चारण की स्वीकृति दे दी। वैसे तो भगवान जिस समय जो कार्य करें वही शुभ मुहूर्त बन जाता है और उसी दिन भगवान ने गौ चारण करना आरंभ किया तथा वह दिन कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी, जिसके बाद से गोपाष्टमी के नाम से विख्यात हुई। 

गोपाष्टमी पूजा विधि

मान्यता के अनुसार भगवान के किसी भी कार्य को करने के लिए कोई पूजा विधि की आवश्यकता नहीं होती भगवान सिर्फ अपने भक्तों के भाव पूर्ण पूजा से प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक त्यौहार तथा प्रत्येक तिथि की एक अपनी ही अलग पूजा विधि मानी जाती हैगोपाष्टमी की पूजा कुछ इस प्रकार है।

  • सर्वप्रथम भक्तों को प्रातः काल उठकर अपने दैनिक नित्य क्रियाओं से निवृत्त हो जाना चाहिए तथा स्नान कर लेना चाहिए। उसके बाद अपने गौ माता और उनके बछड़ों को भी स्नान कर लेना चाहिए।
  • तत्पश्चात गौ माता और उनके बछड़ों को अच्छे से सजाया तथा तैयार किया जाता है
  • सब कार्य हो जाने के बाद उन्हें धूपबत्ती,पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए।
  • गौ माता तथा उनके बछड़ों के अंगों पर हल्दी रोली लगाना चाहिए तथा उनके अंगों को सजाना चाहिए।
  • विधिपूर्वक पूजा करने के बाद गो ग्रास करना चाहिए फिर उनकी परिक्रमा भी करना चाहिए आप उन्हें अच्छा गुड़ भी खिला सकते हैं।

गोपाष्टमी पर गौ माता को क्या खिलाए

अगर हम बात करें गोपाअष्टमी की तो इस दिन आप गौ माता को हरा चारा खिला सकते हैं,हरा मटर तथा उसके साथ-साथ गुड भी खिला सकते हैं। जिन भक्तों के पास गौ माता नहीं है वे लोग अपने आसपास की गौशाला में जाकर यह सब कर सकते हैं, तथा घर के आसपास रहने वाली गौ माता का भी पूजा विधि पूर्वक कर सकते हैं पूजा करने के बाद आप उन्हें गौ चारण भी करा सकते हैं।

गोपाष्टमी पूजा कब है

गोपाष्टमी प्रत्येक वर्ष दीपावली के बाद आने वाली कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 20 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा, पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि सोमवार सुबह 05 बजकर 21 मिनिट से शुरू हो जाएगी और मंगलवार 21 नवंबर 2023 सुबह 3 बजकर 18 मिनिट पर समाप्त हो जाएगी।

एक मान्यता यह भी

हमारे हिंदू धर्म में कई सारी मान्यताएं मानी जाती हैं जिनमें एक मान्यता ऐसी भी है, कहते हैं कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तिथि तक भगवान कृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया था। 7 दिन लगातार भूखे प्यासे भगवान कृष्ण ने अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली कनिष्ठ पर विशाल पर्वत को उठा लिया था। जिसके बाद आठवें दिन जब इंद्रदेव का अहंकार टूटा तो वह भगवान कृष्ण के पास क्षमा मांगने गए।

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धन्यवाद

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