नमस्कार दोस्तों आप सभी लोग जानते हैं कि वट सावित्री का व्रत माताओं बहनों के लिए कितना ज्यादा विशेष होता है और यह व्रत को ज़्यादातर माताएं बहनें करती भी हैं, इस लेख में आप लोगों को वट सावित्री व्रत कब है और इससे जुड़ी हुई सारी जानकारी जैसे पूजा विधि, पूजा सामग्री और भी कुछ विशेष नियम हम आपको बताने वाले हैं।
वट सावित्री का व्रत क्यों किया जाता है?
वट सावित्री का व्रत पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है।
वट सावित्री व्रत कब है?
वट सावित्री व्रत 26 मई 2025 सोमवार के दिन है।
वट सावित्री व्रत के साथ में और क्या है?
वट सावित्री व्रत के साथ में 26 मई 2025 को सोमवती अमावस्या भी है।
वट सावित्री का व्रत पहली बार कर सकते हैं या नहीं?
अगर माताएं बहने 2025 में पहली बार इस व्रत को शुरू कर रही है तो वह इस बार से अपने इस व्रत को उठा सकती हैं।
वट सावित्री व्रत के नियम
वट सावित्री व्रत के नियम कुछ इस प्रकार से हैं।
- वट सावित्री के व्रत में माताओं बहनों को एक दिन पहले ही लहसुन प्याज और तामसिक भोजन छोड़ देना चाहिए।
- वट सावित्री के व्रत में एक दिन पहले ही नाखूनों को काट लिया जाता है।
- वट सावित्री के व्रत में एक दिन पहले ही अपने हाथों में मेहंदी जरूर लगा लेनी चाहिए।
- इस व्रत में लगने वाली सारी आवश्यक चीजों की खरीदारी आपको एक दिन पहले ही कर लेनी चाहिए।
- इस व्रत में आप लोगों को व्रत कितनी ऐपन भी तैयार करना होता है।
- व्रत की पूजन अगर घर पर कर रहे हैं तो वट वृक्ष की एक टहनी एक दिन पहले ही घर पर लाकर गमले में लगानी होती है।
वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री
वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री कुछ इस प्रकार से है।
- पूजा की थाली
- ऐपन
- 16 श्रृंगार की सामग्री
- 5 तरह के फल (आम जरूर होने चाहिए)
- भीगे हुए काले चने
- कलवा
- कच्चा सूत
- रौली कुमकुम
- अक्षत
- हल्दी
- फूल
- भोग के लिए पूडी और मीठे भजिए
- बांस के 2 पंखे
वट सावित्री व्रत में पूजन का समय क्या है?
वट सावित्री व्रत में पूजन आप सुबह से लेकर दोपहर के बीच में कर सकते हैं।
वट सावित्री व्रत की पूजन विधि
वट सावित्री व्रत की पूजन विधि कुछ इस प्रकार से है।
- वट सावित्री व्रत रखने वाली माताएं बहनें सुबह जल्दी उठ जाएं।
- इसके बाद घर की साफ सफाई करके स्नान कर ले।
- स्नान करने के बाद लाल, हरी, गुलाबी रंग की साड़ी पहने और नीली या काले रंग की साड़ी ना पहने।
- अब आप लोग 16 श्रृंगार भी जरूर करें। जैसे मेहंदी, माहुर, मांग टीका सबके साथ ही तैयार हो।
- अब अगर आप वट सावित्री व्रत की पूजा अपने घर पर कर रहे हैं तो अपना गमला तैयार कर ले और बाहर जाकर कर रहे हैं तो पूरी पूजा की तैयारी कर ले।
- आप पूजा कहीं भी करें पूजा की विधि एक सी ही रहेगी।
- अब माताएं बहने अपने घर से वट वृक्ष के नीचे पहुंच जाए और सबसे पहले वट वृक्ष के आसपास की थोड़ी साफ सफाई कर लें।
- इसके बाद में आप वटवृक्ष के पास में जल का सीचन करें या वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाएं।
- अब आप लोग वट वृक्ष का एक पत्ता लेकर उसे अपने सर पर गहने के रूप में रख ले क्योंकि इस दिन वट वृक्ष के पत्तों के भी गहने पहने जाते हैं।
- अब आप लोगों ने जो ऐपन तैयार किया होगा उससे वट वृक्ष के पेड़ के ऊपर सत्यवान और सावित्री का चित्र बना दीजिए।
- इसके बाद आप अपनी हथेली से ऐपन के थापे भी जरूर पेड़ पर लगा दें।
- अगर घर पर पूजा कर रहे हैं तो वट वृक्ष की टहनी के पत्तों पर आपको यह सारे कार्य करने हैं।
- अब आप लोगों को गौरी और गणेश जी को भी विराजमान करना है इसके लिए आप बरगद के पत्ते पर ही गौरी जी हल्दी की तैयार कर सकते हैं और गणेश जी सुपारी के रख सकते हैं।
- व्रत की पूजन शुरू करने से पहले आपको अपने घर के बड़ों से खोईचा अपने आंचल में लेना चाहिए। अगर कोई नहीं है तो आप खुद ही अपना खोईचा अपने आंचल में ले सकते हैं।
- अब आप सबसे पहले अपना शुद्ध देसी गाय के घी का दीपक जला ले।
- दीपक जलाने के बाद अब आपको गणेश जी को रोली अक्षत का तिलक करना है, गौरी जी को सिंदूर पांच बार लगाना है और वही सिंदूर अपनी मांग में भी पांच बार जरूर भरना है।
- इसी के साथ सत्यवान जी का भी तिलक करना है और सावित्री जी को सिंदूर समर्पित करना और जो आपने थापे लगाए होंगे वहां पर भी सिंदूर लगाना है।
- अगर आप वट सावित्री व्रत की किताब लेकर आए हैं तो उसका भी आपको तिलक करके पूजन करना है।
- अब सत्यवान सावित्री जी को आपको वस्त्र समर्पित करना है।
- इसी तरह गौरी और गणेश जी को भी आपको वस्त्र समर्पित करना है।
- वस्तु स्वरूप आप जनेऊ और कलवा भी समर्पित कर सकते हैं। इसी के साथ वटवृक्ष को भी आप वस्त्र समर्पित जरूर करें।
- अब आप सभी भगवान को फूल चढ़ाएं।
- सभी भगवानों को भीगे हुए काले चने भी चढ़ाएं।
- अब आप लोग भगवान को भोग में पूड़ी और मीठे भजिए चढ़ा दें।
- इसके बाद 16 श्रृंगार की सामग्री सत्यवान सावित्री जी को चढ़ा दे।
- अब पांच तरह के फल भी भगवान को चढ़ा दें जिसमें आम जरूर होना चाहिए।
- अब आप दो बांस के पंखे भी वही निकाल कर रख लें जिसमें से एक पूजन के लिए और एक दान के लिए रहेगा।
- आप सभी भगवानों को धूपबत्ती या अगरबत्ती जलाकर धूप दिखा दे।
- अब आप वहीं पर बैठकर अपने हाथ में चने और फूल रखकर ही कथा सुने।
- अगर आप चाहे तो कथा घर पर आकर भी सुन सकते हैं।
- अब आपको अपनी परिक्रमा करनी होगी। परिक्रमा करने के लिए आप कच्चा सूत और चना या चिरौंजी अपने हाथ में रखकर ही परिक्रमा शुरू करें।
- वैसे 108 परिक्रमा करना चाहिए पर आप चाहे तो 11, 21, 51 परिक्रमा भी कर सकते हैं।
- अब आपको दीपक से भगवान की आरती करनी है।
- अब आपको गौरी माता से सुहाग मांगना है जिसके लिए आप पांच बार गौरी माता को सिंदूर लगाएंगे और उनसे अपने सुहाग के लिए प्रार्थना करेंगे।
- अब वही सिंदूर आप अपनी मांग में भी भरेंगे।
- अब आपको वटवृक्ष में मीठा जल चढ़ाना है जिसके लिए आप एक आम को जल के लोटे के नीचे करके जल चढ़ा सकते हैं। जल आम से स्पर्श होता हुआ वट वृक्ष में जाना चाहिए।
- अब आपको वटदेव के पैर दबाना है मतलब अपनी हथेलियां को पेड़ के ऊपर थोड़ा सा दबाना है।
- वट वृक्ष के गले भी आपको मिलना है।
- अब आपको एक बस के पंखे से वट वृक्ष को सत्यवान सावित्री को हवा करना है और इसी पंखे से आप अपने पति को भी हवा करेंगे।
- अब आप अपनी पूजा में हुई भूल चूक के लिए भगवान से क्षमा मांगे और अपने पति के लिए प्रार्थना करें।
- पूजा के बाद माताएं बहने एक दूसरे को सिंदूर लगाती है, खोईचा देती है और बधाइयां देती हैं और खुशियां मानती हैं।
- इस तरीके से वटवृक्ष की या वट वृक्ष की टहनी की आप लोगों को पूजन करनी है।
घर पर पतिदेव की पूजन कैसे करें?
वट वृक्ष की पूजन करने के बाद जब माताएं बहनें अपने घर पर आती है तो आपको सबसे पहले अपने पतिदेव के पैर धोने हैं, उनको तिलक करना है, उनको पूजा का प्रसाद खिलाना है और उस पंखे से हवा करना है जिस पंखे से आपने वट वृक्ष पर हवा करी थी। इसी तरीके से आपके पति की पूजन करना है।
वट सावित्री के व्रत का पारण कब करें?
वट सावित्री के व्रत का पारण अगले दिन सुबह-सुबह किया जाता है, जिसमें आप पूजन के प्रसाद से अपने व्रत को खोल सकते हैं।
वट सावित्री व्रत में पूजा के बाद तुरंत व्रत खोल सकते हैं या नहीं?
वट सावित्री के व्रत की पूजा के नियम हर जगह पर अलग-अलग होते हैं, आपके यहां जैसे नियम होते हैं आप वैसे पालन कीजिए। कुछ जगहों पर वट सावित्री की पूजन के बाद व्रत खोल लिया जाता है पर ज्यादातर जगहों पर व्रत की पूजन के बाद दूध, पानी, शरबत वगैरा पी लेते हैं और शाम होने से पहले एक टाइम मीठा भोजन भी किया जाता है और अगले दिन फिर व्रत को खोला जाता है।
हमने आपको वट सावित्री व्रत से जुड़ी हुई सारी जानकारी देदी है अगर अभी भी आपके मन में कोई प्रश्न है इस व्रत से जुड़ा हुआ तो वह आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते हैं।
धन्यवाद