मौनी अमावस्या कब है, माघी अमावस्या के दिन क्या होता है । Mauni Amavasya 2024

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हेलो दोस्तों, जैसे कि आप सभी जानते हैं माघ का महीना चल रहा है और माघ मास के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि को माघी अमावस्या के नाम से जाना जाता है, जिसे हमारे शास्त्रों में मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो हर महीने 1 अमावस्या और 1 पूर्णिमा तिथि आती है इस प्रकार वर्ष में 12 अमावस्या और 12 पूर्णिमा तिथि मनाई जाती हैं। लेकिन जिस वर्ष अधिक मास होता है तब इनकी संख्या एक-एक और बढ़ जाती है। प्राचीन काल से ही चला आ रहा है कि मौनी अमावस्या के दिन सुबह स्नान करने का व्यक्ति के जीवन में बड़ा ही महत्व माना जाता है। प्रयागराज में इस दिन बड़े ही धूमधाम से भक्तों का जमावाड़ा होता है। वर्ष 2024 में मौनी अमावस्या 9 फरवरी शुक्रवार को मनाई जाएगी, आज हम आपको माघ महीने की माघी अमावस्या के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने का प्रयास करेंगे।

नाम मौनी अमावस्या
अन्य नाममाघी अमावस्या
कब है09 फरवरी 2024
दिनशुक्रवार
तिथि प्रारंभ08 बजकर 02 मिनिट
तिथि समापन04 बजकर 28 मिनिट
सर्वार्थ सिद्धि योग07:05 AM से 11:29 PM तक 

मौनी अमावस्या क्या है 

हमारे सनातन धर्म में 12 अमावस्या पड़ती हैं जिसमें सबसे ज्यादा महत्व सोमवती अमावस्या का होता है उसके बाद मौनी अमावस्या का भी उतना ही अधिक महत्व होता है, जैसे कई जगह माघ अमावस्या या माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हमारे वैदिक पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या के नाम से जाना जाता है। सभी 12 अमावस्या को अलग-अलग नाम से जाना जाता है और माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हम मौनी अमावस्या के नाम से जानते हैं। वैसे तो ज्यादातर अमावस्या तिथि पितरों के तर्पण के लिए जानी जाती है,  लेकिन इस दिन व्यक्ति के जीवन में व्रत करने से सुख और शांति भी आती है। 2024 में मौनी अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है जिससे अमावस्या का दिन और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा। 

मौनी अमावस्या कब है 

वर्ष 2024 में मौनी अमावस्या 09 फरवरी दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 9 फरवरी को सुबह 08 बजकर 02 मिनिट से प्रारंभ होगी जिसकी समाप्ति अगले दिन 10 फरवरी सुबह 04 बजकर 28 मिनिट पर होगी, अमावस्या की तिथि 10 फरवरी को सूर्य उदय से पहले ही समाप्त हो रही है इसी कारण यह तिथि 09 फरवरी के दिन मनाई जाएगी। 

मौनी अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग 

इस बार माघ अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है जो सुबह 07 बजकर 05 मिनिट से प्रारंभ होगा और रात 11 बजकर 29 मिनिट तक चलेगा। हमारे शास्त्रों के अनुसार यह बहुत ही शुभ मुहूर्त बन रहा है जिसके अंतर्गत किए गए सभी कार्य सफल और सिद्ध पूर्वक साबित होते हैं। Mauni Amavasya के दिन किया गया दान पूजा पाठ का पूर्ण फल प्राप्त होता है लेकिन इस विशेष मुहूर्त में करने से इसका फल और भी ज्यादा दोगुना रहेगा। 

मौनी अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए 

माघ अमावस्या के दिन व्यक्ति को क्या-क्या करना चाहिए, हम आपको कुछ इस प्रकार से विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे।

  • मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को पूरे दिन मौन रहना चाहिए या फिर जरूरत अनुसार ही बोलना चाहिए।
  • मन के देवता चंद्र देव हैं और अमावस्या के दिन चंद्रमा के दर्शन न होने की वजह से मन की स्थिति बिगड़ती है, इसलिए इस दिन बहुत सोच समझकर उचित निर्णय लेना चाहिए।
  • मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है ऐसे में आप नदियों में स्नान करने जरूर जाएं।
  • मौनी अमावस्या के दिन हमें ज्यादा से ज्यादा दान पुण्य करना चाहिए।
  • मौनी अमावस्या के दिन हो सके तो किसी भी तीर्थ स्थल पर जरूर जाएं या अपने आसपास ही मंदिर भी जा सकते हैं।
  • मौनी अमावस्या के दिन तिल के लड्डू और तिल के तेल का दान अवश्य करें।
  • मौनी अमावस्या के दिन सूर्य देव को दूध में तिल मिलाकर अर्घ्य जरूर दें।
  • मौनी अमावस्या के दिन आंवले का भी दान कर सकते हैं।

मौनी अमावस्या के दिन क्या नही करना चाहिए 

मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए हम आपको बताएंगे।

  • मौनी अमावस्या के दिन हमें बिना नहाए कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
  • मौनी अमावस्या का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है इसलिए इस दिन किसी भी प्रकार से तामसिक भोजन न करें।
  • माघ अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार के जीव जंतुओं को परेशान नहीं करना चाहिए।
  • माघ अमावस्या के दिन हो सके तो गौ माता को चारण जरूर करवाएं।
  • मौनी अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार से अपशब्दों का उपयोग न करें और ना ही बड़े बुजुर्गों का अपमान करें।

मौनी अमावस्या पूजा विधि 

यदि आप भी मौनी अमावस्या के दिन व्रत रखते हैं और विधिपूर्वक पूजा विधि के बारे में जानना चाहते हैं तो इस प्रकार से आप विधिपूर्वक पूजा कर सकते हैं।

  • माघी अमावस्या के दिन सबसे पहले आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठे।
  • अब आपको अपने दैनिक नित्य क्रियायो से निवृत होना है।
  • अब आपको पवित्र नदी में स्नान करना है या फिर घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • अब आप सूर्य देव को अर्घ्य जरूर दें।
  • इसके बाद आप अपने भगवान का जलाभिषेक करें।
  • जो नियमित पूजा आप करते हैं ठीक उसी प्रकार पूजा करें।
  • भगवान को चंदन और पुष्प अर्पित कर सकते हैं।
  • अब आप घी का दीपक जरूर जलाएं।
  • यदि आप व्रत रखना चाहते हैं तो व्रत का संकल्प भी ले सकते हैं।
  • अब आप नियमित पूजा अनुसार विधि पूर्वक पूजा करें।
  • इसके बाद भगवान को भोग लगा कर आरती करें।
  • अंत में आप भगवान से क्षमा प्रार्थना जरूर करें।

मौनी अमावस्या का महत्व 

वैसे तो हमारे शास्त्रों में सभी अमावस्या तिथियां का अलग-अलग महत्व है लेकिन सबसे ज्यादा सोमवती अमावस्या और मौनी अमावस्या का ही महत्व माना जाता है। यदि आप हर मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं तो उस स्नान से आपके जीवन के सारे पापों से आपको मुक्ति मिल जाती है। मौनी अमावस्या के दिन यदि आप विधिपूर्वक व्रत रखते हैं तो इससे आपके शरीर को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होगी और आपके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी। वैसे तो मौनी अमावस्या के दिन तिल और तिल से बने व्यंजन का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है क्योंकि इससे सूर्य देव का भी आशीर्वाद आपके ऊपर बना रहता है। यदि आप चाहे तो मौनी अमावस्या पर 11 लौंग और कपूर से भी हवन कर सकते हैं ऐसा करने से आपको पैसों की तंगी समस्या का समाधान मिलेगा, बल्कि आपके रुके हुए पैसे की भी जल्द वापसी होगी।

मौनी अमावस्या की पौराणिक कथा 

आज हम आपको मौनी अमावस्या की पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे प्राचीन काल में कांचीपुरी नाम की एक नगरी थी जहां पर देवस्वामी नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसे ब्राह्मण की एक पत्नी थी जिसका नाम धनवती था और उसके 7 पुत्र और 1 पुत्री थी। उसकी पुत्री का नाम गुणवती था और उसे ब्राह्मण ने अपने सातों पुत्रों के विवाह करने के बाद ही बेटी के लिए बार तलाश ने सबसे बड़े पुत्र को भेजा। उसने एक ज्योतिषी को अपनी पुत्री की कुंडली दिखाई और ज्योतिष में बताया कि विवाह होते ही कन्या विधवा हो जाएगी। ज्योतिषी की बात सुनकर बेचारा ब्राह्मण बहुत ही दुखी हो गया और उसने इसका उपाय पूछा। ब्राह्मण के द्वारा उपाय पूछे जाने पर ज्योतिषी ने बताया सिंहल दीप पर एक सोम नमक धोबिन रहती है, यदि कन्या की शादी से पहले घर आकर वह पूजा करें तो यह दोष दूर हो जाएगा। ब्राह्मण ने गुणवती को अपने सबसे छोटे पुत्र के साथ सिंहल द्वीप पर भेज दिया, जब दोनों भाई-बहन सागर किनारे पहुंचे तो उन्होंने सागर को पार करने की कोशिश करने लगे। बहुत प्रयास करने के बाद जब समुद्र को पार करने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया, तो वह भूखे प्यासे एक बट वृक्ष के नीचे आराम करने लगे। वहीं पास में पेड़ पर घोसला पर एक गिद्ध का परिवार रहता था उसे समय घोसले में सिर्फ गिद्ध के बच्चे थे और वह सुबह से उन दोनों भाई-बहन के क्रियाकलापों को देख रहे थे। शाम को जब गिद्ध के बच्चों की मां भजन लेकर घोसला पर आई तो गिद्ध के बच्चे उस भाई बहन की अपनी मां को बताने लगे। बच्चों की बात सुनकर गिद्ध की मां नीचे बैठे भाई बहन पर दादा आई और उन्होंने बच्चों को आश्वासन दिया कि वह उनकी समस्या का समाधान करेगी। दया और ममता से बसी भूत गिद्ध माता उनके पास गई और बोली मैं आपकी समस्या को पहचान लिया है इस वन में जो भी फल फूल मिलेगा मैं आपके लिए लेकर आऊंगी और सुबह होने से पहले ही आपको धोबिन के पास पहुंचा दूंगी। अगले दिन सुबह होते ही गिद्ध माता ने दोनों भाई बहन को समुद्र पार कराया और सोमा के पास पहुंचा दिया गुणवती प्रतिदिन सुबह सूर्योदय से पहले सोमा का घर लीप दिया करती थी। एक दिन सोमा ने अपनी बहू से पूछा कि प्रतिदिन सुबह हमारा घर कौन लिपता है उसकी बहू ने अपनी स्वयं की प्रशंसा करने के लिए कहा कि हमारे अलावा और कौन ऐसा करेगा, लेकिन सोमा को उनकी बातों पर यकीन नहीं हुआ और यह जानने के लिए वह पूरी रात जागती रही। आखिरकार उसने स्वभाव के समय गुणवती को घर साफ करते हुए देख लिया और उसे उसकी परेशानी के बारे के पूछा। गुणवती द्वारा परेशानी बताने के बाद वह धोबिन काफी चिंतित हो गई और उसके घर जाकर पूजा पाठ करने के लिए तैयार हो गई। सोमा ने ब्राह्मण के घर आकर पूजा पाठ की उसके बाद गुणवती का विवाह हुआ और उसके पति की मृत्यु हो गई। तब उसे धोबिन ने अपने सभी पुण्य गुणवती को दान कर दिए जिससे उसका पति जीवित हो उठा। लेकिन पुण्य की कमी के कारण सोमा के पति और बेटे की मृत्यु हो गई। जैसे ही सोमा सिंहल द्वीप पहुंची तो रास्ते में उसे पीपल वृक्ष की छाया में विष्णु जी का पूजन का कर 108 बार पीपल की परिक्रमा की, जिसके पुण्य फल से उसके परिवार के सभी सदस्य जीवित हो गए। तब से ही ऐसा माना जाता है मौनी अमावस्या के दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करके भगवान विष्णु की यदि विधिपूर्वक पूजा की जाए तो उसके जीवन में पुण्य फलों की वृद्धि हो जाती है। 

दोस्तों, आज हमने आपको मौनी अमावस्या से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों की जानकारी देने का प्रयास किया है 9 फरवरी 2024 के दिन मौनी अमावस्या मनाई जाएगी ऐसे में आप अपने घर के आसपास किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने जरूर जाएं और इस दिन बन रहे सर्वार्थ सिद्धि योग का भी लाभ अवश्य उठाएं।

धन्यवाद

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