सकट चौथ कब है, सकट चौथ को क्या करना चाहिए । Sakat Chauth Kab Hai 2024

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हेलो दोस्तों, सकट चौथ माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है इस व्रत को विशेष तौर पर स्त्रियां अपने संतान की दीर्घायु और उनकी सफलता के लिए करती हैं। मान्यता के अनुसार उसे दिन व्रत करने से संतान को रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति होती है तथा उनके जीवन में आने वाली सभी विघ्न और बाधाएं भगवान गणेश जी द्वारा दूर कर दी जाती हैं। सकट चौथ के दिन घर की स्त्रियां पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को भगवान गणेश की पूजा तथा चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही जल ग्रहण करती हैं। इस दिन संकट हरण गणपति जी का पूजन होता है और साथ ही विद्या, बुद्धि, बारिधि गणेश तथा चंद्रमा की पूजा की जाती है। 2024 में सकट चौथ व्रत 29 जनवरी 2024 सोमवार के दिन मनाई जाएगी।

नाम सकट चौथ (संकष्टी चतुर्थी)
कब है29 जनवरी 2024 सोमवार
तिथि प्रारंभ29 जनवरी 06:10 AM
तिथि समापन30 जनवरी 08:54 AM

सकट चौथ क्या है (Sakat Chauth Kya Hai)

प्रत्येक महीने चतुर्थी तिथि दो बार आती है एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में, शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनय की चतुर्थी कहते हैं वहीं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी के नाम से जाना जाता है। माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का भौतिक विशेष महत्व माना जाता है इसे संकष्टी चतुर्थी या सकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है। चतुर्थी तिथि विशेष कर भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है इस दिन घर की स्त्रियां निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को भगवान गणेश जी और चंद्रमा की पूजा करती हैं। हमारे हिंदू धर्म में सकट चौथ का व्रत बहुत ही खास माना जाता है इस दिन सकट माता की पूजा की जाती है, क्योंकि यह सकट चौथ संतान की लंबी आयु के लिए विशेष मानी जाती है। संतानों के कष्टों को हरने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

सकट चौथ कब है (Sakat Chauth Kab Hai)

2024 में सकट चौथ 29 जनवरी 2024 सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन भालचंद्र गणेश जी की पूजा की जाती है और पुत्रवती स्त्रियां अपने पुत्रों की सुख समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

सकट चौथ के अन्य नाम

सकट चौथ को अलग-अलग जगह अलग-अलग नाम से जाना जाता है आपके शहर में इसे किस नाम से जाना जाता है आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं हम आपको सकट चौथ के कुछ अन्य नाम बताएंगे।

  • संकष्टी चतुर्थी
  • संकटा चौथ
  • माघी चौथ
  • तिल चौथ
  • तिलकुट चतुर्थी
  • तिलकुटिया चतुर्थी

सकट चौथ के दिन क्या करना चाहिए

हमारे शास्त्रों के अनुसार चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है जो बुद्धि के दाता विघ्नहरता भी हैं। हम आपको सकट चौथ के दिन करने वाले कुछ ऐसे विशेष कार्य बताएंगे जिन्हें करके आप अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं।

  • सकट चौथ के दिन आप गणेश चालीसा का पाठ करें और भगवान गणेश की आरती भी करें।
  • इस दिन आप गणेश जी के सामने दो सुपारी दो इलायची रखें। इससे किसी भी कार्य में आने वाली बधाएं भगवान गणेश द्वारा दूर कर दी जाती हैं।
  • भगवान गणेश को पूजा के दौरान लाल कपड़े में श्री यंत्र और उनके बीच में सुपारी रखें, शाम के समय श्रीयंत और सुपारी को तिजोरी में रख दें।
  • भगवान गणेश जी की मूर्ति को उत्तर दिशा की तरफ ही स्थापित करें और उन्हें 11 हरी पत्ती और दूर्वा अर्पित करें।
  • इस दिन आप लाल आसन पर बैठकर ओम नमो भगवते गजाननाय का 108 बार जाप कर सकते हैं।
  • इस दिन आप भगवान गणेश जी को पूजा में तिल के लड्डू गुड, रोली, मौली, चावल, फूल चढ़ाएं।
  • प्रसाद के तौर पर केला और मोदक चढ़ाएं साथ में तांबे के लोटे में जल रखें।
  • इस दिन आप दाईं तरफ सूंड वाले गणपति जी की पूजा करें ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।

सकट चौथ का व्रत कैसे करें

माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ कहा जाता है, इस दिन सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करके ही व्रत का संकल्प लिया जाता है। व्रत संकल्प लेने के बाद भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करके उन्हें भोग अर्पित किया जाता है और फिर गणेश स्तुति और मंत्रों का जाप किया जाता है। इस तरह सकट चौथ का व्रत का पालन किया जाता है।

सकट चौथ की पूजा सामग्री

सकट चौथ के पूजा की सामग्री को जिस प्रकार से है जिन्हें आप अपने आसपास के दुकान से खरीद सकते हैं।

  • पीला कपड़ा
  • गणेश जी की प्रतिमा
  • जनेऊ
  • सुपारी
  • चौकी
  • इलाइची
  • श्रृंगार का सामान
  • गंगाजल
  • लाल फूल
  • दुर्वा 22 गांठ वाली
  • रोली
  • अक्षत (चावल)
  • कलश
  • सिंदूर
  • हल्दी
  • मौली
  • इत्र
  • घी
  • दीप
  • धूप
  • तिल के लड्डू
  • मोदक
  • फल
  • दूध
  • तिल
  • पान के पत्ते भी

सकट चौथ पूजा विधि (Sakat Chauth Puja Vidhi)

सकट चौथ के दिन घर की स्त्रियां विशेष तौर से भगवान गणेश जी का व्रत रखती हैं इस दिन की जाने वाली पूजा की विधि कुछ इस प्रकार से है।

  • सर्वप्रथम आप सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प ले लें।
  • आपको अपने पूजा स्थान को शुद्ध करना है और वहां पर चौकी विछायें उसके बाद उसपर पीला कड़ा बिछा दें।
  • उसे चौकी पर आप भगवान गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें, उसके बाद गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें।
  • एचडी में आपको अब आपको भगवान गणेश जी को तिलक करना है और उन्हें वस्त्र स्वरूप जनेऊ समर्पित करें।
  • यदि जानू ना हो तो आप मौली को सात बार लपेटकर अर्पित कर सकते हैं।
  • इसके बाद आपको फूलों का आसन देकर दीप प्रज्वलित करना है।
  • दीप प्रज्वलित करने के बाद आपको दिए की भी विधिपूर्वक पूजा करना है। उसके के बाद आप भगवान गणेश जी को पुष्प अर्पित करें।
  • उसके बाद आपको भगवान को दूर्वा और घास अर्पित करना है जिसमें 11 या 21 गांठ लगी हो।
  • भगवान गणेश को लाल रंग अति प्रिय है यदि आपको लाल रंग के पुष्प मिल जाते हैं तो अति उत्तम है या फिर आप साधारण पुष्प भी अर्पित कर सकते हैं।
  • इसके बाद आप गंगाजल को कलश में भरकर रख दें और भगवान गणेश को तिलकुट का भोग अर्पित करें।
  • इसके साथी आपको दक्षिणा समर्पित करना है और साथ में आप फल को भी समर्पित करें।
  • थोड़े से सबूत तिल भगवान गणेश को समर्पित करें और थोड़े से दीपक को समर्पित करें।
  • इसके बाद आप सकट चौथ की व्रत कथा सुने और श्रृंगार का सामान रखें।
  • जल के लोटे पर आप स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और उसका तिलक करें।
  • इसके बाद आप भगवान गणेश जी को धूप और दीप दिखाएं।
  • इसके बाद आप गणेश जी की आरती करें विधिपूर्वक पूजा करें और अपनी मनोकामना मांगे।
  • आपको शाम को समय चंद्रमा की भी विधिपूर्वक पूजा करनी है और उन्हें अर्घ्य देना है।
  • शाम के समय जब चंद्रमा की पूजा करें तब भोग को और श्रृंगार के समान को आप अपने घर में किसी बड़ी स्त्री को दे सकते हैं।

सकट चौथ के व्रत का पारण कैसे करें

सकट चौथ के व्रत का पारण करने से पहले चंद्रमा के दर्शन करना बहुत जरूरी है, आप सकट चौथ के शाम के समय चंद्रमा के दर्शन कर उनकी पूजा करने के बाद ही उपवास का पारण करें और जल ग्रहण करें।

सकट चौथ का महत्व

शास्त्रों के अनुसार सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है और इसका बहुत विशेष महत्व माना जाता है। पुत्रवती स्त्रियां अपनी संतान के दीर्घ आयु की मनोकामना के लिए इस दिन व्रत करती है इस व्रत को निर्जला व्रत कहा जाता है क्योंकि इस दिन स्त्रियां पानी भी नही पीती है। शाम को पूजा के पश्चात ही कुछ खाया जाता है, इस दिन व्रत करने से संतान के जीवन में सभी विघ्न, बाधाओं और संकट को भगवान गणेश जी द्वारा दूर कर दिया जाता है इसलिए इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

सकट चौथ की व्रत कथा (Sakat Chauth Vrat Katha)

हमारे शास्त्रों के अनुसार सकट चौथ की तीन अलग-अलग कथाएं हैं जिनमें से सबसे प्राचीन कथा भगवान शंकर की कथा है। हम अपनी इस लेख के माध्यम से आपको सकट चौथ की भगवान शंकर की कथा बताएंगे। प्राचीन काल में एक समय जब मां पार्वती स्नान करने जा रही थी तब उन्होंने अपने पुत्र गणेश को पहरा देने के लिए द्वार पर खड़ा किया और उन्हें रखवाली का आदेश दिया। माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को आदेश दिया कि जब तक मैं स्नान कर बाहर ना आओ तब तक तुम किसी को भी भीतर आने की इजाजत मत देना। माता के इस आदेश को सुनते ही पुत्र गणेश घर के बाहर पहरा देने। थोड़ी देर बाद भगवान शिव मां पार्वती से मिलने आए लेकिन भगवान गणेश ने उन्हें मां पार्वती से मिलने से रोक लिया, भगवान गणेश द्वारा शिवजी को रोके जाने पर उन्हें इस बात से बेहद आहत और अपमानित महसूस हुआ। भगवान शिव बार-बार गणेश जी से आग्रह करते रहे लेकिन गणेश जी ने उनकी एक न सुनी। तब शिवजी इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने अपने त्रिशूल से भगवान गणेश जी की पूरी गर्दन उड़ा दी। इतना शोरगुल सुनते जैसे ही मां पार्वती बाहर आए तो उन्होंने देखा कि भगवान गणेश जी की गर्दन कटी हुई है, यह देखकर वह रोने लगी और शिवजी से गणेश जी के प्राण वापस मांगने का अनुरोध किया। माता पार्वती के इस आग्रह पर भगवान शिव जी एक हाथी के सर को गणेश जी के शरीर पर लगा दिया इस तरह से भगवान गणेश जी को दूसरा जीवन मिला। तब से ही भगवान गणेश की हाथी की तरह सूंड और कान होने लगे और महिलाएं अपने बच्चों की सलामती के लिए माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने लगी।

दोस्तों आपको हमारा सकट चतुर्थी के बारे में लिखा लेख कैसे लगा आप हमे नीचे कमेंट करके जरूर बताएं, आपके यहां इसे किस नाम से जाना जाता है आप हमे ये भी अवश्य बताएं।

धन्यवाद

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