नमस्कार दोस्तों आप सभी लोग जानते हैं कि 22 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो गया है जिसको लेकर बहुत भक्तगणों के मन में सावन के महीने की कथा सुनने की एक अभिलाष जरूर होगी इसलिए आज इस लेख में हम आप लोगों को सावन के महीने की एक ऐसी कथा सुनाएंगे जिसको सुनकर आपके अंदर भी भगवान शिव जी की भक्ति जाग जाएगी और आप भी भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए अपनी भरपूर कोशिश करेंगे सावन के महीने में क्योंकि सावन का महीना ही एक ऐसा महीना होता है जिस महीने में भगवान शिव हमसे बहुत प्रसन्न होते हैं।
तो दोस्तों एक बार की बात है एक बुड्ढी अम्मा और उसका बेटा साथ में रहते थे, मां और बेटे बहुत मेहनत करके मजदूरी करके अपना गुजारा करते थे फिर कुछ समय बाद बुड्ढी अम्मा को लगा कि उसका बेटा अब बड़ा हो चुका है और उसकी अब शादी कर देनी चाहिए और मुझे अपने लिए अब बहू लानी चाहिए। फिर कुछ समय बाद बुड्ढी अम्मा ने अपने बेटे का विवाह एक सुशील कन्या से कर दिया। उसकी बहू बहुत सुशील, सुंदर और संस्कारी थी, वह नित्य प्रति उठकर घर की साफ सफाई करके स्नान आदि कर भगवान शिव का अपने घर में ही पूजन करती थी। विवाह के कुछ समय बाद सावन का महीना आया। बुड्ढी अम्मा की बहू भगवान भोलेनाथ की अनन्य भक्त थी उसके मन में यह विचार आया कि वह सावन के महीने में मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें। अपने मन की यह आशा विचार को उसने अपनी सास से कहा की माताजी सावन का महीना शुरू हो गया है मैं शिव मंदिर जाकर पूजा पाठ करना चाहती हूं शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहती हूं लेकिन बुड्ढी अम्मा ने उसे मना कर दिया और कहा घर में ही पूजा कर लो मंदिर जाने से समय बर्बाद होगा, इतनी समय में घर का सारा काम हो जाएगा। यह बात सुन बहू उदास हो गई लेकिन कुछ नहीं कर सकी। उदास होकर घर के कार्यों में लग गई। उस दिन उसने कुछ अन्य जल ग्रहण नहीं किया था अगले दिन बहू कुएं से जल लाने गई रास्ते में उसने देखा गांव की दो लड़कियां पूजा की थाली सजाकर मंदिर की ओर जा रही है। उसने उन्हें रोका और पूछा तुम सब कहां जा रही हो तब वह बोली सावन का महीना शुरू हो गया है हम सब भगवान भोलेनाथ का पूजन करने मंदिर जा रहे हैं यह सुन वह फिर उदास हो गई लड़कियों ने पूछा आप क्यों उदास हो गई तो वह बोली भगवान शिव मेरे आराध्य हैं लेकिन मेरी सास ने मुझे मंदिर जाकर पूजा करने से मना कर दिया। तब लड़कियां बोली आप चिंता मत करो हर रोज इसी समय पानी भरने आया करो और हमारे साथ मंदिर चलकर भगवान शिव की पूजा कर उन पर जल अर्पित किया करो। तब वह बोली लेकिन मेरे पास पूजा की कोई सामग्री नहीं है घर से लाऊंगी तो सास को पता चल जाएगा। तब लड़कियां बोली कोई बात नहीं आप हमारी पूजा की सामग्री से पूजन कर लेना यह सुनकर वह बहुत खुश हुई और रोज उनके साथ मंदिर जाने लगी जहां वह शिवलिंग पर जल चढ़ाती और भक्ति भाव से भोलेनाथ की पूजा करती और उनसे कहती मैंने अपनी सास से यह बात छुपाई है इसके लिए मुझे क्षमा कर दीजिएगा। ऐसे ही पूरा सावन का महीना बीत गया सावन के अंतिम दिन उसने सोचा पूरा महीना मैंने इन लड़कियों की पूजन सामग्री से पूजा करी है आज तो मुझे अपना कुछ भोलेनाथ को अर्पित करना ही चाहिए। ऐसा सोचकर उसने अपनी नाक से सोने की नथ उतारी और उसे धोकर शिवलिंग पर अर्पित कर दिया और पूजा कर घर आ गई। घर आकर वह अपनी सास से नजर छुपा कर इधर-उधर घूम रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसकी नाक में नथ न देखकर सांस जरुर पूछेगी कि नथ कहां गई। ऐसे ही दोपहर हो गई तभी अचानक सांस की नजर उसकी नाक पर गई और नाक में नथ ना देख कर सास ने पूछा बहू तुम्हारी नथ कहां है तो वह बोली, मां की मुझे नहीं पता शायद कहीं गिर गई होगी। सास बोली अच्छा तो यह बताओ कि तुम आज कहां-कहां गई थी वहीं जाकर ढूंढ लेंगे बहू बोली मैं सुबह पानी भरने गई थी तब तक तो मेरी नाक में नथ थी, इसके बाद में उपले थपने गई थी सास बोली चलो वहीं चलकर देखते हैं दोनों वहां पहुंचे जहां बहू ने उपले थेपे थे सास ने बहु से कहा चलो अब यह उपले तोड़कर देखते हैं दोनों सास और बहू उपले तोड़ने में लग गई जैसे ही दोनों ने उपले तोड़े दोनों के उपले में एक-एक नथ निकली, सास बोली नथ तो एक ही थी यह दो कैसे हो गई। इसके बाद सांस ने एक-एक कर सारे उपले तोड़ने शुरू कर दिए। अब सांस उपले तोड़ती जाए और उन सब में से नथ निकलती जाए। सास ने बहू की ओर देखा और पूछा यह क्या माजरा है तब बहू ने क्षमा मांगते हुए सारी बात उसे बता दी और कहा यह भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद है। आज मैंने सावन की समाप्ति पर उन्हें अपनी नथ अर्पित की थी और उन्होंने मुझे इतनी सारी नथ वापस कर दी। सास बहू की बात सुनकर बहुत खुश हुई और कहा सावन माह में स्नान जप तप और दान का इतना महत्व है तो अगले साल हम दोनों मिलकर शिवलिंग पर जल चढ़ाएंगे और पूजा पाठ करेंगे। अगला सावन का महीना आने पर दोनों सास बहू ने नियम से सावन का स्नान किया पूजा पाठ जप तप किया। भगवान भोलेनाथ की कृपा से बुड्ढी अम्मा का घर अन्य धन के भंडार से भर गया, बहू को एक सुंदर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है भोलेनाथ जैसी कृपा बुड्ढी अम्मा और उसकी बहू पर करी वैसे ही इस कहानी को कहते सुनते और हुंकार भरते सब पर करना। जय भोलेनाथ