प्रदोष व्रत के उपाय प्रदीप मिश्रा || pradeep mishra pradosh vrat upay

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नमस्कार दोस्तों, आप सभी लोग जानते हैं कि प्रदोष व्रत एक ऐसा व्रत होता हैं जो कि भगवान भोलेनाथ को बहुत ही ज्यादा प्रिय होता हैं। आज इस लेख में हम आप लोगों को प्रदोष व्रत के दिन किए जाने वाले पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा बताए गए शिव महापुराण के कुछ ऐसे उपाय बताने वाले हैं जिन उपायों को करके आप अपने जीवन में बहुत सारी दुख और समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं और अपनी मनोकामना को भी करवा सकते हैं।

यह सारे उपाय आप हर महीने पढ़ने वाली दो प्रदोष में से किसी भी प्रदोष को कर सकते हैं क्योंकि हर महीने एक कृष्ण पक्ष की और एक शुक्ल पक्ष की प्रदोष पड़ती है।

प्रदोष व्रत का पहला उपाय

इस उपाय में आपको प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शाम के समय में एक लोटे में थोड़ा सा जल लेना हैं उस जल के अंदर आपको एक बेलपत्र, एक शमी पत्र, कुछ हरे मूंग के दाने और एक छोटा सा गुड़ का टुकड़ा लेना हैं।

इस तरीके से इस जल को आपको अपने घर से ही प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शाम के समय में एक लोटे के अंदर यह चारों सामग्रियां डालकर भगवान शिव जी के मंदिर पहुंचकर इस जल को भगवान शिव जी की शिवलिंग के ऊपर चढ़ा देना हैं। इस जल को भगवान शिव जी की शिवलिंग के ऊपर चढ़ाने के बाद अपने मन की कामना भगवान शिव जी से बोल देना हैं।

यहां पर यह उपाय पूरा हो जाता हैं।

प्रदोष व्रत का दूसरा उपाय

यह उपाय आप अपनी किसी भी प्रकार की सरकारी या प्राइवेट नौकरी के लिए कर सकते हैं। अगर आप भी परीक्षा में पास नहीं हो रहे हैं, इंटरव्यू देकर थक चुके हैं और आपकी नौकरी नहीं लग रही है तो आप प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में यह वाला उपाय करके देखें आपकी नौकरी जरूर लग जाएगी।

इस उपाय में आपको प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय प्रदोष काल में एक लोटा जल और एक छोटे से पात्र में शुद्ध देसी गाय का दूध लेकर जाना हैं। इसके साथ में आपको दो आटे के गोल बाती के दीपक तैयार करके लेकर जाना हैं। जिसमें से पहला दीपक आप शुद्ध देसी गाय के घी का लेकर जाएंगे और दूसरा दीपक आप तेल का लेकर जाएंगे।

यह सभी सामग्रियां लेकर आप अपने घर के पास में जो बेलपत्री का वृक्ष हो उसके नीचे प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में लेकर पहुंच जाइए।

बेलपत्री का वृक्ष बड़ा होना चाहिए। अब आप उसी बेलपत्र के वृक्ष के नीचे जाकर बैठ चाहिए। अब आप उस बेलपत्र के वृक्ष की जड़ में सबसे पहले अपना आधा लोटा जल समर्पित कीजिए, उसके बाद में अपना वह पूरा दूध समर्पित कर दीजिए और आखरी में आपके पास जो जल बचा हुआ है वह पूरा वहीं पर समर्पित कर दीजिए। मतलब पहले जल चढ़ाना हैं, फिर दूध चढ़ाना हैं, फिर वापस से जल चढ़ाना हैं। अब आपको अपने सीधे हाथ की तरफ शुद्ध देसी गाय के घी का दीपक जलाना हैं और उल्टे हाथ की तरफ तेल का दीपक जलाना हैं। दोनों दीपक को जलाने के बाद आप हाथ जोड़कर भगवान से अपनी नौकरी के लिए, परीक्षा के लिए, इंटरव्यू के लिए प्रार्थना करें और वहीं पर धोक देकर आशीर्वाद लेकर अपने घर वापस आ जाए।

यहां पर यह उपाय पूरा हो जाता हैं।

प्रदोष व्रत का तीसरा उपाय

इस उपाय को भी आपको प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में करना हैं।

इस उपाय में आपको प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शाम के समय दो आटे के गोल बाती के शुद्ध देसी गाय के घी के दीपक तैयार करने हैं।

प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय दो दीपक एक प्लेट में रखकर अपने घर से आपको निकलना हैं।

अब आपको सबसे पहले किसी भी बड़े वाले बेलपत्र के वृक्ष के नीचे जाना हैं और अपना वह पहला दीपक वहां पर बैठकर जलाकर आना हैं और भगवान से प्रार्थना करना हैं अपने घर परिवार के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना हैं। उसके बाद आपका जो दूसरा दीपक रहेगा, उसे लेकर आपको अपने घर के मुख्य द्वार या चौखट पर आ जाना हैं। जैसे ही आप पहले दीपक को बेलपत्र के वृक्ष के नीचे लगाकर अपने घर के मुख्य द्वार पर पहुंच जाएं तो बाहर की तरफ से बैठकर ही अपने सीधे हाथ की तरफ यह दूसरा दीपक भगवान भोलेनाथ के नाम का स्मरण करते हुए जला दीजिए और यहां पर भी भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना कर लीजिए।

दोनों दीपक आपको शुद्ध देसी गाय के घी के तैयार करने हैं और पहला दीपक आपको बेलपत्र के वृक्ष के नीचे ही लगाना हैं और वह बेलपत्री का वृक्ष बड़ा होना चाहिए फिर उसके बाद में दूसरा दीपक आपको अपने घर के मुख्य द्वार पर आकर जलाना हैं।

यहां पर यह उपाय पूरा हो जाता हैं।

प्रदोष व्रत का चौथा उपाय

इस उपाय में आपको सिर्फ 7 बेलपत्र की आवश्यकता होगी और इस उपाय को भी आपको प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय में प्रदोष काल में करना हैं।

इस उपाय को करने से आपको आपको प्रदोष व्रत का फल भी मिल जाएगा भले ही आप प्रदोष व्रत ना करते हो।

इस उपाय को करने के लिए अगर आपको सात बेलपत्र नहीं मिलती हैं तो आप भगवान शिव जी की शिवलिंग के ऊपर से ही सात बेलपत्र को उठाकर उन्हें धोकर इस उपाय में उपयोग कर सकते हैं।

आप प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव जी के मंदिर पहुंच जाइए। अगर आप अपने सात में साथ बेलपत्री लेकर नहीं आए हैं तो अब भगवान शिव जी की शिवलिंग के ऊपर से सात बेलपत्री को उठाइए। उन्हें धो लीजिए उसके बाद उपाय में उपयोग कीजिए।

अब आपको भगवान शिव जी के पास में बैठकर इन साथ बेलपत्र इसे ब्रह्मकमल बनाना हैं। ब्रह्म कमल बनाने के लिए आपको सबसे पहले इन सातों बेलपत्री को एक साथ जमा लेना हैं अब इन सातों बेलपत्री को एक साथ जमाकर आपको इनको गोल आकार दे देना हैं। मतलब जो इन सातों बेलपत्र की डंडी होगी वह बीचो-बीच होगी और पत्तियां गोल आकार के रूप में होंगे। गोल आकर देने के लिए इन सातों बेलपत्र को एक दूसरे के साइड में खिसकाते जाइए। जिससे कि यह बेलपत्री‌ का एक गोलाकार ले लेगा। अब इन बेलपत्र के ब्रह्मकमल को आप अपनी दोनों हथेलियों से भगवान शिव जी के शिवलिंग के ऊपर समर्पित कर दीजिए और अपनी मनोकामना भगवान शिव जी से बोल दीजिए।

यहां पर यह उपाय पूरा हो जाता हैं।

प्रदोष व्रत का पांचवा उपाय

इस उपाय को करने के लिए आपको भगवान शिव जी के मंदिर प्रदोष व्रत के दिन सुबह या शाम के समय जाना हैं।

इस उपाय को करने के लिए आपको शिव जी की शिवलिंग के पास में बैठना हैं ‌और आपने देखा होगा कि जब हम भगवान शिवजी पर जल चढ़ाते हैं तो वह जल बहता हुआ जलाधारी से नीचे गिरता हैं तो जलाधारी का वो आखिरी हिस्सा जहां से जल नीचे गिरता हैं उस स्थान पर आपको अपनी हथेली लगानी हैं। वहां पर अपनी हथेली लगाकर आंखें बंद कर कर शिवजी के किसी भी एक मंत्र का जाप करते हुए आपको अपनी मनोकामना बोलना हैं। 1 से 2 मिनट तक आपको वहां पर हथेली लगाकर श्री शिवाय नमस्तुभयम या भगवान शिव जी के किसी भी एक मंत्र का जाप करना है अब अपनी मनोकामना भगवान शिव जी से बोल देना हैं।

यहां पर यह उपाय कौन हो जाता हैं।

शीर्षक

दोस्तों यहां पर हमने आपको पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा बताए गए शिव महापुराण कथा के प्रदोष व्रत के यह 5 उपाय बताए हैं। आप इन उपायों को अच्छे से समझकर करके देखिए। आपको बहुत जल्द ही इन उपाय को करने का फल मिलेगा।

अगर आप कोई उपाय को करने में कोई भी समस्या आती हैं तो उसे आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते हैं।

धन्यवाद

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