Purnima Kya Hoti Hai । पूर्णिमा के दिन क्या होता है, पूर्णिमा कब है 2023

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हेलो दोस्तों, पूर्णिमा शब्द संस्कृत का एक शब्द है जो प्रत्येक माह में चंद्र नक्षत्र के बीच पढ़ने वाली विभाजन को चिन्हित करता है तक पूर्णिमा होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्र देव धरती पर अमृत की वर्षा करते हैं। ज्योतिष शास्त्रों में पूर्णिमा के रहस्य को अलग-अलग प्रकार से उजागर किया गया है, हर साल 12 पूर्णिमा होती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र कला के आधार पर 15-15 दिन के दो पक्ष बांटे गए है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के आखिरी दिन को पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है और वर्ष में ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन होते हैं जिस पर मनुष्यों के जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। पूर्णिमा को पूर्णमासी का नाम से भी जाना जाता है, पूर्णिमा तिथि चंद्र देव को समर्पित मानी जाती है और चंद्र देव को जल से संबंधित माना जाता है कहते हैं जब जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार भाटा उत्पन्न होता है क्योंकि चंद्र देव समुद्र के जल को ऊपर की तरफ खींचते हैं। आज हम आपको पूर्णिमा के बारे में विस्तार पूर्वक बताने वाले हैं।

पूर्णिमा क्या है (purnima kya hai)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा का अर्थ चंद्रमा का पूर्ण आकार के प्राप्ति होने से होता है, शास्त्रों के अनुसार चंद्र देव को पृथ्वी की परिक्रमा करने में पूरे 28 दिनो का समय लगता है। जिसके दौरान चंद्रमा का आकार कभी बढ़ता है तो कभी घटता है, जिस समय चंद्रमा का आकार पूरा गोल हो जाता है उसी दिन पूर्णिमा तिथि होती है। शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का बहुत अत्यधिक महत्व माना जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा बहुत अत्यधिक चमकता है जिसका संबंध जल से होता है। प्रत्येक माह में 1 पूर्णिमा होती है और वर्ष में 12 पूर्णिमा होती हैं। लेकिन जिस वर्ष अधिकमास लगता है तब पूर्णिमा संख्या में की एक संख्या और बढ़ जाती है इस हिसाब से साल में 13 पूर्णिमा पड़ती हैं। प्रत्येक पूर्णिमा का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर अलग-अलग प्रकार से पड़ता है और व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता है।  

पूर्णिमा कब है (Purnima Kab Hai)

वर्ष 2023 की आखिरी पूर्णिमा 26 दिसंबर 2023 मार्गशीर्ष माह में पड़ेगी, इस वर्ष इस पूर्णिमा से आकृत संकष्टी चतुर्थी तक 7 दिन के शुभ मुहूर्त योग बन रहे हैं, इसलिए इस पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाएगा। 

पूर्णिमा का महत्व (Purnima Ka Mahatva)

शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा तिथि को पूर्ण तत्व तिथि माना जाता है और यह तिथि चंद्र देव को पूर्ण समर्पित होती है। पूर्णिमा तिथि का महत्व जल तत्व से माना जाता है क्योंकि चंद्र देव जल से संबंधित देव माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है इस दिन वातावरण में विशेष ऊर्जा आती है और मनुष्यों को मानसिक तनाव जैसी समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है। पूर्णिमा के स्वामी चंद्र देव होते हैं इसलिए इस दिन चंद्र देव की पूजा भी करना चाहिए, ऐसा करने से जातक के जीवन में अद्भुत लाभ होता है। कई जगह  तिथि को भक्त अपने घर में भगवान सत्यनारायण की कथा भी कराते है। यदि किसी जातक का चंद्रमा कमजोर होता है तो ऐसे जातक को पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से पूजा करने से काफी लाभ होता है और उनका चंद्रमा भी मजबूत होता है तथा चंद्रमा के दुर्योगों को भी समाप्त किया जा सकता है। इस दिन प्राचीन नदियों में स्नान करने का भी अत्यधिक महत्व माना जाता है और साथ में दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व माना गया है।

पूर्णिमा के दिन क्या करें

आप में से बहुत से लोग सोचते हैं पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए तो हम आपको निम्नलिखित तरीकों से समझाएंगे।

  • इस दिन आप अपने घर में भगवान सत्यनारायण की कथा का आयोजन भी करा सकते हैं।
  • पूर्णिमा चंद्रमा को समर्पित है और चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है, इसलिए इस दिन चंद्र देव की पूजा भी करना चाहिए।
  • पूर्णिमा के दिन आपके व्रत भी रखना चाहिए।
  • पूर्णिमा के दिन आप भगवान शंकर के महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते है।
  • पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान भी करना चाहिए।

पूर्णिमा के दिन क्या ना करे 

पूर्णिमा के दिन हमें क्या नहीं करना चाहिए इस बात को विशेष ध्यान में रखना जरूरी है।

  • इस दिन आप किसी भी प्रकार से तामसिक वस्तुएं और मदिरा सेवन करने से बचे।
  • इस दिन भूल से भी किसी व्यक्ति का अपमान ना करें।
  • पूर्णिमा के दिन जीव जंतुओं को भी नहीं परेशान करना चाहिए।
  • पूर्णिमा पर किए जाने वाला बुरा कार्य आपके भविष्य का दुष्परिणाम हो सकता है, इसीलिए आप इस दिन भगवान का स्मरण करें।
  • इस दिन आप किसी भी वृद्ध जनों का अपमान बिल्कुल भी ना करें।

वर्ष में कितनी पूर्णिमा होती है 

वैसे तो वर्ष में 12 पूर्णिमा होती है लेकिन जिस वर्ष अधिक मास होता है तब इनकी संख्या 13 हो जाती है। वर्ष में आने वाली पूर्णिमा कुछ इस प्रकार है।

  • पौष पूर्णिमा
  • माघ पूर्णिमा 
  • फाल्गुन पूर्णिमा
  • चैत्र पूर्णिमा
  • बुद्ध पूर्णिमा
  • देव स्नान पूर्णिमा
  • गुरु पूर्णिमा
  • श्रावण पुर्णिमा
  • शरद पूर्णिमा
  • कार्तिक पूर्णिमा
  • मार्ग विशेष पूर्णिमा

पूर्णिमा के दिन होने वाले उपाय 

पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की आराधना करने से जातक के जीवन में उनकी विशेष कृपा बनी रहती है, ऐसे में हम पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले कुछ उपाय को बताएंगे।

  • शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के दिन सुबह 10:00 बजे पीपल के वृक्ष में मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
  • प्रत्येक पूर्णिमा को आप सुबह स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ पर थोड़ा मीठा रखने के बाद मीठा जल अर्पण करें।
  • इसके बाद आप धूप अगरबत्ती जलाकर मां लक्ष्मी की पूजन करें और अपने घर पर निवास करने के लिए उन्हें आमंत्रित करें।
  • हर पूर्णिमा के दिन सुबह के समय हल्दी में पानी डालकर घर के मुख्य दरवाजे पर ॐ का चिन्ह बनाएं।
  • प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि के समय साबूदाने में मिश्री मिलाकर उसकी खीर बनाएं और उसे मां लक्ष्मी को भोग के रूप में रखें।
  • प्रत्येक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य दरवाजे पर आम के ताजे पत्तों का बना तोरण लगाए।
  • पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बिलपत्र, शमीपत्र और फल अवश्य चढ़ाएं इससे भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है।
  • पूर्णिमा के दिन सफेद चंदन में केसर मिलाकर भगवान शंकर को अर्पित करने से घर के कलह और अशांति दूर होती है।
  • पूर्णिमा को पति पत्नी रात्रि के समय चंद्रमा को दूध का अर्घ्य अवश्य करें।
  • इस दिन स्वास्थ संबंधी व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र जाप भी अवश्य करें। 

दोस्तों आज हमने अपने इस लेख के माध्यम से पूर्णिमा के विषय में आपको विस्तार पूर्वक जानकारी देने का प्रयास किया है, 26 दिसंबर 2023 को वर्ष की आखिरी पूर्णिमा होगी। यदि आपको हमारे द्वारा लिखा लेख पसंद आया तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।

धन्यवाद

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