महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है और हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि 2025 में भी लाखों भक्त इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाएंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाशिवरात्रि मनाने के पीछे की असली कहानी क्या है? आइए, इस लेख में जानते हैं।
महाशिवरात्रि की पौराणिक कहानी
महाशिवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी समुद्र मंथन की है। पुराणों के अनुसार, जब देवताओं और राक्षसों ने समुद्र मंथन किया, तो उसमें से विष निकला। इस विष से पूरी सृष्टि को खतरा हो गया। तब भगवान शिव ने इस विष को पीकर संसार की रक्षा की। विष के प्रभाव को कम करने के लिए शिवजी ने उसे अपने कंठ में धारण किया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और उन्हें “नीलकंठ” कहा जाने लगा।
एक अन्य कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इसे शिव-पार्वती के मिलन का प्रतीक भी माना जाता है।
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि का त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने, दूध, दही, शहद और बेलपत्र अर्पित करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि 2025 में कब है?
महाशिवरात्रि 2025 में 26 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में जागरण करते हैं और शिव की आराधना करते हैं।
महाशिवरात्रि कैसे मनाएं?
- व्रत और पूजा: इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाते हैं।
- मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं।
- जागरण: रात्रि में जागरण करके भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है।
- दान-पुण्य: गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
महाशिवरात्रि न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह आध्यात्मिक जागृति का भी प्रतीक है। यह दिन हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का संदेश देता है। महाशिवरात्रि 2025 में भी इस पर्व को पूरे विधि-विधान से मनाएं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।