नमस्कार दोस्तों, आप सभी लोग जानते हैं कि यह अधिक मास चल रहा है और यह कोई साधारण अधिक मास नहीं है, यह सावन के बीचो-बीच पढ़ने वाला सावन अधिक मास है इसीलिए इस की महत्वता और ज्यादा बढ़ जाती हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने इस सावन अधिक मास की मासिक शिवरात्रि को किए जाने वाला एक ऐसा उपाय बताया है जिस उपाय को करने से अगर किसी व्यक्ति को शरीर में कोई रोग और परेशानी है या उसको डायलिसिस चल रहे हैं या किसी भी प्रकार की ऐसी समस्या जो कि उसके शरीर से जुड़ी हुई है और वह बहुत ज्यादा परेशान है तो आपको यह सावन अधिक मास की मासिक शिवरात्रि का यह उपाय जरूर करना चाहिए जो कि पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने अपनी अभी सावन में चल रही कथाओं में बताया है।
अधिक मास में शिवरात्रि कब है?
अधिक मास की शिवरात्रि 14 अगस्त 2023 को पढ़ रही है।
अधिक मास का उपाय किस समय करना है?
अधिक मास का यह उपाय आपको अधिक मास की मासिक शिवरात्रि के दिन करना है और इस पूरे दिन में किसी भी समय कर सकते हैं।
इस उपाय में उपयोग होने वाली सामग्री
अधिक मास की शिवरात्रि के दिन इस उपाय में आप लोगों को दो सामग्री की आवश्यकता होगी।
- सफेद दूर्वा
- एक लोटा जल
यह उपाय किसको को करना है?
यह उपाय वह व्यक्ति खुद कर सकता है जिसके शरीर में रोग और बीमारी चल रही है। अगर वह व्यक्ति इस उपाय को करने में सक्षम नहीं है तो कोई घर का सदस्य उनके लिए यह उपाय कर सकता है।
सफेद दूर्वा कहां मिलेगी?
आप सभी लोगों ने हरी दूर्वा तो देखी ही होगी उस हरी दूर्वा के बीच में कहीं-कहीं पर सफेद दूर्वा भी होती है तो आपको एक सफेद दूर्वा वह से तोड़ लेनी है और इस उपाय में एक दूर्वा ही उपयोग करनी है।
अधिक मास के उपाय की विधि
अधिक मास की शिवरात्रि के दिन आपको एक सफेद दूर्वा और एक लोटा जल तैयार करके भगवान शिव जी के मंदिर पहुंचना है।
मंदिर पहुंचने के बाद आपको सबसे पहले भगवान शिव जी की शिवलिंग के पास में आकर अपनी बहस सफेद दूर्वा को भगवान शिव जी की शिवलिंग के ऊपर समर्पित करना है। जब आप यह सफेद दूर्वा शिवलिंग के ऊपर समर्पित कर रहे हो तो उस समय आपको अवधूतेश्वर महादेव और कुंदकेश्वर महादेव के नाम का स्मरण भी जरूर करना है।
अब आप जैसे ही सफेद दूर्वा भगवान शिव जी की शिवलिंग के ऊपर चढ़ा देते हैं। उसके बाद में एक लोटा जल उसी दूर्वा के ऊपर भगवान शिव जी की शिवलिंग के ऊपर एक धारा से अवधूतेश्वर महादेव और कुंदकेश्वर महादेव का नाम लेते हुए समर्पित कर देना हैं।
अब यह जल जो आपने भगवान शिव जी पर चढ़ाया है इस जल को थोड़ा सा जलाधारी से झेलकर ले आना है और साथ ही में जो सफेद दूर्वा अपने भगवान शिवजी पर चढ़ाई है उसको भी वापस से उठाकर अपने घर वापस ले आना है।
आप सबसे पहले जो आप जलाधारी से जल लेकर आए हैं इस जल का आचमन आप उस व्यक्ति को करा दीजिए जिस व्यक्ति के लिए आप ही उपाय कर रहे हैं। यह काम आप उस दिन कर लेंगे फिर उसके बाद आपको वह सफेद दूर्वा को पानी में गला देना है और इस जल का आचमन आपको प्रतिदिन लगभग एक डेढ़ महीने तक कराना है।
आप प्रतिदिन उस सफेद दूर्वा के जल को बदल सकते हैं पर आपको उस सफेद दूर्वा को जल पात्र के अंदर डालकर ही कुछ समय के बाद उस जल का आचमन उस व्यक्ति को कराना है क्योंकि यह उपाय आपको सिर्फ अधिक मास की शिवरात्रि के दिन ही करना है उसके बाद कभी नहीं करना है इसीलिए उस दूर्वा का जल आपको एक से डेढ़ महीनों तक उपयोग करके आचमन कराना है।
जब आप इस जल का आचमन उस व्यक्ति को कराएंगे, उस समय आपको अवधूतेश्वर महादेव और कुंदकेश्वर महादेव का नाम भी जरूर लेना है।
इस सफेद दूर्वा के जल को लगभग 1 से डेढ़ महीनों तक आपको पिलाना हैं। इसके बीच में आपको इस उपाय का फल भी मिलना शुरू हो जाएगा।
यहां पर यह उपाय पूर्ण हो जाता है।
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यह उपाय पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने अपनी सावन में चलने वाली कथा में बताया है और यह उपाय सिर्फ सावन अधिक मास में पढ़ने वाले इस मासिक शिवरात्रि के दिन ही करना है इसके अलावा कभी नहीं करना हैं।
इस उपाय को करने में अगर आपको कोई भी परेशानी आती है तो उसे आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते हैं।
धन्यवाद
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