Til Kund Chaturthi 2024, ganesh jayanti puja vidhi, varad chaturthi vrat vidhi, vinayaki chaturthi ke din kya kare, til Kund chaturthi ka mahatva, (तिलकुंद चतुर्थी 2024, गणेश जयंती कब है, विनायकी चतुर्थी पूजा विधि, विनायकी चतुर्थी व्रत महत्व, वरद चतुर्थी के दिन क्या करे, तिलकुंड चतुर्थी के दिन क्या न करे)
हेलो दोस्तों, जैसा कि आप सभी जानते हैं हमारे सनातन धर्म में बहुत सारे देवी देवताओं के अलग-अलग त्यौहार तथा अलग-अलग तिथियां विभाजित हुई है। आज हम बात करेंगे चतुर्थी तिथि की जैसे विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित किया गया है, वैसे तो हर महीने दो चतुर्थी तिथि आती हैं एक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि दूसरी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, लेकिन आज हम बात करेंगे माघ माह में पढ़ने वाली कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की, जो भगवान गणेश को सबसे प्रिय होती है। माघ माह में आने वाली चतुर्थी तिथि को तिलकुंद चतुर्थी तिथि के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष तिलकुंद चतुर्थी 13 फरवरी 2024 को है आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से Til Kund Chaturthi के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने का प्रयास करेंगे।
नाम | तिलकुन्द चतुर्थी |
अन्य नाम | वरद चतुर्थी, विनायकी चतुर्थी, गणेश जयंती |
उत्सव | गणेश जयंती दक्षिण भारतीय अनुसार |
कब है | 13 फरवरी 2024 |
तिथि प्रारंभ | 12 फरवरी 05:45 PM |
तिथि समापन | 13 फरवरी 02:40 PM |
तिलकुंद चतुर्थी कब है
हिंदू पंचांग के अनुसार वरद चतुर्थी 12 फरवरी को शाम 05 बजकर 45 मिनिट पर शुरू होगी, जो 13 फरवरी दोपहर 02 बजकर 40 मिनिट तक रहेगी। हमारे शास्त्रों में किसी भी तिथि को उदिया समय अनुसार ही मनाया जाता है इस प्रकार से तिलकुंद चतुर्थी 13 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी।
तिलकुंद चतुर्थी क्या है
हमारे सनातन शास्त्रों के अनुसार चतुर्थी तिथि हर महीने में दो बार आती है, हमारे धर्म में दो पक्ष होते हैं कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष और इन्हीं दोनों पक्षों की एक-एक चतुर्थी तिथि हर महीने आती है। वैसे तो सभी चतुर्थी तिथि का अपना ही अलग महत्व होता है लेकिन माघ मास के महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी दोनों का विशेष महत्व माना गया है। कहा जाता है चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को सबसे प्रिय होती है और जनमानस की चतुर्थी तिथि को विनायकी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है और माघ मास की चतुर्थी को तिलकुंद चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन सभी भक्त लोग भगवान गणेश को पूजन में तिल और कुंद के फूल का उपयोग करते हैं। माघ मास की चतुर्थी तिथि को सभी लोगों के द्वारा भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है जिसका अपना ही एक अलग महत्व माना गया है। हालांकि माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती के रूप में भी मानते हैं। इस दिन तिल के बानी व्यंजन का भी सेवन किया जाता है और इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हालाकि कई जगह इसे वरद चतुर्थी के नाम से भी जानते है और दक्षिण भारत की मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इसी दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था जिसे गणेश जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
तिलकुंद चतुर्थी का महत्व क्या है
वैसे तो सभी चतुर्थी तिथि का अपना ही अलग महत्व माना जाता है लेकिन आज हम आपको तिलकुंद चतुर्थी के महत्व के बारे में बताएंगे जो इस प्रकार से है।
- इस दिन व्रत रखने से सभी महिलाओं की मनोकामना पूरी होती है।
- विनायकी चतुर्थी को विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते हैं।
- इस चतुर्थी को हम भगवान गणेश को तिल से बने व्यंजन का भोग लगाएं तो इससे गणेश जी का आशीर्वाद सदेव बना रहता है।
- नियमित पूजा करने से गणेश भगवान हमारे सभी मंगल कार्य कुशल पूर्वक पूरे करा देते हैं।
- इस दिन गणेश जी और चंद्र देवता की पूजा करने से मन को शांति मिलती है।
तिलकुंद चतुर्थी के दिन क्या करें
हम सभी को विनायकी चतुर्थी के दिन क्या करना चाहिए यह हम इस प्रकार से जानेंगे।
- विनायकी चतुर्थी के दिन ओम गन गणपतेः नमः मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
- इस दिन भगवान गणेश के प्रिय नामो को 1008 या 108 बार जप करना चाहिए।
- तिलकुंद चतुर्थी के दिन ज्यादा से ज्यादा दान पुण्य करना चाहिए।
- वरद चतुर्थी को आप गर्म कंबल और तिल से बने व्यंजन का दान भी गरीबों में अवश्य करें।
- भगवान गणेश के मंदिर जाकर तिल के लड्डू भेट कर सकते हैं।
वरद चतुर्थी के दिन क्या न करें
वरद चतुर्थी के दिन व्यक्ति को इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
- विनायकी चतुर्थी को भूल कर भी किसी चूहे को न मारें।
- इस दिन चंद्र देव के दर्शन करना निषेध है इसी लिए भूलकर भी चंद्र दर्शन न करें
- इस दिन किसी भी प्रकार से झूठ न बोलें।
- विनायकी चतुर्थी को किसी भी प्रकार से तामसिक आहार नहीं करना चाहिए।
- इस दिन भगवान गणेश के सामने किसी भी देवता का अपमान नहीं करना चाहिए।
- किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा के बिना नहीं करना चाहिए।
तिलकुन्द चतुर्थी की पूजा विधि
वरद चतुर्थी के दिन होने वाली पूजा विधि कुछ इस प्रकार से है।
- वरद चतुर्थी के दिन आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे।
- अब आपको अपने दैनिक क्रियाओं से निवृत होना है।
- अब आप अपनी पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें।
- इसके बाद आपको भगवान गणेश की तस्वीर को साफ स्थल पर रखें।
- तस्वीर को आप स्नान करवाएं और साफ कपड़े से उसे पोंछ लें।
- इसके बाद आप उन्हे तिलक करें और अक्षत लगाएं।
- इसके बाद आप उनकी विधि पूर्वक पूजा करें।
- अब आप उन्हें तिल के व्यंजन का भोग लगाएं।
- इसके बाद आपको भगवान गणेश की आरती करना हैं।
- आरती के बाद आप प्रसादी सभी को बांट दें।
- आप स्वयं आरती लें।
दोस्तों, आज हमने आपको तिलकुंड चतुर्थी के बारे में कुछ जानकारी देने का प्रयास किया है, वैसे तो सभी चतुर्थी तिथि को चंद्र देव के दर्शन किए जाते हैं लेकिन यही एक ऐसी तिथि है, जिस दिन चंद्र देव को देखा नहीं जाता। ऐसे में आप भी चंद्र देव का दर्शन भूल कर ना करें।
धन्यवाद