प्रदोष व्रत कब है, प्रदोष के व्रत कैसे करते है । Pradosh Vrat Kya Hai 2023

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हेलो दोस्तों, जैसा कि आप सभी जानते हैं हमारे हिंदू धर्म में अनेक ऐसे व्रत होता हैं जिनका अपना ही एक अलग महत्व माना जाता है, चाहे वह एकादशी हो या फिर कोई त्यौहार हो सभी का अपना अपना विशेष में महत्व है। ऐसा ही एक व्रत होता है जिसे प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है जिसमें भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव जी अपने कैलाश पर्वत पर स्थित रजत भवन में नृत्य करते हैं और सभी देवी देवता उनकी स्तुति गान करते हैं। इस दिन भगवान शंकर जी के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा भी की जाती है, प्रदोष व्रत माह में 2 बार पड़ता है एक शुक्ल पक्ष को और दूसरा कृष्ण पक्ष को, इस महीने 24 दिसंबर 2023 को साल का अंतिम प्रदोष व्रत रहेगा। आज हम अपने इस लेख के माध्यम से आपको प्रदोष व्रत के बारे में विस्तार से समझाएंगे।

प्रदोष व्रत क्या है

सनातन हिंदू धर्म में हर माह में विशेष तिथियां होती हैं जिनका अपना ही अलग महत्व होता है और उन्हें अपने ही किसी नाम से जाना जाता है। जैसे एकादशी, द्वादशी चतुर्दशी। ठीक इसी प्रकार एक त्रयोदशी तिथि होती है जिसे प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इसे प्रदोष काल यानी संध्या काल का व्रत कहा जाता है। वैसे तो त्रयोदशी तिथि में 13 की संख्या होती है इसलिए हिंदू समुदाय अनुसार इस संख्या को अशुभ मानते हैं। लेकिन त्रयोदशी तिथि देवाधिदेव महादेव भगवान शंकर को समर्पित की गई है जिनकी पूजा से अशुभ फल भी शुभ हो जाए वह भगवान शिव होता है। 

प्रदोष व्रत कब है

साल 2023 का आखिरी प्रदोष व्रत 24 दिसंबर 2023 को रहेगा, त्रयोदशी तिथि को पढ़ने वाला यह व्रत 24 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 24 मिनिट पर शुरू होगा जिसका समापन 25 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 54 मिनिट पर होगा। उदिया तिथि के अनुसार यह व्रत 24 दिसंबर को मनाया जाएगा। 

प्रदोष व्रत क्यों करते है

आपने देखा होगा हिंदू सनातन में किसी भी व्रत को करने का उसका एक अलग ही फल प्राप्त होता है, ऐसा ही कलयुग में प्रदोष व्रत रखने से विशेष फल मिलता है। प्राचीन काल से माना जा रहा है कि प्रदोष व्रत बहुत ही मंगलकारी व्रत होता है, जो त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। इस व्रत को करने से भगवान शंकर काफी जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने जातक को मनचाहा वर और इसका फल देते हैं। प्रदोष काल का व्रत जातक अपने परिवार के सभी सदस्यों को निरोग और प्रगति के पद पर आगे बढ़ते रहने के लिए करता है। 

प्रदोष व्रत के नियम क्या है

वैसे तो हमारे हिंदू धर्म में पूजा का कोई भी मुहूर्त और कोई भी नियम नहीं होता, भगवान अपने भक्त की सच्ची भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत के भी कुछ नियम बनाए गए हैं जो इस प्रकार हैं।

  • त्रयोदशी तिथि के दिन जातक को प्रातः काल में स्नान और ध्यान करके ही भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए।
  • पूजा स्थल पर भगवान शिव की प्रतिमा या उनकी तस्वीर को स्थापित करके पूरे विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
  • प्रदोष व्रत के दिन जातक को निराहार (उपवास) रहना चाहिए। 
  • प्रदोष व्रत की संध्या को आप भगवान शिव की पूजा और आरती करने के बाद ही फलाहार करें, नमक का सेवन बिलकुल न करें।
  • यदि आप प्रदोष का व्रत रख रहे हैं तो इस दिन आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा।
  • व्रत का पारण आप अगले दिन चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव की पूजा करने के बाद ही करें।
  • चतुर्दशी तिथि के दिन ही आपको भोजन ग्रहण करना चाहिए।
  • प्रदोष व्रत के दिन आप सत्संग कीर्तन जरूर करें और भगवान शिव के मंत्रों का जाप भी अवश्य करें।

प्रदोष व्रत करने से क्या होता है 

प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को निम्न प्रकार के लाभ होते हैं जो इस प्रकार हैं।

  • इस दिन व्रत करने से जातक हमेशा स्वस्थ बना रहता है और उसे तनाव से मुक्ति मिलती है।
  • प्रदोष व्रत करने से जातक के सभी बिगड़े हुए काम तो पूर्ण होते ही है और घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है।
  • जिन माताओं को संतान नहीं होती उन्हे यह व्रत विधिपूर्वक करने से शीघ्र संतान की प्राप्ति होती है।
  • प्रदोष व्रत करने से लोगों को शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
  • जिस जातक की कुंडली में कोई ग्रह दोष होता है तो उसके लिए भी प्रदोष का व्रत करना उत्तम माना जाता है।

प्रदोष व्रत के लाभ

पंचांग अनुसार त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत कहा जाता है और यह तिथि माह में 2 बार आती है, जरूरी नहीं होता कि हर माह की त्रयोदशी तिथि सोमवार को या मंगलवार को ही पड़े। यह तिथि सप्ताह में 7 दिन में से किसी भी दिन पढ़ सकती है। अब हम दिनों के अनुसार इस व्रत के लाभों को जानेंगे जो इस प्रकार हैं।

1) रविवार को प्रदोष व्रत का लाभ

रविवार को यदि प्रदोष व्रत होता है तो इस दिन व्रत करने से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है और उसे दीर्घायु प्राप्त होती है।

2) सोमवार को प्रदोष व्रत का लाभ        

सोमवार को भगवान शिव का सबसे प्रिय दिन माना जाता है यदि सोमवार को यह व्रत होता है तो मनुष्य को इच्छा अनुसार फल की प्राप्ति होती है।

3) मंगलवार को प्रदोष व्रत का लाभ

यदि मंगलवार को प्रदोष व्रत होता है तो इस दिन व्रत करने से रोगियों को अपने रोगों से मुक्ति मिलती है और उनका स्वास्थ्य भी अच्छा होता है। इसके अलावा वह कर्ज से मुक्त होते हैं।

4) बुधवार को प्रदोष व्रत का लाभ

इस दिन प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति होती है। 

5) गुरुवार को प्रदोष व्रत का लाभ

यदि गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत होता है तो इस दिन व्रत करने से जातक को शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।

6) शुक्रवार को प्रदोष व्रत का लाभ

शुक्रवार के दिन पढ़ने वाला प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत भी कहते हैं, इस दिन व्रत करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि में वृद्धि होती है और दांपत्य जीवन भी सुखमय बना रहता है।

7) शनिवार को प्रदोष व्रत का लाभ

शनिवार को पढ़ने वाला प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रत कहलाता है, यदि इस दिन कोई प्रदोष व्रत करता है तो उसे संतान की प्राप्ति बहुत शीघ्र होती है।

प्रदोष व्रत की शुरुआत कब की जाती है

दोस्तों, यदि आप भी प्रदोष व्रत शुरू करना चाहते हैं तो आप महाशिवरात्रि और श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा के बाद से इस व्रत को शुरू कर सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार महीने के किसी भी पक्ष की त्रयोदशी तिथि से शुरू कर सकते हैं। लेकिन फाल्गुन मास और श्रावण मास की त्रयोदशी तिथि से इस व्रत को शुरू करना काफी विशेष माना जाता है।

प्रदोष व्रत कौन रख सकता है

प्रदोष व्रत को हर धर्म के किसी भी उम्र के व्यक्ति रख सकते हैं चाहे वह महिला हो, पुरुष या बच्चे हो। यदि आप में व्रत रखने का सामर्थ्य है और आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं तो आप अवश्य प्रदोष व्रत रख सकते हैं।

प्रदोष व्रत के दिन क्या ना करें

यदि आप प्रदोष व्रत रखने का सोच रहे हैं तो आपको इस दिन निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक होगा।

  • प्रदोष व्रत के दिन आपको रात्रि में अन्य ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • प्रदोष व्रत के दिन आपको नमक का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
  • प्रदोष व्रत के दिन आप ब्रह्मचर्य को ना तोड़े।
  • प्रदोष व्रत के दिन मन में ईर्ष्या लोग और क्रोध जैसे विकारों को नहीं लाना चाहिए।
  • इस दिन आप मांसाहार और तामसिक भोजन के सेवन से बचें।

प्रदोष व्रत का उद्यापन करना चाहिए या नहीं 

वैसे तो प्रदोष व्रत का उद्यापन नहीं किया जाता है यह एक ऐसा व्रत है जो आजीवन रखना पड़ता है, यदि आपने भी प्रदोष व्रत रखना शुरू किया है और 11 या 21 व्रत का संकल्प लिया था, तो ही आप इसके व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। 

प्रदोष व्रत के उद्यापन कि विधि 

प्रदोष व्रत के उद्यापन करने की विधि निम्नलिखित रूप से है।

  • यदि आप प्रदोष व्रत का उद्यापन करना चाहते हैं तो उसके 1 दिन पहले आपको भगवान गणेश की आराधना करना है।
  • अब प्रदोष व्रत वाले दिन आपको 2 ब्राह्मण को जोड़े से बुलाना है।
  • उन ब्राह्मण जोड़े की पूजा करके उनके पैर पढ़ें।
  • आप एक मंडप तैयार करें, जिस मंडप के अंदर रंगोली डालकर भगवान शिव की पूजा करना है।
  • आपको खीर की 108 आहुति देना।
  • ब्राह्मणों द्वारा मंत्री का उच्चारण और विधि पूर्वक पूजा करना है।
  • उसके बाद ब्राह्मणों को जोड़े से भोजन कराने के बाद उनके चरण पड़े और दक्षिणा भेंट करें।
  • सब कुछ करने के बाद आप ब्राह्मणों से निवेदन करके अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।

दोस्तों आज हमने इस लेख के माध्यम से आपको प्रदोष व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने का प्रयास किया है, आपको हमारे इस लेख के माध्यम से प्रदोष व्रत से संबंधित सभी जानकारियां प्राप्त हो गई होगी। यदि आपको हमारे द्वारा लिखा आज का यह लेख पसंद आया तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।

धन्यवाद 

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