नमस्कार दोस्तों, आप सभी लोग जानते हैं कि निर्जला एकादशी साल की सबसे बड़ी एकादशी होती है और इस एकादशी का व्रत रखने से हमें साल की सभी 24 एकादशियों का फल मिल जाता है इस बार भी निर्जला एकादशी आने वाली है जिसको लेकर आप लोगों के मन में बहुत बड़ा प्रश्न है कि इस बार एकादशी कब है और हमें इसका व्रत कब रखना चाहिए क्योंकि इस बार 2 दिन की निर्जला एकादशी पड़ रही है।
अगर आप लोग भी निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़िए।
निर्जला एकादशी कब है?
इस बार निर्जला एकादशी 6 और 7 जून दो दिन की है।
निर्जला एकादशी का व्रत कब रखना सही रहेगा?
निर्जला एकादशी का व्रत 7 जून 2025 को रखना सही रहेगा क्योंकि जिस एकादशी की तिथि में द्वादशी तिथि आ जाती है वहीं सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है इसलिए 7 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखना सही रहेगा।
निर्जला एकादशी व्रत कैसे रखें?
निर्जला एकादशी का व्रत पूर्ण रूप से निर्जला रखा जाता है मतलब इस व्रत में ना तो आप जल पी सकते हो और ना आप कुछ खा सकते हो इसीलिए इस व्रत को करने से आपके पूरे साल भर की एकादशियों का फल मिल जाता है। अगर आपके शरीर में इतनी क्षमता नहीं है तो आप इस व्रत को पानी पीकर और फलहार खाकर भी रख सकते हो।
निर्जला एकादशी व्रत में जल कब पी सकते हैं?
निर्जला एकादशी व्रत में आप जल नहीं पी सकते पर ऐसी दो जगह हैं जिस जगह पर आप अपने मुंह में जल ले सकते हो। सबसे पहले जब आप मुंह से कुल्ला करोगे तो आपका व्रत खंडित नहीं होगा और दूसरा जब आप आचमन करोगे पूजन के समय में तो भी आपका व्रत खंडित नहीं होगा।
निर्जला एकादशी व्रत के नियम
निर्जला एकादशी व्रत के नियम कुछ इस प्रकार से हैं।
- इस व्रत की शुरुआत दशमी के दिन से हो जाती है और एकादशी के बाद द्वादशी तिथि तक चलती है।
- यह व्रत पूर्ण रूप से निर्जला और निराहार रखा जाता है।
- इस व्रत में एक दिन पहले आपको सिर्फ एक ही समय भोजन करना होता है और वह भोजन सूर्यास्त होने से पहले हो जाना चाहिए।
- दशमी को आप जो भोजन करेंगे वह शुद्ध शाकाहारी भोजन होना चाहिए।
- निर्जला एकादशी व्रत के दिन आपको सुबह-सुबह जल्दी उठ जाना है क्योंकि आपको सुबह 3 बजे से 4 बजे के बीच में जल पीना होता है क्योंकि सूर्योदय के बाद आप जल नहीं पी सकते हैं।
- इसके बाद सुबह आपको स्नान कर लेना है और भगवानों को स्नान कराकर अपने व्रत का आपको संकल्प लेना है।
- अब आपको पूरा दिन भगवान के नाम का जाप करना है और किसी से अपशब्द नहीं बोलना है, झूठ नहीं बोलना है और किसी की बुराई भी नहीं करना है।
- अगर आप कोई औषधि खा रहे हैं जो कि आपके लिए जरूरी है तो आप औषधि खाते समय जल पी सकते हैं भगवान से प्रार्थना करके की यह औषधि हमारे शरीर के लिए जरूरी है इसलिए हम औषधि के लिए जल को साथ में पी रहे हैं।
- जो भी लोग निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे हैं वह निर्जला एकादशी व्रत की कथा भी जरूर सुनिए।
- निर्जला एकादशी व्रत रखने वाले को दोपहर में सोना नहीं चाहिए।
- अगर हो सके तो आपको शाम के समय भी स्नान करना चाहिए इसके बाद ही आपको दीया बाती करनी चाहिए।
- जब आप शाम की पूजन करने के लिए बैठे तो आपको एक घी का दीपक पूजन स्थल पर जरूर जलाना है।
- इसी के साथ में आपको अपने घर के दरवाजे के बाहर दो तिल के तेल का दीपक जरूर जलाना है।
- निर्जला एकादशी व्रत में रात्रि जागरण का भी महत्व बताया गया है इसीलिए अगर हो सके तो आपको रात्रि जागरण कुछ समय के लिए जरूर करना चाहिए और जब रात्रि जागरण करें तो उस जगह पर भी एक घी का दीपक जलाकर ही बैठना चाहिए।
- इसके बाद आप लोग सो सकते हैं और सुबह उठकर अपने व्रत का पारण भी कर सकते हैं।
- व्रत का पारण करते समय पारण का शुभ समय भी जरूर देख लीजिए।
- निर्जला एकादशी व्रत का पारण आप जल पीकर कर सकते हैं।
- इसी के साथ आपका निर्जला एकादशी व्रत पूर्ण हो जाता है।
निर्जला एकादशी व्रत में ऐसा क्या करें जिससे भूख और प्यास ना लगे?
निर्जला एकादशी में अगर आप चाहते हैं कि आपको ज्यादा प्यास और भूख ना लगे तो उसके लिए आपको दशमी के दिन कुछ नियमों का पालन करना होगा।
- सबसे पहले दशमी को आपको एक ही समय भोजन करना है जो भोजन आप करेंगे वह सूर्यास्त से पहले आपको करना है।
- इसके बाद 10वीं का जो भोजन आप करेंगे वह हल्का-फुल्का भोजन ही करेंगे जिसमें आप नमक का ज्यादा प्रयोग नहीं करेंगे या तालिबानी चीज भी नहीं खाएंगे।
- हल्के भोजन में आप दलिया या खिचड़ी वगैरा खा सकते हैं।
- दशमी को आपको मीठा ज्यादा से ज्यादा खाना चाहिए।
- दशमी को आप ज्यादा से ज्यादा पानी पिए इसी के साथ आप ऐसे फलों को भी खाएं जिसमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है। जैसे तरबूज, खीरा और भी बहुत सारे फल खा सकते हैं।
- इसी के साथ आप फलों का जूस भी पी सकते हैं ताकि आपका शरीर अगले दिन के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो सके।
- इन सभी नियमों का अगर आप पालन करते हैं तो आपको ज्यादा भूख और प्यास नहीं लगेगी।
निर्जला एकादशी व्रत में आखिरी बार पानी कब पी सकते हैं?
निर्जला एकादशी व्रत में आप सुबह जल्दी उठकर बिना स्नान किया सुबह 3 बजे से 4 बजे के बीच में जितना चाहे उतना जल पी सकते हैं।
निर्जला एकादशी व्रत में सुबह ब्रश या मंजन करें या नहीं?
निर्जला एकादशी व्रत में आपको सुबह ब्रश या मंजन नहीं करना है आपको सिर्फ अपनी उंगली से अपने दांतों को साफ करना है।
निर्जला एकादशी व्रत में मुंह सुखे तो क्या करें?
अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत रखा है और आपका मुंह सूख रहा है तो उसे जगह पर आपको एक सूती कपड़े को पानी में गीला करके उस गीले कपड़े को अपने होठों पर अपने सर पर या अपने गले और हथेली पर रखेंगे तो आपको आराम मिलेगा।
निर्जला एकादशी व्रत में क्या दान पुण्य करना चाहिए?
निर्जला एकादशी का व्रत रखते हुए अगर आप इस दिन दान पुण्य कर रहे हैं तो उसका फल कभी समाप्त नहीं होता है मतलब वह फल अक्षय रहता है इसलिए इस दिन आप लोग किसी भी तरह का दान कर सकते हैं जैसे कि अनाज या चावल का या जो भी आप चाहे उस चीज को जरूरतमंद व्यक्ति को दे सकते हैं पर इसके अलावा एक दान ऐसा भी है जो कि आपको जरूर देना चाहिए। इस दान में आपको एक मिट्टी का घड़ा लेना होता है उसके अंदर पानी भरकर अलग से शक्कर या गुड रखकर किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को उसको दे देना चाहिए। अगर कोई इसे ना ले तो आप इसे किसी पीपल के पेड़ के पास में रख सकते हैं या तुलसी जी के पौधे के पास में भी रख सकते हैं तो भी आपको स्थान का फल मिल जाएगा।
निर्जला एकादशी व्रत रखने वालों के लिए कुछ जरूरी बातें?
- अगर आप निर्जला एकादशी व्रत रख रहे है तो आपको किसी के द्वारा कोई भी चीज लेना नहीं चाहिए।
- निर्जला एकादशी व्रत में आपको मौन रहना चाहिए। कम से कम ही बोलना चाहिए।
- इस व्रत में एकादशी के दिन आपको जो कार्य करने हैं वह दशमी के दिन ही सोच लेना चाहिए।
- निर्जला एकादशी व्रत में आपको घर से बाहर निकालना जरूरी ना हो तो न निकलें क्योंकि अगर आप धूप में बाहर निकलेंगे तो आपको प्यास लगेगी।
- निर्जला एकादशी व्रत में माताएं बहनें अपने सभी कामों को सुबह-सुबह पूरा करले अन्यथा फिर आपको प्यास लगेगी।
- निर्जला एकादशी व्रत में आप दिन भर में दो-तीन बार स्नान करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। आपको प्यास से राहत मिलेगी।
- निर्जला एकादशी व्रत में आप दिन भर अपने घर में ठंडाई वाली जगह पर बैठे ताकि आपका मुंह ना सुखे।
- निर्जला एकादशी व्रत में आप सूती कपड़े को गिला करके उसे अपने सर पर, होंठ पर, गले पर या हथेली पर लगाएंगे तो आपको प्यास नहीं लगेगी।
- निर्जला एकादशी व्रत में आप लोग सूती और आरामदायक या ढीले कपड़े पहने।
- निर्जला एकादशी व्रत में आप अगर बाथरूम जा रहे हैं पूरे दिन भर में कभी भी तो बाथरूम से आकर आप लोग मुंह से कुल्ला कर सकते हैं आपका व्रत खंडित नहीं होगा।
निर्जला एकादशी व्रत का पारण कब करें?
निर्जला एकादशी व्रत का पारण आपको अगले ही दिन करना है आप जिस भी दिन व्रत रखें। उसके अगले ही दिन व्रत का पारण होगा और आपको सूर्योदय से लेकर सूर्योदय तक निर्जला और निराहार व्रत रहना है तभी आपको निर्जला व्रत का पूर्ण फल मिलेगा।
अगर आप 6 जून 2025 शुक्रवार के दिन व्रत रख रहे हैं तो आपको अपने व्रत का पारण 7 जून 2025 शनिवार को दोपहर 01:44 मिनट से शाम 04:31 मिनट के बीच में करना है।
अगर आप 7 जून 2025 शनिवार के दिन व्रत रख रहे हैं तो आप अपने व्रत का पारण 8 जून 2025 को सुबह सूर्योदय के बाद कभी भी कर सकते हैं।
निर्जला एकादशी का व्रत कैसे खोलें?
निर्जला एकादशी का व्रत आप पानी पीकर खोल सकते हैं।
हमने आपको निर्जला एकादशी व्रत से जुड़ी हुई सारी जानकारी देदी है। अगर अभी भी आपके मन में निर्जला एकादशी व्रत से जुड़ा हुआ कोई प्रश्न है तो उसे आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते हैं।
राधे राधे