प्रदोष व्रत कैसे करना चाहिए। पशुपति व्रत का उद्यापन कैसे करें।

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आप सभी लोगों में से बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो कि प्रदोष व्रत करते हैं अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अगर आप लोग भी चाहते हैं कि आपकी कोई बड़ी मनोकामना जो सालों से पूरी ना हो रही हो तो वह पूरी हो जाए तो आपको हमारी यह बातों को सुनना चाहिए और पढ़ना चाहिए क्योंकि प्रदोष व्रत एक ऐसा व्रत होता है जिस व्रत को करने से हमारी मनचाही मनोकामना पूरी हो सकती है अगर हम सच्चे मन और पूरी शक्ति से इस व्रत को धारण करें और इसकी पूरी विधि को अच्छे से अपनाएं।

प्रदोष व्रत का सबसे पहला नियम होता है कि जिस दिन भी आप प्रदोष व्रत रख रहे हो और जब भी प्रदोष पढ़ रही हो तो उस दिन आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठना है और सबसे पहले स्नान करना है। उसके बाद फिर आसन पर बैठकर भगवान की भक्ति को धारण करना है।

प्रदोष व्रत रखने वाले भाइयों और बहनों को दिन भर जितना हो सके भोले बाबा के नाम का जाप करते रहना चाहिए। भोलेबाबा के जितने भी मंत्र होते हैं उन सभी का उच्चारण करना चाहिए।

दिनभर आपको भोलेनाथ की भक्ति में गुजारना चाहिए तभी आपको पशुपति व्रत का पूरा फल मिलता है।

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प्रदोष व्रत करने वाले को क्या करना चाहिए

प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति को शाम के समय आधा घंटा या 10 मिनट बैठ कर शिव जी का भजन करना चाहिए।

अगर साथ में कोई भजन करने वाला ना हो तो आप को अकेले ही बैठकर भोले बाबा की भक्ति में डूब जाना चाहिए।

प्रदोष व्रत करने वाले को क्या नहीं करना चाहिए

प्रदोष व्रत करने वाले को भोजन नहीं करना चाहिए।

अगर प्रदोष व्रत करने वाला फल हार भी करता है तो उसमें भी नमक का उपयोग नहीं करना चाहिए।

प्रदोष व्रत में किसी भी प्रकार की नमक का सेवन वर्जित होता है।

प्रदोष व्रत का उद्यापन कैसे करें

जब आपकी 11 प्रदोष हो जाएं या 26 प्रदोष हो जाए तो उस समय आप को प्रदोष व्रत का उद्यापन कर देना चाहिए।

प्रदोष व्रत का उद्यापन करने के लिए दो ब्राह्मणों को जोड़े से बुलाओ।

ब्राह्मणों को जोड़े से बुलाकर उनके चरणों की पूजा करके आराधना करके भोले बाबा का सुंदर मंडप तैयार कर कर रंगोली बनाकर सजाकर भगवान शंकर की प्रदोष काल में पूजा करो।

प्रदोष के एक दिन पहले गणेश जी की आराधना करो उनके भजन करो।

जिन ब्राह्मणों को आप ने बुलाया है उन ब्राह्मणों से मंत्रों का उच्चारण करवाइए 108 खीर की आहुतियां दिलवाईए।

उसके बाद ब्राह्मणों को जोड़ें से भोजन करवाकर उनके चरणों को नमन करके दक्षिणा प्रदान करें।

दक्षिणा देने के बाद आपको ब्राह्मणों से प्रार्थना करना है जिस प्रदोष का व्रत हमने पूरा किया है उस प्रदोष व्रत का फल हमें मिल जाए।

ब्राह्मणों के चरणों को नमन कर कर उनके हाथों से अपने सर पर अक्षत के दाने छुड़वाए।

उसके बाद रात्रि में भगवान भोलेनाथ का भजन करें और भोलेनाथ से प्रार्थना करें कि भोलेनाथ हमारे जीवन के सभी दुख समस्याओं को दूर करें।

हम आशा करते हैं कि आपको हमारी लिखी हुई बातें जो कि श्री पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा बताई गई हैं आपको समझ आ गई होंगी अगर आपको कोई बात समझ नहीं आई है तो उसे आप हमसे हमारी कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं धन्यवाद

ओम नमः शिवाय

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