तिल द्वादशी कब है, द्वादशी के दिन क्या करना चाहिए । Til Dwadashi 2024

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हेलो दोस्तों, हमारे सनातन धर्म में  कुछ त्यौहार ऐसे होते हैं जो मकर संक्रांति के साथ-साथ मनाए जाते हैं जिम भगवान की पूजा तिल और गुड़ के साथ की जाती है। वैसे तो हमारे हिंदू धर्म के सभी त्योहारों का अपना अपना महत्व होता है लेकिन आज हम आपको तिल द्वादशी के बारे में बताएंगे, क्योंकि यह साल मकर संक्रांति के बाद आने वाली माघ माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। एकादशी की तरह द्वादशी तिथि भी भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन शिव शंकर भोले बाबा की पूजा का भी विशेष महत्व माना जाता है। हालांकि हर महीने 2 द्वादशी तिथि पड़ती हैं जिनका अपना अपना ही महत्व है।

नाम तिल द्वादशी
कब है07 फरवरी 2024
तिथि प्रारंभ06 फरवरी 04:07 PM से 
तिथि समापन07 फरवरी 02:02 PM तक 
दिन बुधवार

तिल द्वादशी कब है 

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को तिल द्वादशी के नाम से जाना जाता है इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख और समृद्धि बनी रहती है। वर्ष 2024 में तिल द्वादशी 07 फरवरी को मनाई जाएगी।

तिल द्वादशी क्या है 

माघ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को हमारे सनातन धर्म में तिल द्वादशी का व्रत किया जाता है, हमारे धर्म में कुछ त्यौहार ऐसे होते हैं, जिनमे तिल और गुड़ के साथ भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। वैसे तो हमारे सभी त्योहारों का अपना ही विशेष महत्व माना जाता है लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास के महत्व वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है भगवान श्री हरि विष्णु को माघ महीने में स्नान करने मात्र से ही काफी प्रसन्नता होती है अतः व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, इसलिए हमारे सनातन धर्म में माघ माह का स्नान बहुत ही विशेष माना गया है। माघ माह में पढ़ने वाले सभी तिथियां और व्रत का महात्म्य वर्णन देखने को मिलता है। माघ मास की द्वादशी तिथि को उपवास करके भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को अपने जीवन में राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। वैसे तो हमारे शास्त्रों में माघ मास की प्रत्येक तिथि को एक पर भी तरह ही मनाया जाता है लेकिन एकादशी और द्वादशी ऐसी 2 तिथि हैं जो भगवान विष्णु को समर्पित हैं। 

तिल द्वादशी का मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार तिल द्वादशी तिथि का प्रारंभ 06 फरवरी दिन मंगलवार शाम को 04 बजकर 07 मिनिट पर प्रारंभ हो रहा है जो अगले दिन 07 फरवरी दिन बुधवार दोपहर 02 बजकर 02  मिनट तक है। हमारी सनातन धर्म में किसी भी त्यौहार को उड़िया तिथि के अनुसार मनाया जाता है इसलिए तिल द्वादशी 7 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी।

तिल द्वादशी पर क्या करें 

तिल द्वादशी तिथि के दिन करने वाले कुछ इस विशेष कार्य इस प्रकार से हैं।

  • तिल द्वादशी को भगवान शिव और विष्णु जी दोनों की एक साथ पूजा करने का दिन माना जाता है।
  • इस दिन तिल और गुड़ से बने पकवान का ही विष्णु जी और शंकर भगवान को भोग लगाएं।
  • तिल द्वादशी माघ मास में पड़ती है इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान जरूर करें।
  • तिल द्वादशी के दिन व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा दान पुण्य करना चाहिए।
  • इस दिन आप चाहे तो ठंडो के गर्म कपड़ों का भी दान कर सकते हैं।
  • यदि कोई महिला द्वादशी तिथि का व्रत करती है तो वह व्रत का पालन जरूर करें।

तिल द्वादशी के दिन क्या ना करें

तिल द्वादशी के दिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें करने से हर व्यक्ति को बचाना चाहिए।

  • इस दिन किसी भी व्यक्ति को बिना स्नान किए कुछ नहीं खाना चाहिए।
  • तिल द्वादशी के दिन किसी भी भगवान के बीच मतभेद की नजर से पूजा नहीं करना चाहिए।
  • इस दिन जीव जंतुओं को भी परेशान नहीं करना चाहिए।
  • तिल द्वादशी का बहुत ही महत्व माना गया है इसलिए आप तामसिक सेवन से बचें।
  • द्वादशी तिथि के दिन भूल कर भी मदिरा सेवन नहीं करना चाहिए।
  • द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु की बुराई नहीं करना चाहिए।

तिल द्वादशी की पूजा विधि 

वैसे तो द्वादशी तिथि को किसी प्रकार की विशेष पूजा नहीं होती आप जो भी पूजा करते हैं, अपने दिनचर्या में वही पूजा आप द्वादशी तिथि को भी कर सकते हैं लेकिन हम आपके तिल द्वादशी तिथि की पूजा विधि बताएंगे।

  • सर्वप्रथम आपको सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए।
  • अब आप अपने दैनिक नित्य कार्यों से निवृत हुए और स्नान करें।
  • यदि आपके आसपास पवित्र नदी है तो आप वहां भी स्नान कर सकते हैं।
  • अब आप अपने पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर लें।
  • अब आप भगवान विष्णु के चित्र को साफ स्थान पर स्थापित करें।
  • अब आप अपनी दैनिक पूजा को विधि पूर्वक करें।
  • द्वादशी तिथि के दिन आप तिल, गुड से बने व्यंजनों का ही भोग लगाएं।
  • अब आप चाहे तो वह प्रसाद अपने सभी घर के सदस्यों में बांट कर खा सकते हैं।

तिल द्वादशी का महत्व 

हमारी सनातन धर्म में माघ मास के पूरे महीने का ही विशेष महत्व माना गया है इसलिए तिल द्वादशी का भी अपना ही महत्व है। इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से व्यक्ति को अपने समस्त जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है इसके अलावा उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। सुशील द्वादशी तिथि ऐसी तिथि है जिस दिन भगवान विष्णु और शिव शंकर जी की पूजा एक साथ की जाती है ऐसे में जातक इस दिन दोनों भगवान को प्रसन्न करके अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं। जैसा कि आप सभी नाम से ही समझ रहे हैं तिल द्वादशी के दिन भगवान को तिल और गुड़ से बने व्यंजन अति प्रिय होते हैं ऐसे में आप विधिपूर्वक पूजा करके भगवान को तिल और गुड़ से बने मीठे व्यंजन अवश्य रखें।

दोस्तों, आज हमने तिल द्वादशी तिथि के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने का प्रयास किया है 7 फरवरी 2024 को तिल द्वादशी तिथि मनाई जाएगी, ऐसे में आप जो भी मनोकामनाएं पूर्ण करना चाहते हैं आप अवश्य कर सकते हैं। आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।

धन्यवाद

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