गुप्त नवरात्रि कब है, गुप्त नवरात्रि में किसकी पूजा करना चाहिए । Gupt Navratri Kab Hai 2024

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गुप्त नवरात्रि क्या है, गुप्त नवरात्रि में किसकी पूजा करना चाहिए । Gupt Navratri Kab Hai 2024

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हेलो दोस्तों, जैसा कि आप सभी जानते हैं हमारे हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष पर महत्व माना जाता है, शास्त्र अनुसार नवरात्रि में माता रानी के नौ रूपों की पूजा की जाती है और यह नवरात्रि गणेश उत्सव के बाद आते हैं। लेकिन हमारा बहुत ही प्राचीन ग्रंथ देवी भागवत उसके अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं, 2 नवरात्रि गुप्त रूप से मनाए जाते हैं और 2 नवरात्रि खुलकर मनाए जाते हैं। गुप्त नवरात्रि में बड़े-बड़े साधक महाविद्याओं की साधना करते हैं। जैसे मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, मां बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। 2024 में गुप्त नवरात्रि माघ मास महीने की 10 फरवरी दिन शनिवार से प्रारंभ होकर 18 फरवरी 2024 को समाप्त होंगी। यदि आपको भी गुप्त नवरात्रि के बारे में नहीं पता तो हम आपको इस लेख के माध्यम से गुप्त नवरात्रि क्या है, इस विषय में सारी जानकारियां देंगे। 

नाम गुप्त नवरात्रि
गुप्त नवरात्रि प्रारंभ10 फरवरी 2024, शनिवार
नवरात्रि समाप्त18 फरवरी 2024, रविवार
कलश स्थापना मुहूर्त08:34 AM से 09:59 AM तक 
अभिजीत मुहूर्त12:13 PM से 12:58 PM तक 

गुप्त नवरात्रि क्या है

देवी भागवत के अनुसार वर्ष में दो गुप्त नवरात्रि मनाई जाती हैं इन नवरात्रियों को बड़े-बड़े जो साधक होते हैं वह अपने-अपने ईष्ट देवियों की साधना करते हैं। नवरात्रियों को विशेष कर माता रानी के लिए समर्पित माना जाता है और इन नो दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जो व्यक्ति जुड़ा होता है उनके लिए ज्यादा महत्व रखती हैं। इस दौरान देवी भगवती के साधक बहुत ही कठिन नियम के साथ व्रत रखते है और उनकी साधना करते हैं। पुराणों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में साधना करने से दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति होती है। माघ मास की नवरात्रि उत्तरी भारत में सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं और आषाढ़ नवरात्रि मुख्य रूप से दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है। पौराणिक ग के अनुसार चैप्टर और शारदीय नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है लेकिन गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की गुप्त रूप से पूजा की जाती है इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि भी कहते हैं।

गुप्त नवरात्रि को गुप्त नाम से क्यों जानते है

वैसे तो वर्ष में 4 नवरात्रि आती हैं, 2 नवरात्रियों को सभी भक्त हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं पर 2 नवरात्रि ऐसी भी होती है जो वर्ष में गुप्त होती हैं जिन्हें बहुत कम लोग जानते है। शास्त्रों के अनुसार इन नवरात्रियों को गुप्त नवरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन 9 दिन में माता के भक्त अपनी साधना गुप्त रूप से करते हैं और तंत्र-मंत्र के लिए यह नवरात्रि बहुत खास मानी जाती हैं। इन नवरात्रि में पूजा पाठ साधना को गुप्त ही रखा जाता है ज्यादा बताया नहीं जाता, जो व्यक्ति तंत्र-मंत्र साधना करना चाहता है उनके लिए यह नवरात्रि बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं। 

गुप्त नवरात्रि पर क्या होता है

गुप्त नवरात्रि में भक्त लोग पूरे विधि विधान और नियमों से माता रानी का व्रत रखते हैं और पूरे नवरात्रि तक मां के 9 दिन तक पूजा करते हैं। इन नवरात्रि में बहुत ही कठोर नियम से भक्त लोग मां की पूजा आराधना करते हैं और मां अंबे की कृपा से उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गुप्त नवरात्रि में 9 दिन तक भक्त लोग कठोर जप, कठोर साधना और दुर्लभ सिद्धियां पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। इन नवरात्रियों को सिद्धियां पाने के लिए सबसे ज्यादा शुभ और फलदाई माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति माता का साधक है और वह गुप्त नवरात्रि में एक निश्चित समय पर गुप्त रूप से मां दुर्गा के पावन स्वरूप की पूजा, आराधना, साधना करता है, तो उसे दुर्गा मां के द्वारा सुख, सौभाग्य और आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है। 

गुप्त नवरात्रि कब मनाते है

गुप्त नवरात्रियों को तिथि के अनुसार मनाया जाता है पंचांग अनुसार यह तिथि आगे पीछे भी होती रहती हैं। यदि हम 2024 के गुप्त नवरात्रि की बात करें तो 10 फरवरी 2024 से शुरू होगी। हमारे शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि को हर साल 2 बार मनाया जाता है। एक बार माघ मास में मनाई जाती है और दूसरी आषाढ़ मास में मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार माघ मास में आने वाले गुप्त नवरात्रि जनवरी-फरवरी के महीनो में मनाई जाती है जोकि 2024 में फरवरी के समय मनाई जाएगी।

गुप्त नवरात्रि पर किसकी पूजा होती है

जैसा कि दोस्तों आप सभी को पता है नवरात्रि में माता रानी के सभी अलग-अलग 9 स्वरूपों की पूजा होती है जो इस प्रकार है।

  • मां कालिके
  • तारा देवी
  • त्रिपुरा सुंदरी
  • भुवनेश्वरी देवी
  • माता छिन्नमस्ता
  • मां धूम्रवती
  • बगलामुखी माता
  • मातंगी
  • कमला देवी
  • त्रिपुर भैरवी

गुप्त नवरात्रि की पूजा में क्या करना चाहिए

दोस्तों नवरात्रि एक ऐसा त्यौहार है जिस पर माता रानी की पूजा बहुत ही श्रद्धापूर्वक करनी चाहिए पूरे नियम के साथ पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। यदि आपको पूजा करने में कुछ भी भूल होती है तो इसका परिणाम आपको बहुत ज्यादा मंहगा साबित हो सकता है, नवरात्रि की पूजा करते समय आपसे किसी भी प्रकार की गलती ना हो इसका विशेष ध्यान रखें। हम आपको नवरात्रि में को जाने वाली कुछ विशेष बाते बताएंगे जो निम्न लिखित है।

  • यदि आप गुप्त नवरात्रि में अखंड ज्योत जलाते हैं तो आप शुभ मुहूर्त देखकर कलश की स्थापना करें।
  • देवी दुर्गा मां के सामने दुर्गा सप्तशती और मार्ग देव पुराण का पाठ जरूर करना चाहिए।
  • नवरात्रि में पूरे नियम अनुसार रहे सभी नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए।
  • नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक उपवास रखें और सात्विक आहार का ही सेवन करें।
  • नवरात्रि में जरूरत मंद व्यक्ति की सहायता जरूर करना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि में क्या नही करना चाहिए

नवरात्रि के समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए हम आपको विस्तार से बताएंगे।

  • नवरात्रि में आप किसी भी जानवर को ना मारे ऐसा करने से आपको पाप लग सकता है।
  • नवरात्रि मैं आप लहसुन और प्याज से परहेज करें।
  • नवरात्रि में आपको बाल भी नही काटना चाहिए और हाथ पैर के नाखून भी नही काटें।
  •  नवरात्रि में आपको शराब जैसे गंदे पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • नवरात्रि में तामसिक मांसाहार जैसे भोजन को भी नहीं खाना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि में पूजा करने के लाभ

वैसे तो पूजा पाठ करने का कोई दिन नहीं होता भगवान अपने भक्तों से सदैव प्रसन्न रहते हैं और वह उनकी रोज की पूजा से ही आशीर्वाद प्रदान करते है। लेकिन हम आपको  नवरात्रि में पूरे नियम के साथ पूजा और व्रत का पालन करने के कुछ लाभ के बारे में बताएंगे।

  • गुप्त नवरात्रि में पूजा पाठ साधना करने से मां दुर्गा जल्दी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
  • इस नवरात्रि के दौरान सबसे प्रसिद्ध विधि तांत्रिक विद्या है जिसके द्वारा धन, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
  • गुप्त नवरात्रि की पूजा करने से शैतानी ताकतों के प्रभाव को खत्म कर दिया जाता है और भक्तों के दिल से भय को दूर करने में इन नवरात्रियों को शक्तिशाली माना जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि में मां के सभी नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा करने से भक्तों के जीवन से कष्ट दूर हो जाते है।

गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि

दोस्तों नवरात्रि एक ऐसा पर्व है जिसमें किसी भी प्रकार की छोटी से छोटी भूल भी बड़ी सी बड़ी नुकसानदायक साबित हो सकती है। इसलिए आप जब भी नवरात्रि की पूजा करें तो आप अपने आसपास के किसी भी पंडित या ज्योतिषाचार्य की सलाह लेकर ही करें।

गुप्त नवरात्रि का महत्व

वैसे तो वर्ष में आने वाली सभी नवरात्रियों का अपना-अपना महत्व होता है लेकिन गुप्त नवरात्रि का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है। जैसा कि शब्द से ही नवरात्रि अर्थात नो रात्रियों का बोध माना जाता है। इस नवरात्रि में रात्रि शब्द को सिद्धि का प्रतीक माना गया है, प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि मुनियों ने रात्रि को दिन की तुलना में अधिक महत्व दिया है। और यही कारण है कि शिवरात्रि, होलीका, दीपावली और नवरात्रि आदि जैसे पवित्र त्योहार को रात में मनाने की परंपरा रही है। 

नवरात्रि की पौराणिक कथा

प्राचीन समय में महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्मा जी का परम भक्त था, महिषासुर ने ब्रह्मा जी की कठिन तपस्या से उन्हें प्रसन्न करके वरदान प्राप्त किया था। ब्रह्मा जी द्वारा दिए वरदान के अनुसार महिषासुर को कोई भी देव,दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य उसे मार नहीं सकता था। ब्रह्मा जी द्वारा ऐसा वरदान पाकर महिषासुर और भी क्रूर और निर्दय हो गया, उसने तीनो लोकों में इतना भयानक आतंक मचा दिया कि उसके आतंक से परेशान होकर सभी देवी देवताओं ने ब्रह्मा जी, विष्णु जी और महादेव के साथ मिलकर मां शक्ति से सहायता मांगी। सभी देवी देवताओं, भगवान ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु और भगवान शिव जी के प्रार्थना करने पर संसार को अत्याचार से मुक्त करने के लिए मां दुर्गा प्रकट हुई। इसके बाद माता दुर्गा और महिषासुर राक्षस के बीच 9 दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और अंत में दसवें दिन दुर्गा मां ने महिषासुर का संहार किया। उस दिन के बाद से ही युद्ध के 9 दिनो को बुराई पर अच्छाई की विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान श्री राम ने लंका पर आक्रमण करने जा रहे थे, तब उन्होंने ने सर्वप्रथम रामेश्वरम में 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की थी। भगवान राम जी के द्वारा 9 दिनों तक पूजा आराधना करने के बाद प्रसन्न होकर दुर्गा मां ने उन्हें युद्ध में विजय होने का आशीर्वाद दिया। भगवान राम जी ने लंका पति रावण से युद्ध में विजय प्राप्त की और उसका वध कर दिया। उस समय से ही इन नौ दिनों को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और लंका पर विजय प्राप्त करने के दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है।

दोस्तों आज हमने आपको अपने इस लेख के माध्यम से गुप्त नवरात्रि के बारे में कुछ तथ्य बताएं है। हम आशा करते हैं आपको सभी जानकारियां प्राप्त हो गई होगी, यदि आप भी गुप्त नवरात्रि में पूजा करते है तो आपको कठोरता से नियम का पालन करना होगा। आपको हमारे द्वारा लेख पसंद आया तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।

धन्यवाद 

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