नमस्कार दोस्तों आज हम एक ऐसे व्रत के बारे में बात करने जा रही है जिस व्रत को सभी माताएं बहने करना चाहती हैं और कर भी रही है और इस व्रत को करने से मनचाही मनोकामना पूर्ण होती है। इस व्रत को जो भी धारण करता है और पूरे नियम और विधान से व्रत को करता है उसके जीवन से सारी दुख समस्याएं भी दूर होती है तो आज हम आपको पशुपतिनाथ व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं कि यह व्रत कब किया जाता है, कैसे किया जाता है, क्या नियम होते हैं, क्या सावधानियां आपको रखनी होती है। अगर आप लोग भी पशुपतिनाथ व्रत की पूरी विधि और जानकारी जानना चाहते हैं तो आज की यह जानकारी आप अवश्य पढ़िए।
पशुपतिनाथ व्रत क्या है?
पशुपतिनाथ एक ऐसा व्रत है जो कि 5 सोमवार तक किया जाता है और इस व्रत को कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है वह स्त्री हो चाहे पुरुष यह पशुपतिनाथ का व्रत भगवान शिव जी का होता है और इस व्रत को करने से मनचाही मनोकामना भी पूर्ण होती है।
पशुपतिनाथ व्रत कब किया जाता है?
पशुपतिनाथ व्रत कब किया जाता है जब किसी व्यक्ति की कोई विशेष मनोकामना हो और वह पूरी नहीं हो रही हो सभी तरह के प्रयास करके देख लिए हो उसके बाद पशुपतिनाथ का व्रत किया जाता है जिससे कि वह मनोकामना इस व्रत को करने के बीच में ही पूर्ण हो जाती है।
पशुपतिनाथ व्रत के नियम?
पशुपतिनाथ व्रत करने वाले को कुछ नियमों का पालन करना होता है जैसे कि यह व्रत लगातार होते हैं मतलब 5 सोमवार तक व्रत को करना होता है।
पशुपतिनाथ व्रत को करने के लिए आप पहले सोमवार को जिस मंदिर में जाएंगे आपको पूरे सोमवार को उसी मंदिर में जाना पड़ेगा मतलब एक ही मंदिर में यह पशुपतिनाथ का व्रत किया जाता है।
पशुपतिनाथ व्रत की विधि
पशुपतिनाथ व्रत 5 सोमवार तक आपको लगातार करना होता है। इस व्रत को आप किसी भी सोमवार से शुरू कर सकते हैं और पांच सोमवार तक आपको यह विधि से पूजन करनी है।
सबसे पहले किसी भी सोमवार को आपको इस व्रत को शुरू करना है और प्रातः काल सुबह-सुबह उठकर स्थान करके स्वच्छ होकर एक थाली तैयार करना है। उस थाली में आप शिवजी की पूजा अर्चना करने के लिए सभी सामग्रियां रख लें और एक लोटा जल भी तैयार कर लें।
शिवजी की पूजा अर्चना करने के लिए आपको अपनी थाली में इतनी सामग्री रखनी है कि वह सामग्री आपको शाम किस समय पूजा में भी उपयोग हो जाए क्योंकि इसी थाली को आपको शाम की पूजा में लेकर जाना है।
सुबह की पूजा आप शिवजी पर एक लोटा जल चढ़ाकर और शिव जी की पूजन अर्चना करके उन पर बेलपत्र फूल अभीर गुलाल चढ़ाकर कर सकते हैं।
जिस थाली को अब सुबह लेकर गए हैं उसी थाली को आपको शाम को लेकर जाना है इसीलिए उस थाली को सुरक्षित ढाककर रख दें।
अब इस व्रत में आप दोपहर में एक समय फल हार कर सकते हैं।
उसके बाद शाम की पूजन की आपको तैयारी करनी है जो शाम की या रात की आप शिवजी के मंदिर में पूजन करने जाएंगे वह बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगी।
शाम के समय आपको सबसे पहले 6 आटे के दीपक तैयार करने हैं। जिनमें आपको गोल बाती रखकर भी डालना है मतलब 6 आटे के घी के दीपक आपको तैयार करना है।
उसके साथ में आपको एक प्रसाद का भोग भी तैयार करना है जिस भोग को पशुपतिनाथ व्रत रखने वाला व्यक्ति ही उपयोग में ले सकता है।
प्रसाद में आप लोगों पंजीरी बना सकते हैं या हलवा बना सकते हैं या घर पर बनाई हुई कोई भी मीठी सामग्री आप इसे प्रसाद के रूप में रख सकते हैं।
6 आटे के दीपक और एक पात्र में इस प्रसाद को पूरा भर कर अपनी उस पूजन की थाली में रख लीजिए।
अब अपनी पूजन की थाली को ढककर शाम के समय प्रदोष काल में शिवजी के मंदिर पहुंच जाए।
साथ ही में आप अपने घर से कुछ दोने या कुछ तीन ऐसी चीजें लेकर जाए जिससे कि आप प्रसाद के तीन भाग तीन जगहों पर रख सके।
अब शिवजी के मंदिर पहुंचकर शिव जी के दर्शन करने के बाद आपको अपनी पशुपतिनाथ व्रत की शाम की पूजन करनी है।
सबसे पहले आपको अपनी पूजन थाली में जो 6 दीपक आप बनाकर लाए हैं उन्हें शिवजी के सामने रखना है या आसपास रखना है। उसके बाद आप जो अपना प्रसाद बना कर लाए हैं सबसे पहले शिवजी के आसपास जहां पर आपने दीपक रखे हैं वहीं पर आपको प्रसाद के तीन हिस्से करने हैं। आप घर से एक ही पात्र में प्रसाद लाएं मंदिर आकर आपको प्रसाद के तीन हिस्से करके शिव जी के सामने रखने हैं।
अब आप शिवजी के ऊपर फूल बेलपत्र चावल जो आप अपनी पूजन की थाली में शिवजी का पूजन आराधना के लिए सामग्री लाई हैं उससे आप शिव जी की पूजन कर सकते हैं।
उसके बाद आपने जो अपनी थाली में से 6 आटे के दीपक शिवजी के आसपस रखे हैं उनमें से लाइन से पांच दीपक जला दीजिए।
अब भगवान शिव जी से हाथ जोड़कर प्रार्थना कीजिए कि हे भगवान शिव यह हमारा पशुपतिनाथ का पहला व्रत है और आपकी जो मनोकामना हो वह बोलकर आपको भगवान से विनती करना है।
उसके बाद आपने 6 दीपक में से पांच दीपक जलाए हैं जो एक दीपक नहीं जलाया है वह उठाकर वापस से आपको पूजन थाली में रख लेना है और प्रसाद के जो तीन हिस्से आपने किए हैं तो उसमें से दो हिस्से शिवजी के लिए छोड़कर एक हिस्सा आपक उठाकर अपनी पूजन थाली में रख लेना है।
अब आपको मंदिर से अपने घर आ जाना है और अपने घर के मुख्य द्वार पर आकर रुक जाना है। अपने घर के मेन गेट से जब आप बाहर खड़े हुए हो तो अपना सीधा हाथ देखिए और उस सीधे हाथ की चौखट पर आपको एक दीपक जलाना है जो दीपक आप मंदिर से बचाकर लाए हैं।
आप अच्छे से बैठकर अपने मुख्य द्वार की सीधे हाथ की चौखट की तरफ यह दीपक को जलाएं। जलाते समय भगवान शिव जी के नाम का आपको स्मरण करना है साथ ही में शिव जी के मंत्रों का भी जाप करना है और अपनी मनोकामना भी आपको इस दीपक को जलाते समय बोलना है।
उसके बाद आप अपने घर के अंदर प्रवेश कर जाइए और जब आप रात्रि का खाना खाने बैठेंगे तो रात्रि के खाना खाने से पहले आप जो मंदिर से एक प्रसाद का भाग बचा कर लाए हैं। उसको आपको ग्रहण करना है मतलब खाना है और उस प्रसाद का भाग आपको अपने घर की किसी और सदस्य को नहीं देना है वह पूरा प्रसाद आपको ही खाना है उसके बाद ही आपको रात्रि का भोजन ग्रहण करना है।
यही सोमवार की पूजन की विधि आपको 5 सोमवार तक करना है।
पशुपतिनाथ व्रत का उद्यापन
पशुपतिनाथ व्रत का उद्यापन करना भी जरूरी है। जो व्यक्ति पशुपतिनाथ का व्रत कर रहा हो और जब भी उसका पांचवा सोमवार का व्रत चल रहा हो तो शाम के समय जब आप लोग शाम की पूजन करने शिवजी के मंदिर जाएंगे तो उसी समय आपको पशुपतिनाथ व्रत का उद्यापन करना है। उद्यापन करने के लिए आपको कुछ सामग्रियां अपने घर से अपनी पूजन की थाली में रखकर ले जानी पड़ेगी।
- श्रीफल (नारियल)
- ₹11
- 108 चावल के दाने या शिवजी पर चढ़ने वाली सामग्री
जब आप अपने पांचवी सोमवार की शाम की पशुपतिनाथ व्रत की पूजन करने जाएं तो उस समय आपको यह उद्यापन की सामग्री लेकर जाना है अपनी पूजन करने के बाद आपको एक श्रीफल मतलब नारियल के साथ में ₹11 शिव जी को समर्पित करना है उसके बाद 108 आखें चावल के दाने या बेलपत्र या कोई ऐसी सामग्री जो कि शिवज को समर्पित होती हो वह 108 सामग्री आपको शिवजी पर अपनी मनोकामना को करते हुए समर्पित करना है।
उसके बाद आपको अपने घर आकर जो व्रत की बाकी विधि है वह पूरा करना है। उसके बाद आपका यह व्रत पूरी तरह से संपन्न हो जाता है।
माताओं बहनों की समस्या आए तो क्या करें?
अगर कोई माताएं बहनें पशुपतिनाथ का व्रत कर रही है और उनको किसी सोमवार में कोई समस्या हो जाती है जिससे कि वह पूजन नहीं कर सकती है तो उस स्थान पर आपको सिर्फ व्रत रखना है पूजन नहीं करना है जिस सोमवार को आपको यह समस्या आई है उसके अगले सोमवार को आपको इस व्रत को पूरा करना है पर जिस सोमवार को यह समस्या आई है उस दिन आपको व्रत रखना है पर पूजा नहीं करना और वह व्रत मान्य नहीं होगा ।
किसी सोमवार को कोई दूसरा व्रत पड़े तो क्या करें?
आप पशुपतिनाथ का व्रत कर रहे हैं और इस व्रत को करते समय किसी भी सोमवार को कोई ऐसा व्रत पड़ जाता है जिसको आप बहुत पहले से करते आ रहे हैं जैसे की एकादशी का व्रत या प्रदोष का व्रत या इसके अलावा कोई भी ऐसा भेजो कि आप बहुत पहले से करते आ रहे हैं तो उस स्थान पर आपको पशुपतिनाथ का व्रत या पहले से जो व्रत आप करते आ रहे हैं तो कौनसे व्रत को करना चाहिए।
अगर ऐसी कभी परिस्थिति बन जाए तो आपको वह व्रत करना है जो आप तो पहले से करते आ रहे हैं और यह व्रत मान्य भी होगा।
पशुपतिनाथ का व्रत कौन कर सकता है?
पशुपतिनाथ का व्रत कोई भी स्त्री या पुरुष कर सकते हैं। इस व्रत में सभी की पूजन थाली अलग होती है। भले ही आप एक ही परिवार में 2 सदस्य पशुपतिनाथ का व्रत कर रहे हैं तो भी आप दोनों की पूजन की थाली अलग-अलग होगी। साथ ही में आप जो प्रसाद बनाने वाले हैं वह भी अलग-अलग होगा जिस पात्र में आप लोग यह प्रसाद बना रहे हैं वह पात्र भी अलग-अलग होना चाहिए अगर एक ही पात्र में बना रहे हैं तो एक प्रसाद बनाने के बाद उस पात्र को धोकर ही दूसरी बार प्रसाद बनाएं।
पशुपतिनाथ व्रत को दोबारा कब करना चाहिए?
अगर आपने पशुपतिनाथ का व्रत कर लिया है और आपकी मनोकामना पूरी भी हो गई है या कुछ कारणवश आपकी मनोकामना पूरी नहीं भी हुई है तो भी आप चाहते हैं कि आप पशुपतिनाथ का व्रत दोबारा करें तो इसके लिए नियम यह कहता है कि जब आपने पशुपतिनाथ का व्रत किया था और जब आपका व्रत समापन हुआ था तो उसके ढाई से 3 महीने बाद ही आप अगला पशुपतिनाथ का व्रत शुरू करें।
यह पशुपतिनाथ व्रत की पूरी विधि थी आप सभी लोगों के मन में उठ रहे सवालों के जवाब भी हमने आपको इस जानकारी में दे दिए हैं अगर अभी भी आपको पशुपतिनाथ व्रत करने में कोई परेशानी या कोई सवाल मन में उठा रहा हो तो उसे आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते हैं।
अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
ओम नमः शिवाय
पशुपति नाथ जी के व्रत मे अगर सुबह मंदिर ना जा पाये किसी कारण. तो कोई उपाय है? क्या हम फिर भी ये व्रत कर सकते है ?
mandir jana subah bhe jruri h
Kya hum vrat ke din rat ko bahar khana kha sakate hai
NHE
Subha ki thali me kya kya rkhaa chahiye hme
Main mayke main rhti hu sasural main nhi rhti to jo Deepak Ghar Lakar jalana hota h choukhat par yo kya a vart main mayke main rah kar kar skti hu yha vhi lake deepak jala skti hu
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Thnx for the information
Thali le Jana jruri h kya ya fir Pooja ke liye ho roj basket le jate h wo hi le jaskte h
THALI JRURI HAI
Bachelor kar skte hai kya ye vrat
Ji
बीच में एक व्रत को छोड़कर अगला व्रत कर सकते हैं क्या?
Nahe phir vaps se shru karna pdega
Char somwar ke baad gap rakhna zaroori hai ya panch somwar ham lagatar kar sakte Hain
Nahe ye vrat lagatar Kiya jata h