नमस्कार दोस्तों, आप सभी लोग जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी के बारे में आज हर कोई जानना चाहता हैं। हर कोई उनके जीवन के बारे में जानना चाहता हैं कि वह आज इस स्थान तक कैसे पहुंचे कि उनके कथाओं में आज लाखों की संख्या में भक्तगण उनकी शिव महापुराण कथा को सुनने के लिए आते हैं तो क्या उन्होंने अपने जीवन में परिश्रम किया हैं, क्या उन्होंने अपने जीवन में मेहनत की हैं, उन्होंने किन-किन कठिनाइयों का सामना किया हैं, यह सारी बातें आज हम आपको बताने वाले हैं क्योंकि आज आप अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी की मात्र प्रसिद्ध ही देखते हैं, आप उनकी मेहनत, उनका परिश्रम उनकी, जीवन शैली को आपने कभी देखा ही नहीं, आज के इस लेख में हम आपको पंडित प्रदीप मिश्रा जी की पूरी जीवन शैली बताने वाले हैं।
दोस्तों आज पंडित प्रदीप मिश्रा जी को सभी लोग जानते हैं। देश और विदेश में पंडित प्रदीप मिश्रा जी का नाम चलता हैं। अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी का एक बहुत ही भव्य और पवित्र तीर्थ स्थल हैं और यह सिर्फ उनका ही नहीं बल्कि सभी भगवान भोलेनाथ के भक्तों का धाम हैं जोकि कुबरेश्वर धाम सीहोर में स्थित हैं जो कि 1 गांव चितावलिया हेमा गांव में हैं। अगर आप पंडित जी की पूरी जीवन शैली और उनके बचपन के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़िए।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी कौन हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा जी आज एक अंतरराष्ट्रीय कथावाचक हैं जो अपने मुखारविंद से देश और विदेश में शिव महापुराण कथा का वाचन करते हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी का जन्म कब हुआ था
पंडित प्रदीप मिश्रा जी का जन्म 16 जून 1977 में सीहोर जिले में हुआ था।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी कितने साल के हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा जी 16 जून 2023 को 46 साल के हो जाएंगे।
पंडित प्रदीप मिश्रा किस लिए प्रसिद्ध हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा जी अपनी शिव महापुराण कथा, अपने भव्य भजन और अपने शिव महापुराण कथा के उपायों के लिए बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा किस जाति के हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा ब्राह्मण जाति से जुड़े हुए हैं और इनका सरनेम मिश्रा हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी के परिवार में कौन-कौन हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा जी के परिवार में उनकी माता, उनके पिता, उनके दो भाई साथ ही में पंडित प्रदीप मिश्रा जी की धर्मपत्नी और उनके दो बच्चे हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी के परिवार जनों का नाम क्या हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा जी के परिवार में उनके पिता का नाम रामेश्वर मिश्रा जी, उनकी माता का नाम हैं सीता मिश्रा जी, उनके भाइयों का नाम हैं दीपक मिश्रा और विनय मिश्रा और उनके पुत्रों का नाम है राघव मिश्रा और माधव मिश्रा।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी का बचपन कैसा था
पंडित प्रदीप मिश्रा जी का बचपन बहुत ही संघर्ष भरा हुआ था क्योंकि जब पंडित प्रदीप मिश्रा जी का जन्म हुआ था। उस समय उनके पास में बिल्कुल भी पैसे नहीं थे। जब उनका जन्म हुआ था तब ताई को देने के लिए उनके पास वह पैसे भी नहीं थे इसीलिए उनका जन्म उनके घर ही में तुलसी जी के क्यारे के पास में हुआ था।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी का जन्म कहां हुआ था
पंडित प्रदीप मिश्रा जी का जन्म पावन धरा सीहोर में ही हुआ था और अपने घर में तुलसी जी के क्यारे के पास इनका जन्म हुआ था।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने क्या पढ़ाई की थी
पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने 12वीं तक सीहोर में शिक्षा ग्रहण की हैं। साथ ही में ग्रेजुएशन भी उन्होंने पूरा किया हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने पढ़ाई के साथ क्या-क्या किया था
पंडित प्रदीप मिश्रा जी अपनी पढ़ाई के साथ एजेंसियों पर भी काम करते थे जिससे कि उनके घर में कुछ पैसा आ सके और वह अपनी पढ़ाई का भी खर्चा उठा सकें।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी के पिताजी क्या करते थे
पंडित प्रदीप मिश्रा जी के पिताजी शुरुआत में चने बेचा करते थे उसके बाद उनके पिताजी ने चाय का ठेला भी लगाया। जिस पर पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने भी उनकी सहायता की और दुकानों पर वह चाय देने के लिए जाते थे।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी सीहोर में पहले क्या करते थे
पंडित प्रदीप मिश्रा जी सीहोर में पहले शिव मंदिर में झाड़ू पोछा किया करते थे और भगवान शिव जी की पूजा आराधना किया करते थे। बचपन से ही उन्हें भगवान शिव जी की भक्ति बहुत पसंद हैं।
गीताबाई पाराशर कौन हैं
गीताबाई पाराशर सीहोर में ही रहती हैं जोकि सीहोर में जगह-जगह जाकर भोजन बनाती थीं। इन्होंने ही पंडित प्रदीप मिश्रा जी को दीक्षा लेने के लिए इंदौर भेजा था। जहां पर गीताबाई पाराशर के गुरुदेव रहा करते थे।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने दीक्षा कहां से ली थी
पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने अपनी दीक्षा इंदौर में गोवर्धन नाथ मंदिर में हवेली में स्थित एक ब्राह्मण जन से ली थीं।
पंडित जी की गुरुदेव ने उन्हें बहुत अच्छे से सभी बातें सिखाई, उनको धोती पहनना सिखाई और उनको पोथी देकर एक बहुत बड़ा आशीर्वाद भी दिया।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी की गुरु का नाम क्या हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा जी के गुरुदेव का नाम गोलोक वासी 1008 विट्ठलेश राय काका जी महाराज जी हैं जो कि इंदौर में गोवर्धन नाथ मंदिर हवेली में रहते हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी की गुरु ने उन्हें क्या बातें बताएं
पंडित प्रदीप मिश्रा जी के गुरुदेव जी उन्होंने पंडित प्रदीप मिश्रा जी को यह समझाया कि आपके ऊपर कोई जोर जबरदस्ती नहीं हैं। आप अपने मन से जिस भगवान को चाहे उसकी पूजन अर्चना कर सकते हैं। आप सभी भगवानों की पूजन अर्चना कर सकते हैं। जब आप अपने अच्छे भाव से सभी भगवानों की पूजन अर्चना करेंगे। उसके बाद कोई एक भगवान आपको अपने आप ही आपका हाथ पकड़ लेंगे।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी के गुरु ने क्या आशीर्वाद दिया
पंडित प्रदीप मिश्रा जी के गुरु ने उन्हें एक पोथी देकर उन्हें यह आशीर्वाद दिया कि तुम्हारे पंडाल कभी भी खाली नहीं जाएंगे। तुम जहां पर भी कथा करोगे तुम्हारे सारे पंडाल फुल ही भरेंगे। ऐसा आशीर्वाद उन्हें उनके गुरुदेव की तरफ से मिला जो कि आज सच भी हो रहा हैं।
कुबेरेश्वर धाम की स्थापना किसने की थी
कुबरेश्वर धाम की स्थापना पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने ही की हैं जो कि सीहोर से लगभग 5 किलोमीटर दूर चितावलिया हेमा गांव में स्थित हैं।
कुबरेश्वर धाम कहां पर स्थित हैं
कुबरेश्वर धाम मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के पास स्थित सीहोर जिले में स्थित हैं और सीहोर से लगभग 5 किलोमीटर दूर चितावलिया हेमा गांव में स्थित हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा जी की संपूर्ण जीवन शैली
पंडित प्रदीप मिश्रा जी की जीवन शैली बहुत ही संघर्ष भरी रही हैं। पंडित जी का बचपन बहुत ही संघर्ष में बीता हुआ हैं क्योंकि बचपन में उनके पास बिल्कुल भी धन नहीं था। उनके पिताजी चने बेचा करते थे और चाय भी उन्होंने बेची हैं। उनके साथ में पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने भी उनका साथ दिया हैं और वह भी दुकानों पर जाकर चाय दिया करते थे। उसके बाद पंडित जी ने अपनी शिक्षा भी ग्रहण की हैं। शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ में उन्होंने कई एजेंसियों पर भी काम किया हैं जिससे कि उनके घर में पैसा आ सके। पंडित जी के जीवन में एक ऐसा समय था जब पंडित जी का जन्म हुआ था तो उस समय ताई को देने के लिए उनके पास पैसे भी नहीं थे तो पंडित जी का जन्म उनके ही घर में उनके घर के तुलसी जी के क्यारे के पास हुआ था जो क्यारा आज भी पंडित जी के पास रखा हुआ हैं।
उसके बाद में पंडित प्रदीप मिश्रा जी के जीवन में एक नाम और ऐसा आता हैं जिनके कारण पंडित प्रदीप मिश्रा जी को एक बहुत अच्छे गुरु मिले, जिनका नाम हैं “गीताबाई पाराशर” गीताबाई पाराशर सीहोर में ही रहती हैं और यह जगह-जगह जाकर भोजन बनाती थी। गीताबाई पराशर के पति का स्वर्गवास होने के बाद उन्होंने प्रण लिया था कि वह श्रीमद् भागवत कथा कराएंगे पर उनके पास इतने पैसे नहीं थे। जिसके बाद उन्होंने किसी तरह करके अपने घर में ही श्रीमद् भागवत कथा कराई। उसके बाद पंडित प्रदीप मिश्रा जी से उन्होंने कहा कि आप इंदौर जाइए और वहां पर गुरुदेव से दीक्षा लेकर आइए और वहां पर आप शिक्षा ग्रहण कीजिए। जिसके बाद पंडित प्रदीप मिश्रा जी इंदौर चले गए और वहां पर गोवर्धन नाथ जी में हवेली में एक ब्राह्मण जन से उन्होंने दीक्षा ली। इन ब्राह्मण जन का नाम गोलोक वासी 1008 विट्ठलेश राय काका जी महाराज जी हैं और यह गृहस्ती में रहे हैं। यह हवेली में रहा करते थे जहां इनके पास बहुत सारे पक्षी थे और यह पक्षी भी भगवान के नाम का जाप किया करते थे। जब तक यह अपने सभी पक्षियों को भोजन ना करा दें। यह खुद भी भोजन नहीं करते थे। इनकी हवेली पर भगवान के नाम का संकीर्तन होता रहता था। जब पंडित प्रदीप मिश्रा जी इंदौर में दीक्षा लेने के लिए पहुंचे तो इनके गुरुदेव ने कहा कि पहले आप भोजन कर लो उसके बाद आपको दीक्षा देंगे पर पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने कहा कि पहले दीक्षा ले लेते हैं, भोजन बाद में कर लेंगे पर इनके गुरुदेव ने कहा कि नहीं पहले आप भोजन करिए, आराम करिए उसके बाद दीक्षा देंगे तो पंडित जी ने भोजन किया आराम किया उसके बाद गुरुदेव के पास आकर उन्होंने दीक्षा ली।
दीक्षा लेते समय पंडित प्रदीप मिश्रा जी को उनके गुरुदेव ने धोती पहनना सिखाया। साथ ही में उनको एक पोथी पकड़ाई जिस पोथी के माध्यम से इनकी गुरुदेव ने इनको एक बहुत बड़ा आशीर्वाद दिया कि जाओ तुम्हारी कथाएं कभी भी खाली नहीं जाएंगी। तुम्हारे सभी पंडाल भरे हुए जाएंगे। ऐसा आशीर्वाद उन्हें अपने गुरुदेव से मिला उसके बाद फिर उनका अपने गुरुदेव के पास आना जाना लगा रहा और वह गिरिराज जी की परिक्रमा करने के लिए भी जाते थे पर उस समय उनके पास इतना पैसा नहीं होता था जिस कारण वह ट्रेन के माध्यम से जनरल या स्लीपर कोच के माध्यम से गिरिराज जी की परिक्रमा करने जाते थे। वहां पर चकलेश्वर महादेव जी भी विराजित हैं जिनसे पंडित प्रदीप मिश्रा जी बात किया करते थे और पंडित प्रदीप मिश्रा जी उनसे अपने मन की बात बोला करते थे और वह चकलेश्वर महादेव उनकी बात सुनते भी थे जिसकी बदौलत आज पंडित प्रदीप मिश्रा जी चकलेश्वर महादेव और अपने गुरुदेव के आशीर्वाद से और भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से आज जिस स्थान पर हैं। पंडित प्रदीप मिश्रा जी का जीवन बहुत ही संघर्ष से बीता हुआ हैं। एक समय पर उनके पास पहनने के लिए कपड़े भी नहीं हुआ करते थे, खाने के लिए भोजन भी नहीं हुआ करता था और रहने के लिए अच्छा सा घर भी नहीं हुआ करता था पर उन्होंने अपनी मेहनत से अपने संघर्ष से आज एक बहुत अच्छा मुकाम हासिल किया हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी का प्रसिद्ध मंत्र कौन सा हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा जी का शिव महापुराण कथा का मूल मंत्र “श्री शिवाय नमस्तुभयम” हैं और यह मंत्र शिव महापुराण कथा का मूल मंत्र है पंडित प्रदीप मिश्रा जी का मंत्र नहीं हैं।
हमने आपको पंडित प्रदीप मिश्रा जी के जीवन के बारे में सारी विशेष बातें बता दी हैं। अगर अभी भी आपके मन में पंडित जी को लेकर कोई सवाल हैं तो उसे आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते हैं।
धन्यवाद