पौष माह की पूर्णिमा कब है, पूस में क्या नही करना चाहिए । Paush Purnima 2024

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हेलो दोस्तों, पूर्णिमा शब्द संस्कृत का एक शब्द है जो प्रत्येक माह में चंद्र नक्षत्र के बीच पढ़ने वाली विभाजन को चिन्हित करता है तक पूर्णिमा होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्र देव धरती पर अमृत की वर्षा करते हैं। ज्योतिष शास्त्रों में पूर्णिमा के रहस्य को अलग-अलग प्रकार से उजागर किया गया है, हर साल 12 पूर्णिमा होती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र कला के आधार पर 15-15 दिन के दो पक्ष बांटे गए है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के आखिरी दिन को पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है और वर्ष में ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन होते हैं जिस पर मनुष्यों के जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। पूर्णिमा को पूर्णमासी का नाम से भी जाना जाता है, पूर्णिमा तिथि चंद्र देव को समर्पित मानी जाती है और चंद्र देव को जल से संबंधित माना जाता है कहते हैं जब जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार भाटा उत्पन्न होता है क्योंकि चंद्र देव समुद्र के जल को ऊपर की तरफ खींचते हैं। आज हम आपको पूर्णिमा के बारे में विस्तार पूर्वक बताने वाले हैं।

नाम पौष पूर्णिमा
अन्य नामपूस माह की पूर्णिमा
कब है25 जनवरी 2024
दिन गुरुवार
तिथि प्रारंभ24 जनवरी रात 09:52 मिनिट पर
तिथि समापन25 जनवरी 11:26 मिनिट पर 
पौष पूर्णिमा का महत्वसूर्य देव को जल अर्पित करें

पौष पूर्णिमा क्या है (purnima kya hai)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा का अर्थ चंद्रमा का पूर्ण आकार के प्राप्ति होने से होता है, शास्त्रों के अनुसार चंद्र देव को पृथ्वी की परिक्रमा करने में पूरे 28 दिनो का समय लगता है। जिसके दौरान चंद्रमा का आकार कभी बढ़ता है तो कभी घटता है, जिस समय चंद्रमा का आकार पूरा गोल हो जाता है उसी दिन पूर्णिमा तिथि होती है। इस वर्ष पौष पूर्णिमा 25 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी। शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का बहुत अत्यधिक महत्व माना जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा बहुत अत्यधिक चमकता है जिसका संबंध जल से होता है। प्रत्येक माह में 1 पूर्णिमा होती है और वर्ष में 12 पूर्णिमा होती हैं। लेकिन जिस वर्ष अधिकमास लगता है तब पूर्णिमा संख्या में की एक संख्या और बढ़ जाती है इस हिसाब से साल में 13 पूर्णिमा पड़ती हैं। प्रत्येक पूर्णिमा का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर अलग-अलग प्रकार से पड़ता है और व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता है।  

पौष पूर्णिमा कब है 

शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा कहा जाता है इस वर्ष यह 25 जनवरी 2024 को पड़ेगी। पौष पूर्णिमा की तिथि 24 जनवरी रात 9 बजकर 52 मिनिट पर शुरू होगी जो 25 जनवरी दिन गुरुवार को 11 बजकर 26 मिनिट तक रहेगी। हमारे सनातन धर्म में उदिया तिथि अनुसार पर्व मनाया जाता है इसलिए पौष पूर्णिमा 25 जनवरी दिन गुरुवार को मनाई जाएगी।

पौष पूर्णिमा व्रत विधि

सभी पूर्णिमा की तरह पौष पूर्णिमा की व्रत विधि होती है, इसमें कुछ अलग से करने की जरूरत नहीं होती इस दिन आप स्नान, दान, जप और विधिपूर्वक व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं। पौष पूर्णिमा को सूर्य देव की आराधना के लिए विशेष पर महत्व माना गया है इसलिए इस दिन आप सूर्य देव की आराधना जरूर करें।

पौष पूर्णिमा पूजा विधि 

पौष पूर्णिमा की पूजा विधि कुछ इस प्रकार से है।

  • पौष पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक नित्य क्रियाओं से फ्री हो जाएं।
  • स्नान करने के बाद ही आप व्रत का संकल्प लें।
  • पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें इसके पश्चात वरुण देव को प्रणाम करें।
  • यदि नदी नहीं जा सकते तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद आप सूर्य देव के मंत्रों का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • इसके बाद आप भगवान की विधि पूर्वक पूजा करें।
  • भगवान को नैवैद्य अर्पित करें।
  • अब आप किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को अपने घर पर भोजन करवाएं।
  • आप चाहे तो दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र दे सकते हैं।

पौष पूर्णिमा का महत्व

वैदिक शास्त्रों के अनुसार पौष पूर्णिमा को सूर्य देव की पूजा के लिए विशेष महत्व माना गया है, इस मास में सूर्य देव की आराधना से व्यक्ति को जन्म मरण के बंधन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विशेषता महत्व माना गया है इसके साथ-साथ सूर्य देव को भी अर्घ्य देने की परंपरा है। पौष का महीना सूर्य देव के प्रति समर्पित माना गया है और पूर्णिमा तिथि को चांद की प्रति समर्पित मानी गई है। इसीलिए सूर्य और चंद्रमा का यह अद्भुत संगम पौष माह के पूर्णिमा तिथि को ही मनाया जाता है। इस दिन व्यक्ति के द्वारा किए गए पूजन से उसके जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं।

पौष पूर्णिमा के दिन क्या ना करे 

पौष पूर्णिमा के दिन हमें क्या नहीं करना चाहिए इस बात को विशेष ध्यान में रखना जरूरी है।

  • इस दिन आप किसी भी प्रकार से तामसिक वस्तुएं और मदिरा सेवन करने से बचे।
  • इस दिन भूल से भी किसी व्यक्ति का अपमान ना करें।
  • पोसी पूर्णिमा के दिन जीव जंतुओं को भी नहीं परेशान करना चाहिए।
  • पोसी पूर्णिमा पर किए जाने वाला बुरा कार्य आपके भविष्य का दुष्परिणाम हो सकता है, इसीलिए आप इस दिन भगवान का स्मरण करें।
  • इस दिन आप किसी भी वृद्ध जनों का अपमान बिल्कुल भी ना करें।
  • इस माह में बैंगन, मूली, मसूर की दाल, गोभी का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • पौष माह में मांगलिक कार्य भी नही करना चाहिए।

पौष माह में क्या करना चाहिए 

पूस में कुछ ऐसे कार्य है जो व्यक्ति को विशेष रूप से करना चाहिए।

  • पौष मास में सभी को सूर्य भगवान की पूजा करना चाहिए।
  • सूर्य देव के किसी भी मंत्र का 108 बार जप अवश्य करना चाहिए।
  • प्रतिदिन सूर्य देव को जल अर्पित करें जल में आप लाल चंदन और अक्षत जरूर मिलाएं
  • पौष माह में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा का विधान माना गया है, इसलिए आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें।
  • लाल रंग पौष माह के लिए उत्तम माना गया है इसलिए इस रंग का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें।
  • पूस के माह में ज्यादा से ज्यादा दान पुण्य करें।

दोस्तों, आज हमने आपको पूस माह की पूर्णिमा के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने का प्रयास किया है यदि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।

धन्यवाद

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