आंखों से कम दिखाई देता हो, कानों से कम सुनाई देता हो तो करें यह अचूक उपाय

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श्री शिवाय नमस्तुभयम दोस्तों

अगर आप लोगों को भी आंखों से कम दिखाई देता है और कानों से कम सुनाई देता है तो आज की यह जानकारी आप लोगों के लिए है क्योंकि श्री पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने अपनी शिवमहापुराण कथा में एक ऐसा उपाय बताया है जिस उपाय को अगर आप लोग कर लेते हैं तो आपकी नेत्रों की जो रोशनी होगी वह ठीक हो जाएगी, आपको चश्मा लगा हुआ होगा तो आपका चश्मा उतर जाएगा और अगर आपको कानों से कम सुनाई देता होगा तो आपको कान ने उसे सही सुनाई देने लग जाएगा, आपको कानों में मशीन लगी हुई होगी तो आपकी वह मशीन भी हट जाएगी। इस उपाय को समझने के लिए आपको इस जानकारी को पूरा पढ़ना पड़ेगा।

सबसे पहली और विशेष बात यह है की उपाय किसी भी महीने की नवमी तिथि को ही आपको करना है। नवमी तिथि के अलावा किसी और दिन आप इस उपाय को ना करें। तभी आपका यह उपाय काम करेगा।

इस उपाय में आपको सबसे पहले पीपल का एक कोमल पत्ते की जरूरत पड़ेगी, कोमल पता कहने का मतलब है कि पीपल का एक वह पता होता है जो कि कड़क हो जाता है और एक वह पता होता है जो की पैड में लगा हुआ होता है और बहुत ही नरम होता है तो आपको क्या करना है पीपल के पत्ते को तोड़ना है पर उस डगाल से तोड़ना है जिस डगाल में नरम पत्ता लगा हुआ हो या तो अगर पीपल का पत्ता नीचे गिर गया हो और वह नरम हो तो आपको उस नरम पीपल के पत्ते को उठाकर ले आना है या फिर पेड़ से तोड़ लाना है।

अब आपको पीला चंदन लेना है और उस पीले चंदन को अपने हाथों से घिसना है। उस पीले चंदन को अपने हाथों से घिसने के बाद आपको इस घिसे हुए चंदन को उसी पीपल के कोमल पत्ते पर रख लेना है।

अब आपको इस पीपल के कोमल पत्ते को लेकर जिस पर आपने यह पीला चंदन केस कर रखा हुआ है इस पत्ते को लेकर आपको शिवजी के मंदिर में मध्यान में जाना है।

मध्यान में कहने का मतलब है कि आपको सुबह सुबह शिवजी के मंदिर में उस समय जाना है जिस समय सभी लोग पूजा कर चुके हो, शिवजी पर जल समर्पित हो चुका हो, मंदिर में कोई ना हो या मंदिर में कोई शिवजी की पूजा ना कर रहा हो, शिवजी पर जल ना चढ़ा रहा हो आपको उस समय इस उपाय को करना है।

तो उस समय शिवजी के मंदिर पहुंचने के बाद अब आपको क्या करना है वह आप ध्यान से सुनिए।

अब आपको शिव जी की शिवलिंग का जो कटी भाग होता है। मतलब जलाधारी के ऊपर जो शिवलिंग रखा हुआ होता है और शिवलिंग और जलधारी के बीच का जो गोलम गोल भाग होता है वह कटी भाग होता है। उस कटी भाग पर अपनी शुरुआत की सीधे हाथ की तीनों उंगलियों में उस पीले चंदन को लगाकर शिव जी की शिवलिंग के पूरे गोलम गोल कटी भाग पर फेर देना है जितना आप चंदन लाए हैं वह पूरा शिव जी की शिवलिंग के कटी भाग में लगा देना है। चंदन थोड़ा ज्यादा मात्रा में होना चाहिए। अब शिव जी के नाम का स्मरण करते हुए उस पूरे चंदन शिवलिंग के कटी भाग पर अपनी तीनों उंगलियों से लगाने के बाद अपनी उन्हीं तीनों उंगलियों को शिव जी की शिवलिंग के ऊपर अशोक सुंदरी वाले स्थान पर अपने उन तीनों उंगलियों को बस स्पर्श करा देना है मतलब छुआ देना है।

अशोक सुंदरी वाला स्थान शिवलिंग के नीचे जलाधारी के ऊपर होता है जोकि जलाधारी जहां से जल बहता हुआ गिरता है आगे की ओर का बीच का हिस्सा जो होता है वह अशोक सुंदरी शिवजी की सबसे छोटी बेटी का होता है।उस स्थान पर आपको शिवलिंग के कटी भाग पर चंदन लगाने के बाद अपने इन्हीं तीन उंगलियों को अशोक सुंदरी वाले स्थान पर स्पर्श कराना है।

स्पर्श कराने के बाद कुछ समय तक उस चंदन को शिवलिंग के कटी भाग पर लगे रहने देना है। कुछ समय बाद अब आपको उसी पीपल के पत्ते के ऊपर उस पीले चंदन को शिवलिंग के कटी भाग से निकालना है।जितना चंदन आपने शिवलिंग के कटी भाग पर लगाया होगा वह पूरा निकाल लीजिए और अपने उसी कोमल पीपल के पत्ते के ऊपर रख लीजिए और अपने घर वापस आ जाइए। पीले चंदन को निकालते समय आपको शिव जी के नाम का स्मरण नहीं करना है।

घर लाकर इस पीले चंदन को आप किसी भी डिब्बी में भर सकते हैं। अब आपको इस चंदन का 22 दिनों तक उपयोग करना है।

नवमी तिथि से लेकर 22 दिनों तक आपको क्या करना है वह आप सुनिए। आपको अपनी तीनों उंगलियों में वापस से इस चंदन को लगाना है जो कि आपने डिब्बी में भरा है इस चंदन को अपनी तीनों गोलियों में लगाने के बाद अपने गले का जो पीछे का हिस्सा होता है उस जगह से अपन तीनों उंगलियां रखकर आपके आगे की जो ठुड्ढ होती है। उस जगह तक आपको अपनी तीनों उंगलियों से लाइन खींचना है और स्पर्श कराना है। यह चंदन आपको अपने दोनों हाथ की शुरुआत की तीनों उंगलियों में लगाकर ही अपने गले के पीछे हिस्से से आगे की ओर तक अपनी तीनों उंगलियों से स्पर्श कराकर लाइन खींचना है।

उसके बाद ही आपको शिवलिंग के ऊपर रुद्राक्ष का जल भी समर्पित करना है उस रुद्राक्ष के जल को आपको थोड़ा सा अपने उस लोटे में जल भरकर लाना है। उस जल का आचमन भी आपको इस उपाय के बात करना है।

इस पीले चंदन के उपाय को आपको सिर्फ नवमी तिथि को और एक बार करना है पर आपको रुद्राक्ष का जल हर बार पीना है जब आप इस उपाय को अपने शरीर पर कर रहे हो। रुद्राक्ष काजल आपको रोज चढ़ाना है उसको वापस लेकर आना है और उसी जल को पीना है।

यह उपाय आप 20 से 22 दिनों तक करके देखिए उसके बाद डॉक्टर से अपनी आंखों की या अपने कानों की जांच करा कर देखिए सब कुछ ठीक ही मिलेगा। आपकी आंखों का चश्मा उतर जाएगा, आपके कानों की मशीन भी हट जाएगी और आपकी सभी आंख और कान से जुड़ी हुई समस्या दूर हो जाएगी।

यह उपाय आंखों की रोशनी के लिए, आंखों का चश्मा उतारने के लिए, कानों से कम सुनाई देने के लिए, कानों की मशीन हटवाने के लिए आप कर सकते हैं।

इस उपाय को जब आप लोग कर रहे हो तो उस समय आपके मन में पूरा विश्वास होना चाहिए क्योंकि कोई भी उपाय बिना विश्वास के काम नहीं करता है।

“मानो तो मैं गंगा मां हूं ना मानो तो बहता पानी”

इस उपाय को समझने में आपको कोई समस्या आ रही होगी आपका कोई सवाल हो तो उसे आप हम से कमेंट करके पूछ सकते हैं।

ओम नमः शिवाय

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